यिरमियाह 17,5-8
लूकस 6,17.20-26
प्रभु ने इंसान को सृष्टि का शीर्ष बनाया और उसे प्रज्ञा व ज्ञान से नवाजा। ईष्वर द्वारा प्रदत प्रज्ञा व ज्ञान की बदौलत इंसान ने इतिहास में कई प्रकार की खोजें और आविष्कार किये हैं। जिसने मनुष्य के जीवन को कई मायनों में एक आरामदायक व सुख-सुख सुविधाओं से सम्पन्न बना दिया है। कभी कई किलोमिटर पैदल यात्रा करने वाला मानव आज हवाई जहाज में बैठकर हजारों मील महज घंटों में तय कर लेता है। कई बिमारियां जो लाईलाज थी आज उनका इलाज खोज लिया है। मृत्यु दर परिणामस्वरूप कम हो गई है। कई प्रकार की मशिनों ने जटिल से जटिल कामों को आसान कर दिया है। कम्युटर विज्ञान की क्रांति ने तो हर दिशा में विसमयकारी काम किया है। आजकल अर्टिफिष्यल इंटेलिजेंस याने कृत्रिम दिमाग का विकास किया जा रहा है। याने मानव ऐसी मशीन अथवा रोबोट बना रहा है जो मनुष्य की तरह काम कर सकता है। अप्राकृतिक रूप से अर्थात कृतिम तरीकों से बच्चे पैदा करने के भी कई जुगाड मानव ने किये हैं। अंतरिक्ष की उडान भरकर इंसान चांद तारों की सैर करके भी आया है। और एक दिन वहां पर दुनिया बसाने के ख्वाब भी देख रहा है। ज्ञान और विज्ञान ईष्वर द्वारा प्रदत्त एक अमुल्य दान है। परन्तु इस पर मनुष्य की निर्भरता और भरोसा इतना अधिक हो गया है कि वे इसके स्रोत ईष्वर को ही भूल रहे हैं। किसी को अपने ज्ञान का गुरूर है तो किसी को अपनी संपत्ति का, किसी को अपनी शारीरिक शक्ति का भरोसा है तो किसी को किसी व्यक्ति विषेष पर भरोसा है। प्रभु अपने वचन द्वारा हमें चेतावनी चेतावनी देते हैं सूक्ति ग्रंथ 3,5 में - ‘‘तुम सारे हदय से प्रभु का भरोसा करो। अपनी बुद्धी पर निर्भर मत रहो’’। संत लूकस 12,13 में हम मूर्ख धनी का दृष्टांत सुनते हैं जिसे अपने धन पर इतना भरोसा होता है कि वह पूरी जिंदगी ऐशो- आराम में गुजारने के ख्वाब देखता है। पर प्रभु उससे कहते हैं रे मूर्ख तेरे प्राण आज ही तुझसे ले लिये जायेंगे तो फिर तेरी इस संपत्ति का क्या होगा जिसे तूने इकट्ठा किया है?
आज के पहले पाठ में प्रभु मनुष्यों पर भरोसा रखने वालों को धिक्कारते हुए कहते हैं - ‘‘धिक्कार उस मनुष्य को, जो मनुष्यों पर भरोसा रखता है।’’
परन्तु जो ईश्वर पर भरोसा रखता है उसे प्रभु धन्य कहते हुए कहते हैं - ‘‘धन्य है वह मनुष्य जो प्रभु पर भरोसा रखता है, जो प्रभु का सहारा लेता है। वह जलस्रोत के किनारे लगाये गये वृक्ष के सदृश्य है, जिसकी जडें पानी के पास फैली हुई हैं। वह कडी धूप से नहीं डरता, उसके पत्ते हरे भरे बने रहते हैं। सूखे के समय भी उसे कोई चिंता नहीं होती क्योंकि उस समय भी वह फलता है।’’
फलिप्प्यिों को लिखे पत्र 4,6 में प्रभु का वचन कहता है - ‘‘किसी बात की चिंता न करें हर जरूरत में प्रार्थना करें और विनय तथा धन्यवाद के साथ ईष्वर के सामने अपने निवेदन प्रस्तुत करें।’’
जो मनुष्य अपने सभी कामों में ईश्वर पर भरोसा रखता है उसकी जडें ईश्वर में है और उसे किसी भी प्रकार की प्रतिकूल अथवा विकट परिस्थिति में भी डरने व घबराने की कोई जरूरत नहीं। क्योंकि इस दुनिया का धन, इस दुनिया की ताकत, इस दुनिया की तकनीकियां, व इस दुनिया की दवाईयां हमें कुछ क्षणों का आराम व सकून तो दे सकती हैं परन्तु हमेशा की जिंदगी नहीं दे सकते। हमेशा की जिंदगी सिर्फ येसु ही दे सकता है। संत योहन 10,10 में प्रभु हमसे कहते हैं - ‘‘चोर केवल चुराने मारने एवं नष्ट करने आता है। मैं इसलिए आया हूं कि वे जीवन प्राप्त करे, परन्तु हमेशा का जीवन प्राप्त करे।’’ इसलिए मसीह पर हमारा भरोसा केवल इस दुनिया के लिए नहीं परन्तु इस दुनिया के बाद आने वाले जीवन के लिए है। इसलिए आज के दूसरे पाठ में संत पौलुस हमें बतलाते हैं - यदि मसीह पर हमारा भरोसा केवल इस जीवन तक ही सीमित है तो हम मनुष्यों में सबसे दयनीय हैं।’’ (1 कुरिंथयों 15, 19)
प्रभु येसु हमें इस दुनिया की ही खुशी, आनन्द और जीवन देने नहीं परन्तु इस दुनिया से परे, हमारे धन-दौलत से परे, हमारे ज्ञान-विज्ञान से परे, व हमारी बुद्धी से परे एक ऐसा जीवन देने आये जिसकी खुशी का, जिसके आनन्द का कोई अंत नहीं। क्योंंकि सारी खुशी, शांति और आनन्द का स्रोत ईश्वर स्वयं वहां उनके साथ रहेगा। इसलिए प्रभु येसु आज के सुसमाचार में गरीबों को धन्य कहते हैं जो अपने धन पर नहीं परन्तु ईष्वर पर व उसकी कृपा पर आश्रित रहते हैं। उनका भरोसा ईश्वर पर रहता है। और ऐसे लोगों के लिए ईश्वर ने स्वर्ग राज्य देने का वादा किया है। प्रभु इन्हें धन्य कहते हैं जो अभी भूखे हैं वे तृप्त किये जायेंगे, जो अभी रोते हैं वे हँसेंगे।
प्रभु पर भरोसा व विश्वास करने के कारण लोगों के बैर के शिकार व निंदा सहने वालों से प्रभू कहते हैं-
आनन्दित होना, क्योंकि देखो, तुम्हेँ स्वर्ग में बड़ा पुरस्कार प्राप्त होगा।
परन्तु जो जो इस दुनियां में अपना सुख खोजते व ईश्वर को त्यागकर दुनियांवी चीजों पर भरोसा रखने वालों को येसु कहते हैं-
धिक्कार तुमको जो धनवान हो, क्योंकि तुम अपनी शान्ति यहीं पर पा चुके हो।
धिक्कार तुम को जो अभी तृप्त हो, तुम भूखे रहोगे: धिक्कार तुम को; जो अब हंसते हो, तुम शोक करोगे और रोओगे।
प्यारे विश्वासियों आज निर्णय करिये कि हमें इस दुनियां के सुखों, इस दुनियां की ताकतों, व इस दुनियां के साधनों पर भरोसा रख कर क्षणिक सुख और शांति पाना है या फिर प्रभु पर भरोसा रख कर कभी न खत्म होने वाली खुशी व आनंद पाना है। प्रभु हम हैं सही चुनाव करने की कृपा दे आमेन।