Sunday, 3 November 2019

वर्ष का बत्तीसवाँ इतवारचक्र स - #HindiSermon, @AtmakiTalwar.blogspot.com

मृत्यु के बाद पुनरुत्थान एक सच्चाई है 

मक्काबियों 7:1-2, 9-14;

थेसलनीकियों 2:16-3:5
लूकस 20:27-38 या 20:27, 34-38


आज के हमारे मनन चिंतन का विषय है ‘पुनरूत्थान संत लूकस अध्याय 20:27-40 से लिये गये आज के सुसमाचार में सदूकी लोग प्रभु येसु से पुनरूत्थान के विषय में सवाल पूछते हैं। क्योंकि सदूकी समूदाय के लोग पुनरूत्थान में विश्वास नहीं करते। सबसे पहले हम यह जानें कि पुनरूत्थान क्या हैपुनरूत्थानशायद मनुष्य के जीवन के सबसे जटील प्रश्न का जवाब है। मनुष्य के मरने के बाद उसका क्या होता हैइस सवाल का जवाब विभिन्न विचारकों और दार्शनिकों ने विभिन्न प्रकार से दिया है। अलग-अलग धर्मों में भी इसको लेकर अलग-अलग मान्यतायें हैं। इन सारी मान्यताओं को हम दो वर्गों में बॉंट सकते हैंपहलीमरने के बाद पुनर्जन्म लेने की मान्यता। वहीं दूसरी - मरने के बाद किसी दूसरे संसार में चले जाने की मान्यता - स्वर्ग और नरक आदि।

पवित्र बाइबल हमें स्पष्ट रूप से यह बतलाती है कि सारे इंसान जो मरे हैं सब अंतिम दिन जीवित किये जायेंगे। और उसके बाद उनका न्याय होगा। संत मत्ती 25:46 में लिखा है - विधर्मी अनन्त दंड भोगेंगे और धर्मी अनन्त जीवन में प्रवेश करेंगे। इंसान अपने जीवन में कई चीजों से डरता है। उसके सारे डर के पीछे एक बडा डर है जो सब प्रकार के डर की जड है और वो है मौत का डर। हमारे सारे डर कहीं  कहींकिसी  किसी  रूप में इसी डर से जुडे हुए हैं। मौत तो एक ऐसी सच्चाई है जिसका हर किसी को सामना करना ही है।

आज के पहले पाठ में जो कि 2 मक्काबियों 7 से लिया गया है हमने देखा किस प्रकार से सात विश्वासी भाई मौत से डरे बिना अपने विश्वास के खातीर खुशी-खुशी जान दे देते हैं। उनमें वो जज़्बा और हिम्मत कहॉं से आई? उनकी इस विरता के पीछे कौन सी ताकत थी? उनके ही शब्दों में हम इसे समझने की कोशिश करें तो पाते हैं कि पुनरूत्थान में उनका विश्वास ही उन्हें ये हौसला दे रहा था। एक भाई ने कहा - ‘‘तुम हमसे यह जीवन छीन सकते होकिंन्तु संसार का राजाजिसके नियमों के लिए हम मर रहे हैंहमें पुनर्जीवित कर अनन्त जीवन प्रदान करेगा।’’ दूसरा भाई कहता है - ‘‘हमें ईश्वर की प्रतिज्ञा पर भरोसा है कि वह हमें पुनर्जीवित कर देगा।’’ मौत से वही डरता है जो प्रभु पर भरोसा नहीं रखता। मौत से बचकर वही भागना चाहता है जिसके मन में यह भ्रांति है कि वह अपनी ताकतअपने धन संसाधनों से खुद को बचा सकता है।

प्रभु येसु ने कहा है - ‘‘जो अपना जीवन सुरक्षित रखने का प्रयत्न करेगावह उसे खो देगाऔर जो उसे खो देगावह उसे सुरक्षित रखेगा।’’ लूकस 17:33 और मत्ती 10:28 में प्रभु येसु कहते हैं - ‘‘उन से नहीं डरोजो शरीर को मार डालते हैंकिंतु आत्मा को नहीं मार सकतेबल्कि उससे डरोजो शरीर और आत्मा दोनों का नरक में सर्वनाश कर सकता है।’’

मैं यह मानता हूँ मौत के सामने नीडरताएक सच्चे विश्वासी की पहचान है और जो मौत से डरता है उसका विश्वास कच्चा और कमज़ोर है। मृत्यु इस दुनिया रूपी परदेश से हमारे स्वदेश स्वर्ग राज्य लौटने के बीच की कडी है। प्रभु येसु ने कहा है - योहन 12:24 में - ‘गेहूँ का दाना जब तक मिट्टी में गिरकर नहीं मर जातातक वह अकेला ही रहता हैपरन्तु यदि वह मर जाता हैतो बहुत फल देता है।’’

हमारे पूरे मानव मुक्ति के इतिहास  पूरे धर्मग्रंथ का उन्मुखीकरण पुनरूत्थान की वास्तविकता की ओर ही है। जैसा कि रोमियों 5:12 में वचन कहता है - ‘एक ही मनुष्य के द्वारा संसार में पाप का प्रवेश हुआ और पाप के द्वारा मृत्यु का।" इस प्रकार मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गईक्योंकि सब पापी हैं। चूँकि हम सब पापी हैं और इस पाप की अवस्था वाले इस संसार में निवास करते हैंहमें उस पार याने परिपूर्ण पवित्रता वाले निवास की ओर जाने के लिए एक गेहॅूं के दाने की तरह मरना आवश्यक है। और यदि हम मरते हैंतो हमारा पुनरूत्थान होना भी आवश्यक हैजैसे कि गेंहूॅं का एक दाना मरकर एक नये पौधे के रूप में पुनरूर्त्थित होता है।

प्रभु येसु ने पुनरूत्थान में हमारे विश्वास को अपनी ही मृत्यु और पुनरूत्थान द्वारा पुख्ता कर दिया है। इसलिए संत पौलुस 1 कुरिंथियों 15:14 में कहते हैं - ‘‘यदि मसीह नहीं जी उठेतो हमारा धर्मप्रचार व्यर्थ है और आप लोगों का विश्वास भी व्यर्थ है।’’ मसीह हमारे लिए मरकर जी उठे इसलिए हमारा धर्मप्रचार सार्थक है और हमारा विश्वास फलवन्त। क्योंकि वचन कहता है - ‘‘जिसने प्रभु ईसा को पुनर्जीवित कियावही ईसा के साथ हम को भी पुनर्जीवित कर देगा।’’ 

अतः प्यारे मित्रों मृत्यु हमारे लिए दुःख और चिंता का विषय नहीं लेकिन आशा और आनन्द का विषय है। इसीलिए मृतकों की मिस्सा में पुरोहित इन शब्दों में प्रार्थना करते हैं - जब मृत्यु के विचार से हम दुःखी होते हैं - तो अमरता की प्रतीक्षा हमें दिलासा देती है। हे पितातेरे भक्तों के लिए मृत्यु-जीवन का विनाश नहींजीवन का विकास हैक्योंकि जब मृत्यु के द्वारा यहॉं का निवास समाप्त हो जायेगा तो हमें स्वर्ग का नित्य निवास प्राप्त होगा। क्योंकि वचन कहता है - ‘‘यदि हम उनके साथ मर गयेतो हम उनके साथ जीवन भी प्राप्त करेंगे।’’ तिमथी 2:11

आईये इसी विश्वास और भरोसे के साथहम एक सच्चे कैथोलिक विश्वास में जीयें और हमारे अपने पिता के घर की ओर नित यात्रा करते हुए आगे बढते रहेंजहॉं पुनरूत्थान के बाद हमारा येसु हमें अनन्त आनन्दमय निवास में ले जाने के लिए तत्पर खडा है। आमेन।


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Thank you very much.

Yours in Love of Christ,
Fr. Preetam Vasuniya
Diocese of Indore 

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