Saturday, 31 December 2016

New Year Mass , ईश माता का पर्व

1 जनवरी ईश माता का पर्व
2017

आज हम नये साल की शुरूआत ईष माता मरियम के पर्व के साथ करते हैं। मा मरियम कृपाओं से भरपूर की गयी थी। उनको प्राप्त सब कृपाओं में ईष्वर की माता बनना सब सबसे श्रेष्ठ था। मरियम की महानता इसमें है कि उनके हाँ कहने पर हमारी मुक्ति का द्वार खुल गया। उन्होंने कहा ‘‘देख, मैं प्रभु की दासी हूँ तेरा कथन मुझमें पूरा हो जाए’’ और उसी क्षण शब्द ने उनके गर्भ में देहधारण किया; उसी क्षण ईष्वर का शब्द उनके गर्भ में शरीर धारण कर मनुष्य बन गया। इस प्रकार मरियम ईष्वर की माता बन गई; हमारे मुक्तिदाता की माता बन गई और हमारी मुक्ति में एक महान सहायक बन गई।
ईष-माता का समारोह यद्यपि कलीसिया के आरम्भ से  मनाया जाता रहा है किंतु इसे हमारे काथलिक धर्मसिद्धांत के रूप में मान्यता एफेसुस की परिषद में सन् 431 में दिया गया। हम संत योहन के सुसमाचार में पढते हैं कि - ‘‘आदि में शब्द था, शब्द ईष्वर के साथ था और शब्द स्वयं ईष्वर था। उसके द्वारा सब कुछ उत्पन्न हुआ और उसके बिना कुछ भी उत्पन्न नहीं हुआ........ष्(और उसी) शब्द ने शरीर धारण कर हमारे बीच निवास किया।’’ योहन 1ः1, 14 याने प्रभु येसु, पिता के एकलौते पुत्र अनादि वचन है जो आदि में पिता के साथ विद्यमान था, जिसे ‘‘समय पूरा हो जाने पर ईष्वर ने इस संसार में भेजा। वह एक नारी से उत्पन्न हुआ और संहिता के अधीन रहा, जिससे वह संहिता के अधीन रहने वालों को छुडा सकें और हम ईष्वर के दत्तक पुत्र-पुत्रियां बन जाये’’ ( गला 4ः4-5) इसका मतलब ये हुआ कि प्रभु येसु स्वयं ईष्वर थे जो अनन्तकाल से विद्यमान है। तथा मानव मुक्ति के लिए वे स्वयं एक मनुष्य बन गये। मनुष्य बनने के लिए ईष्वर ने एक कुँवारी को अपने बेटे की माँ बनने के लिए चुना। इसलिए माँ मरियम ईष्वर की माँ है। उनके शरीर में रहकर ईष्वर जो अदृष्य थे; जिसका शरीर नहीं था एक शरीर धारण करते हैं। यही कलीसिया का विष्वास है; यही पवित्र बाईबल हमें सिखलाती है। किंतु चौथी व पांचवीं शताब्दी में कुछ भ्रांत धारणाओं का उदय हुआ। कुछ लोगों ने गलत षिक्षा का प्रचार करना प्रारम्भ कर दिया। मुख्य विवाद इस बात को लेकर था कि येसु ख्रीस्त सममुच में ईष्वर थे या फिर मनुष्य थे। कुछ लोगों का मत था कि येसु केवल ईष्वर थे मनुष्य नहीं थे और कुछ का मानना था कि वे मनुष्य थे ईष्वर नहीं थे। इनमें आरियुस व नेस्टेरियुस दो प्रमुख व्यक्ति थे। आरियुस का मानाना था कि येसु ख्रीस्त ईष्वर नहीं है उनमें कोई दिव्यता नहीं है वे तो ईष्वर एक रचना है। एक ऐसा समय था जब येसु का कोई अस्तित्व नहीं था। तब ईष्वर ने किसी अन्य तत्व से उसकी रचना की। यदि येसु ईष्वर नहीं है तो माता मरियम ईष्वर की माता नहीं कही जा सकती। कलीसिया ने 325 ईसवीं में नाइसिया में इस गलत षिक्षा का खंडन किया व यह प्रतिपादित किया कि ‘‘हम एक ही येसु ख्रीस्त में, जो सभी युगों के पहले पिता से उत्पन्न है। वह ईष्वर से उत्पन्न ईष्वर, प्रकाष से उत्पन्न प्रकाष सच्चे ईष्वर से उत्पन्न सच्चा ईष्वर है। वह बनाया हुआ नहीं, उत्पन्न हुआ है।’ इसी प्रचीन  विष्वास को हम हर रविवार को दोहराते हैं।  दूसरे व्यक्ति थे नेस्टिरियुस उसका मानना था कि येसु ख्रीस्त में दो प्रकार के व्यक्त्वि थे एक तो दिव्य अथवा ईष्वरीय व्यक्ति दूसरा मानवीय व्यक्ति तथा मरिमय केवल मानवीय येसु की माँ थी ईष्वरीय येसु की नहीं इसलिए वह ख्रीस्त की माता है ईष माता नहीं। 341 में एफेसुस की महासभा में इस गलत षिक्षा का खंडन किया और कहा ‘‘ उसका और पिता का तत्व एक है...वह हम मनुष्यां के लिए और हमारी मुक्ति के लिए स्वर्ग से उतरा और पवित्र आत्मा के द्वारा कुँवारी मरियम से शरीर धारण कर मनुष्य बन गया। याने प्रभु येसु पूरी तरह से ईष्वर है और पूरी तरह से मनुष्य। जब ईष्वर के शब्द ने माँ मरियम के गर्भ में प्रवेष किया तो प्रभु येसु की ईष्वरीयता व उनकी मानवता का एक व्यक्ति प्रभु येसु ख्रीस्त में विलय हो गया। पवित्र त्रित्व के दूसरा व्यक्ति जो ईष्वर था अब उनमें एक स्वभाव जुड गया और वो स्वभाव था मानवीय स्वभाव। तो हम पूरी तरह से ये कह सकते हैं कि माता मरियम ईष्वर की माँ है।
ईष माता होने के साथ ही साथ वो हम सब की, सारी कलीसिया की माँ है। वह हमारे ख्रीस्तीय जीवन का आदर्ष है। उनमें कोई दिव्यता नहीं थी ईष्वरीयता नहीं थी। वह तो नाज़रेथ की एक साधारण सी बालिका थी परन्तु ईष्वर ने उसे अपने एकलौते पुत्र की माँ बना दिया। इस प्रकार वह सब मानवों में सर्वश्रेष्ठ बन गयी। प्रभु येसु कहते हैं संत लूकस 7ः28 में ‘‘ मैं तुमसे कहते हूँ मनुष्यों में योहन बपतिस्ता से बडा कोई नहीं। फिर भी, ईष्वर के राज्य में जो सब से छोटा है, वह योहन बपतिस्ता से बडा है।’’ हम जानते हैं कि माँ मरियम ने ईष्वर की माँ बन जाने पर भी कोई घमंड नहीं किया। उन्होंने स्वयं को एक दासी ही माना और स्वर्गदूत से कहा ‘देखिए र्मैं प्रभु की दासी हूँ आपका कथन मुझमें पूरा हो जाये। माँ मरिमय अपने जीवन द्वारा हमें दीनता का पाठ पढाती हैं। वो प्रभु येसु की सबसे पहली व सर्वोत्तम षिष्या थी। बेतलेहेम  से लेकर कलवारी तक उसने येसु का अनुसरण किया। और हमें येसु के सच्चे षिष्य बनने का रास्ता दिखलाया।
वह न केवल येसु की माता है वरन हम सब की माता है क्योंकि स्वयं येसु ने क्रूस पर से उन्हें हमारी माता के रूप में हमें सौंपा है। हम संत योहन के सुसमाचार में पढते हैं येसु संत योहन से कहते हैं - ‘‘यह तुम्हारी माता है’’ और माँ मरियम से कहते हैं - ‘‘यह आपका पुत्र है’’ (यो 19ः27)। और वचन आगे कहता है उस समय से उस षिष्य ने अपने यहाँ उसे आश्रय दिया।’’ संत योहन ने क्या किया? तब से माँ मरियम को अपने घर में जगह दी। अपनी ही माँ के रूप में, अपने ही परिवार के एक सदस्य के रूप में। हम सब यदि यसु की माँ को अपनी माता मानते हैं, स्वीकरते हैं तो हमें भी उन्हें अपने घरों में ले जाना होगा। माता मरियम को हमारे परिवारों में जगह देना होगा; हमारे परिवार के ही एक सदस्य के रूप में माँ को स्वीकार करना होगा। क्योंकि उनके पुत्र यही आखिरी ख्वाहीष थी अपनी माँ को लेकर कि उसका हर अनुयायी उनकी माँ को अपनी माँ समझे व उसे अपने घर ले जाये। उसने अपनी माँ को हमें इसलिए दे दिया कि वह हमारे साथ रहकर हमारी ज़रूरतों में हमारे लिए प्रार्थना करती रहे। वह हमारी परिवार में रहकर हमारे परिवारों को नाज़रेथ के पवित्र परिवार की तरह एक पवित्र व आदर्ष परिवार बनानें में हमारी मदद करे। हमें धर्म मार्ग पर चलाये व शैतान के प्रलोभनों से हमारी रक्षा करे क्योंकि ईष्वर ने शैतान की सारी शक्तियों को माँ मररियम के पैरों तले डाल दिया है।
ख्रीस्त में प्यारे भाईयों और बहनों प्रभु येसु द्वारा हमें प्रद्त इस अमुल्य उपहार को हम हमारे घरों में, हमारे परिवारों में कैसे रख सकते हैं। मैं सोचता हूँ पवित्र रोज़री माला से उत्तम और कोई साधन नहीं जिसके द्वारा हम माँ मरियम को अपने घरों में बुला सकते हैं उनका आह्वान कर सकते हैं, उनसे प्रार्थना की अरज कर सकते हैं। जिस घर में रोज़री माला विनती होती है माँ मरियम उस घर में रहती है, उस घर का, उस परिवार का एक अभिन्न अंग बनकर। उनकी प्रार्थनायें माँ प्रभु तक जल्दि पहुँचा देती है।
आईये हम माँ मरियम को अपने घरों में जगह दें, रोज उनका स्मरण करें, वो ईष्वर की माता व हम सब की माता है।

Thursday, 22 December 2016

ख्रीस्त जयंती समारोह, 2016


इसायाह 9:2-7
तितूस 2:11-14
लूकस 2:1-14
प्रभु येसु मसीह में, ईश्वर  मनुष्य के रूप में सिर्फ प्रकट नहीं हुआ, अपितु वह  स्वयं मनुष्य बन गया। उसने इंसान का शरीर धारण कर पूरी तरह से हमारी तरह इस धरा पर जीवन व्यतित किया। उन्हांने मानवीय हाथों से काम किया, अपने मानवीय दिमाग से सोचा, और एक मानवीय हृदय से प्रेम किया। वह एक कुंवारी से जन्मा, उन्होंने अपने आपको पाप को छोड बाकि सब बातों में हमारे समान बना लिया।
चरवाहों ने गडरियों से कहा मैं आज सब के लिए एक बडे ही आनन्द का शुभ संदेश  सुनाता हूँ। प्रभु के जन्म का संदेश , सारी दुनिया के लिए है। प्रभु के वचन, उनका सुसमाचार हर एक इंसान के लिए है। जो संदेश  प्रभु येसु लेकर आये वो सिर्फ यहूदियों अथवा ईसाईयों के लिए नहीं परन्तु सारी मानवजाती के लिए है। प्रभु येसु ने स्वयं सारे फलिस्तीन देश  में घूम-घूम कर इस शुभ संदेश  को लोगों को सुनाया।  उन्होंने अपने स्वार्गारोहण से पहले अपने शिष्यों से कहा - ‘‘तुम जाकर सब राष्ट्रों को शिष्य  बनाओ और उन्हें पिता, पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम पर बपतिस्मा दो। मैंने तुम्हें जो-जो आदेश  दिये हैं, तुम उनका पालन करना उन्हें सिखलाओ। और याद रखो मैं संसार के अंत तक सदा तुम्हारे साथ हूँ।’’ आज प्रभु येसु का जन्म हुआ है। हमारे लिए मुक्ति का आगमन हुआ है। सारे संसार के लिए मुक्ति का आगमन हुआ है। इस संदेश  को हमें हमारे परिवारों, व सगे संबंधियों तक ही सीमित नहीं रखना है। परन्तु इसे सबको बताना है।
खि््रास्त जयंति प्रभु के साथ घनिष्टता का पर्व है। ईश्वर के साथ इंसान का जो घनिष्ट संबंध था वह आदि माता पिता के पाप के कारण खत्म हो गया था। जब आदम ने पाप किया तो वह ईष्वर से छिप गया (उत्पत्ति 3:8),। उसी प्रकार, जब काईन ने अपने भाई की हत्या की तो वह ईष्वर से दूर भाग गया (उत्पत्ति 4:16)। इंसान पाप पर पाप करता रहा है, परन्तु ईष्वर फिर भी वफादार बना रहा। हमारे मुक्ति इतिहास में यदि हम देखेंगे तो पायेंगे कि वह ईष्वर मानव के साथ रहने के लिए तडपता रहा। हमको पुनः अपने से मिलाने के लिए जब ईष्वर ने प्राचीन काल में अब्राहम को चुना तो उन्होंने उनको अपनी उपस्थिति में चलते रहने को कहा (उत्पत्ति 17ः1)। जब इस्राएलियों को मिस्र की गुलामी से छुडाया तब वह ईष्वर उनके साथ-साथ चला। चालीस वर्षों की लम्बी मरूस्थलीय यात्रा में ईष्वर उनके साथ विधान की मंजूषा में प्रतिकात्मक रूप से विद्यमान रहा । जब ईस्राएली लोग प्रतिज्ञात देष में आकर बस गये तब ईष्वर मंदिर में उनके बीच में उपस्थित रहता था। पुराने विधान में वह विभिन्न रूपों में अपनी प्रजा के साथ रहा। इब्रानियों के नाम पत्र 1ः1 में वचन कहता है- ‘‘प्राचीन काल में ईष्वर बारम्बार और विविध रूपों में हमारे पुरखों से नबियों द्वारा बोला था। अब अन्त में वह हमसे पुत्र द्वारा बोला है। खि््रास्त जयंति के दिन कुछ असाधरण सा हुआ। उस दिन ईष्वर साक्षत रूप में हमारे बीच आ गये। वह ईष्वर जो कभी जलती हुई झाडी, कभी बादल के खम्बे, तो कभी विधान की मंजूषा, कभी मंद समीर तो कभी गर्जन के रूप में लोगों के पास आता था, अब वह स्वयं मनुष्य बनकर हमारे बीच में आ गया। ‘‘षब्द ने शरीर धारण कर हमारे बीच निवास किया।’’ येसु ‘इम्मानुएल’ है जिसका अर्थ है ईष्वर हमारे साथ। वो आ, यहां हमारे बीच में विद्यमान है। जीवित प्रभु येसु आज हमारे साथ है।
आजकल हमारे क्रिसमस की विडम्बना यह है कि हम हमारे क्रिसमस समाराहों से प्रभु येसु को दूर कर दे रहे हैं। कई बार हमारे पास सांता क्लॉज़ रहता है, क्रिसमस ट्री रहती है, मीठे पकवान रहते हैं, मित्रगण रहते हैं। लेकिन बालक येसु के लिए कोई जगह नहीं। पवित्र बाइबल में सबसे हृदय विदारक वाक्य यह है - उनके लिए सराय में कोई जगह नहीं थी।(लूकस 2ः7)। पूरे ब्रह्माण्ड को रचने वाले के लिए कहीं जगह नहीं थी। सारी धरती और जो कुछ भी उसमें है, उसके मालिक के लिए कहीं जगह नहीं थी। जिस यहूदी जाती के उद्धार के लिए के लिए वे आये, उनके घरों में, उनके देष में उनके लिए जगह नहीं थी। उन्होंने मुक्तिदाता को स्वीकार नहीं किया। उन्होंने उसे क्रूस पर चढा कर मार डाला। सदियों से आज तक यही होता आ रहा है। करीब तीन सौ सालों तक रोमी साम्राज्य में प्रभु येसु के लिए कोई जगह नहीं थी। उनके अनुयायों पर अत्याचार किये जाते रहे। जापान, चीन, कोरिया, और वियेतनाम में कई सालों तक प्रभु के लिए कोई स्थान नहीं था। और उन सभी देषों व राज्यों में प्रभु येसु के लिए कोई स्थान नहीं जहाँ पर मिषनरियों, अथवा प्रभु के अनुयायों को उनके जन्म का, उनके राज्य का सुसमाचार सुनाने नहीं दिया जाता। हम पापियों को बचाने के लिए, पाप में भटकती मानवता की खोज में वे अपना स्वर्गीय सुख छोडकर इस धरा पर आए हैं। मुझे बचाने, मेरा उद्धार करने, पिता के साथ मेरा मेल-मिलाप कराने के लिए प्रभु येसु मेरे पास आ आये हैं।  वे मेरे दिल के द्वार पर आकर आज खटखटा रहे हैं। जो कोई द्वार खोलेगा प्रभु उनके यहां, उनके जीवन में आयेंगे। यदि हमारा कोई मित्र बड़े दूर से हमसे मिलने आता है और हम यदि उसके लिए दरवाज़ा नहीं खोलते तो  सोचो उन्हें कैसा लगेगा! उसी प्रकार सोचिये, कितने दुःख की बात होगी यदि हम हमारे प्रभु ईश्वर जो सिर्फ और सिर्फ हमारे लिए हमारे प्रति अपने असीम प्यार का इज़हार  करने के लिए हमारे पास आये है, यदि हम हमारे जीवन में उन्हें  स्वीकार नहीं करेंगे तो उन्हें कैसा लगेगा!। यदि उद्धार पाना है तो उन्हें अपने जीवन में स्वीकार करना ही होगा। उन्होंने कहा है- ‘‘मार्ग सत्य और जीवन में हूँ, मुझसे होकर गये बिना कोई भी पिता के पास नहीं आ सकता।’’ आईये आज प्रभु येसु को हमारे दिल में हमारे जीवन में हम जगह दें। उन्हें हमारे दिलों की गौषाला में जन्म लेने दें।
प्यारे भाईयों और बहनों हम जानते हैं कि जो जन्म लेता है वो बढता भी है। एक षिषू जन्म लेता है उसकी वृद्धी होती है, विकास होता है। यदि हम कहते हैं कि प्रभु येसु ने हमारे दिल में हमारे जीवन में जन्म लिया है तो फिर हमें उन्हें हमारे जीवन में बढने देना चाहिए। जब प्रभु येसु हममें बढेंगे तो हम, धीरे-धीरे उनके समान बनने लगेंगे और वे हमें एक दिन पूरी तरह से बदल देंगे। आईये बालक येसु को हमारे दिलों में आकर जन्म लेने दें व उन्हें हमारे जीवन में बढने दें ताकि हमारे मानोभाव उनके मनोभावों के सदृष बन जाये, हमारे विचार उनके विचारों के समान बन जाये, हमारी वाणी उनकी वाणी के समान बन जाये, हमारा व्यवहार उनके व्यहकार के समान बन जाये। आज प्रभु येसु को अपने जीवन में पाकर हम संत पौलुस के समान कहें - ‘‘मुझमें अब मैं नहीं, प्रभु येसु मुझमें जीवित है’’ (गलातियों 2:20)।   आमेन।













आगमन का तीसरा रविवार

इसायाह 35ः1-6,10
याकूब 5ः7ः10
मत्ती 11ः2-11

आज आगमन का तीसरा रविवार है। कलीसिया की परम्परा के अनुसार तीसरा रविवार आनन्द ळंनकमजम ैनदकंल अर्थात् आनन्द व खुषी का रविवार कहलाता है। आज के पाठ हमें खुष रहने व आनन्द मनाने को कहते हैं। हम सब इन दिनों क्रिस्मस की तैयारियों में व्यस्त हैं। जिन लोगों के ऊपर पारिवारिक जिम्मेदारियां है उन्हें इन दिनों कई प्रकार की चिंताएं सताती होंगी। बहुत सारी खरीदी करना है, घर की सफाई-पुताई, बच्चों के नए कपडे, आदि विभिन्न चिंतायें और डिमोनेटाइज़ेषन ने तो बहुतों का बजट ही गडबडा दिया है। हाथ में कैष नहीं, अपनी मेहनत की कमाई का उपयोग आप ही नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में चिंतित होना तो स्वाभाविक है। वचन कहता है कि चिंतित व दुःखी न हों। इस दुनियां में यूं देखें तो दुःखों की कमी नहीं है। हर घर में दुःख, हर परिवार में दुःख। कोई अपनी बिमारी से दुःखित है तो कोई अपनी लाचारी से, कोई किसी के दबाव में दुःखित है तो कोई किसी आभाव में दुःखित है। कोई गरीबी के कारण तो कोई नौकरी नहीं मिलने के कारण। कई कारण हैं दुःखी होने के। उन सब लोगों के लिए प्रभु का वचन आज बस यही कहता है - ‘‘डरो मत, देखो, तुम्हारा ईष्वर आ रहा है।’’ जि हां वह ईष्वर आ रहा है जिसका नाम इम्मानुएल है। वो हमारे साथ रहने आ रहा है। वो हमें यह कहने आ रहा है कि थके मांदे और बोझ से दबे हुए लोगों तुम सब के सब मेरे पास आओ मैं तुम्हें विश्राम दूंगा।
आज का समाज, आज की ये दुनिया सुख की तलाष में है। सारी भाग दौड, दिनभर की मेहनत, खून पसीना एक करना, ये सब इसिलिए तो हम करते हैं कि हमारा गुजारा सुखपूर्वक हो सके कि हम एक आरामदायक जीवन बिता सकें। इस दुनिया में सुख व शांति तो हर कोई खोजता है परन्तु हर कोई इसे प्राप्त नहीं कर पाता। क्योंकि हम गलत जगह पर इसे ढूंढते हैं। अधिक धन दौलत होने से इंसान धनी ज़रूर बन सकता है लेकिन वो सुखी हो इसकी कोई ग्यारन्टी नहीं। पिछले सप्ताह हमारे देष की एक बहुत बडी हस्ती की मृत्यु हो गई। अपनी करोडों की सम्पत्ति व सबसे बढिया डॉक्टर्स होने के बावजुद भी उनकी जान नहीं बच सकी। वहीं हमारे थांदला शहर में एक विक्षिप्त याने कि पागल व्यक्ति जिसे मैं मेरे बचपन से देखता आ राह था, उसका कोई घर नहीं था, वह कभी नहाता नहीं, ठंड हो, गरमी हो या फिर बरसात वह जहां जगह मिली सो जाता था, उसके कपडे फटे हुए थे। फिर भी वह जिंदा था। हम हज़ारों सफाई के जतन करने के बाद भी बिमार हो जाते हैं पर वह कूडे के ठेर पर सोकर भी स्वस्थ रहता था। मेरे लिए यह एक किसी रहस्य से कम नहीं। मन में एक सवाल उठता है- आखिर उसकी ठंड से गरमी से व बिमारी से रक्षा कौन करता है?  वचन कहता है - ‘‘हमारे प्रभु ईष्वर के सदृष कौन है? वह उच्च सिहांसन पर विराजमान हो कर स्वर्ग और पृथ्वी, दोनों पर दृष्टि रखता है। वह धूल में से दीन हीन को और कूडे पर से दरिद्र को ऊपर उठाता है।’’ स्तोत्र113ः7
सच्ची खुषी और शांति प्रभु से ही आती है। वही हमारा उद्धार कर सकता है। हमारी सब प्रकार की चिंताओं, परेषानियों, समस्यओं का एकमात्र समाधान प्रभु येसु मसीह ही है। जिनके आने की हम तैयारी कर रहे हैं। आज का पहला पाठ हमसे कहता है - जब प्रभु आ जायेंगे तब अंधों की आंखें देखने और बहरों के कान सुनने लगेंग। लंगडा हरिण की तरह छलांग भरेगा और गुंगे की जीभ आनंद का गीत गायेगी।’’ सुसमाचार में हमने सुना कि योहन बपतिस्ता अपने षिष्यों को प्रभु येसु के पास ये पता करने भेजते हैं कि वही मसीहा हैं जो आने वाले हैं या फिर वे किसी और का इंतजार करें। इस पर प्रभु येसु उनसे कहते हैं - तुम जो देख रहे हो वही जा कर बता दो - अंधे देखते लंगडे चलते गूंगे बोलते और मूर्दे जिंदा हाते हैं। और दरिद्रों को सुसमाचार सुनाया जाता है।
प्रभु येसु हम सब की विभिन्न प्रकार की दुर्बलताओं, कमजोरियों व जो कुछ कमी हममें हैं उनकी पूर्ति करने आये हैं। वे हमें सब रूप से परिपूर्ण बनाने आये हैं। इस परिपूर्णता के राज्य में प्रवेष करने के लिए हममें योहन बपतिस्ता जैसी विनम्रता का होना अति आवष्यक। वह अपने आप को प्रभु येसु के सामने कुछ भी नहीं मानते हैं। उनका जूता उठाने के योग्य भी नहीं। योहन बपतिस्ता के पास भी बहुत ही शक्ति थी। ईष्वरीय अनुग्रह था पर वह उस पर दंभ नहीं भरता। सृष्टि के प्रारम्भ में लूसीफेर को भी ईष्वर ने असीम शक्ति व सामार्थ्य दिया। किंतु उसने उसका दुरउपयोग किया। वह प्रभु से भी बडा बनना चाहता था। लेकिन उसका क्या हाल होता है हम सब जानते हैं। प्रभु येसु कहते हैं कि योहन मनुष्यों में योहन बपतिस्ता से बढकर कोई नहीं। पर जो भी स्वर्गराज्य में छोटा है वह योहन से भी बडा है। प्रभु को वचन कहता है - ईष्वर घमंडियों का विरोध करता, किंतु विनम्र लोगों पर दया करता है। आप शक्तिषाली ईष्वर के सामने विनम्र बने रहें, जिससे वह आप को उपयुक्त समय में ऊपर उठाए। आप अपनी सारी चिंताए उस पर छोड दो, क्यांकि वह आपकी सुधि लेता है’’ (1 पेत्रुस 5ः5-7)। हम प्रभु के सामने झूकना सिखें। क्योंकि उनके बिना हमारा जीवन कुछ भी नहीं। आज का वचन उन बच्चों के लिए उन नव जवानों के लिए एक चुनौति भरा है जिन्हें प्रार्थना करना, भक्ति करना, चर्च जाना आदि गुजरे जामाने की चिजें लगती है। समय रहते ये पहचान लिजीए कि हम प्रभु पर उन की दया पर ही निर्भर है अन्यथा हमारा कोई भी अस्तीत्व नहीं है।
खुष रहने का सर्वोत्तम तरीका है प्रभु पर आश्रित होना। आईये हम हामारी सारी चिंताएं प्रभु पर छोड दें वह हमारी सुधि लेता है। आमेन।

Saturday, 3 December 2016

आगमन का दूसरा रविवार year A

इसायाह 11:1-10
रोमियो 15:1-9
मत्ती 3:1- 12

आज आगमन का दूसरा रविवार है। जैसा कि हम आगमन काल में प्रभु येसु के प्रथम आगमन की यादगारी में , उनके देहधारण का पर्व मनाने की तैयारी करते हैं। मसीहा के आगमन के बारे में बताते हुए नबी इसायस आज के पहले पाठ मे हमसे कहते हैं कि ‘‘वे न तो जैसे-तैसे न्याय करेगा, और न सुनी-सुनाई के अनुसार निर्णय देगा। वह न्यायपूर्वक दीन-दुःखियों के मामलों पर विचार करेगा और निष्पक्ष हो कर देष के दरिद्रों को न्याय दिलायेगा।’’(इसायाह 11:3-4)। जि, हाँ प्रभु हमारा न्याय करने आ रहे हैं वे हमारे बाहरी रंग रूप का नहीं बल्कि हमारे अंतःकरण का न्याय करेंगे। आज के सुसमाचार में हमने सुना योहन बपतिस्ता कहते हैं - ‘‘वे हाथ में सूप ले चुके हैं, जिससे वे अपना खलिहान ओसा कर साफ करें। वे अपना गेहूँ बखार में जमा करेंगे। वे भूसी को न बुझने वाली आग में जला देंगे।’’
यहाँ प्रभु अपनी प्रजा की तुलना गेहूँ की फसल से करते हैं। प्रभु अपने द्वितीय आगमन के दिन गेंहू को भूसी से अलग कर देंगे। प्रभु कुकर्मियों को धर्मियों से अलग कर देंगे। धर्मी रूपी गेहूँ स्वर्ग के बखारों में जमा किये जायेंगे व पापी रूपी भूसी को कभी न बुझने वाली आग में फेंक दिया जायेगा।
नबी इसायस आज के पहले पाठ में कहते हैं की जब मसीहा का आगमन होगा तो उनके  राज्य में भेडिया मेमने के साथ रहेगा, चीता बकरी की बगल में लेट जायेगा, बछडा तथा सिंह-शावक साथ-साथ चरेंगे और बालक उन्हें हांँक कर ले चलेगा। गाय और रीछ में मेल-मिलाप होगा और उनके बच्चे साथ-साथ रहेंगे। दुधमुँहा बच्चा नाग के बिल के पास खेलता रहेगा और बालक करैत की बाँबी में हाथ डालेगा।
इस भविष्यवाणी का क्या अर्थ है? क्या शेर जो कि एक माँसाहारी जीव है घास खाना प्रारम्भ कर देगा? क्या भेडिया सच में मेमने के साथ चरने लगेगा? मैं नहीं सोचता। यहाँ नबी दो प्रकार के जन्तुओं के बारे में बतलाते हैं। एक तो वे हैं जो भोले-भाले व निष्कपट हैं जैसे - मेमना, बकरी, बछडा, बालक, दुधमुँहा बच्चा। और दूसरे वे हैं जो कि हिंसक व जहर उगलने वाले हैं जैसे- भेडिया, चीता, सिंह, रीछ, और नाग। ये जानवर दो प्रकार के लोगों की ओर संकेत करते हैं अर्थात एक वे लोग जो मन के निर्मल, भोले-भाले व निष्कपट हैं तथा दूसरे वे लोग जो विभिन्न प्रकार की हिंसा, आंतक, दुष्मनी के ज़हर एवं वेमनस्य से भरे हुए हैं। नबी कहते हैं कि प्रभु के राज्य में ये सब लोग एक साथ प्रेम-भाव व मेलजोल से रहेंगे। और जब प्रभु येसु ने अपने राज्य की स्थापना की तो ऐसा ही हुआ। साउल जो कलीसिया का कट्टर विरोधी था जो प्रभु के भक्तों के विरूद्ध जहर उगलता था, जिसका नाम सुनते है ही लोग काँपने लगते थे, जब उसने प्रभु को पहचाना, जब उसने प्रभु के राज्य को अपने जीवन में स्वीकार किया तो वे पूर्ण रूप से बदल गये। उन्होंने न केवल हिंसा के मार्ग को छोडा लेकिन वे उसी प्रभु के जिसके वे विरोधी थे एक उत्साही प्रचारक बन जाते हैं। वही लोग जो उनसे डरते थे अब उनके पास आकर प्रभु की वाणी सुनने लगते। यही है भेडिये का मेमने के साथ रहने का अर्थ। प्यारे भाईयों और बहनों, प्रभु येसु हमसे कहते हैं कि मैं ने तुम्हें भेडियों के बीच भेडों की तरह भेजा है। आज कई प्रकार के खुंखार भेडिये एवं प्रभु के लोगों के विरूद्ध हिंसा का जहर उगलने वाले कई साँप विद्यमान हैं। वचन कहता है हमें इनके साथ मेल-मिलाप व भाईचारे के साथ रहना है। जिस प्रेम, शांति व एकता के राज्य को प्रभु येसु इस दुनिया में लेकर आये थे उसे यहाँ हमारे बीच साकार करने की जिम्मेदारी हम सब की है। हमें अंधकारमय इस जग में प्रभु की ज्योति जलाना है। हमें पृथ्वी के नमक और संसार की ज्योति बनना है। हमें हिंसा, द्वेष एवं दुष्मनी घावों को प्रेम, क्षमा एवं मित्रता से भरना है।
इस संदर्भ में मैं हमारे ही धर्मप्रान्त के उदयनगर पल्ली की वह घटना याद करता हूँ जहाँ  सि. रानी मरिया को कुछ असामाजिक तत्वों ने मारवा दिया। लेकिन उनकी हत्या की सुपारी लेने वाले समंदरसिंह के जीवन में एक अमुलभूत परिवर्तन आया। उसके जिस खूनी हाथों से उसने रानी मरिया को बडी क्रूरतापूर्वक मौत की निंद सुला दिया था, उसी हाथों में रानी मरिया की बहन ने राखी बांध कर उसे पूर्ण रूप से क्षमा करते हुए अपना भाई बना लिया। अब वही हत्यारा सिस्टर के परिवार का एक सदस्य बन गया है। वह केरल उनके माता-पिता से मिलने जाता है, सिस्टर लोगों के उदयनगर स्थित कॉन्वेंट में उनके साथ भोजन करता है। मैं सोचता हूँ नबी इसायस इसी प्रकार के एक दिन की भविष्यवाणी करते हैं। हर एक ख्रीस्तीय भाई बहन इसी लिए बुलाए गये हैं। हमें पापमय भटकती हुई मानवता को प्रभु के पास लाना है, सबों को प्रभु का मार्ग दिखलाना है। लेकिन दूसरों को सुधारने से पहले हमें अपने भीतर झांक कर देखना चाहिए, कहीं न कहीं हमारे अंदर भी एक खुंखार भेडिया, एक हिंसक शेर, अथवा एक जहरीला सांप छिपा हुआ है। हम स्वयं अपने भाई-बहनों को नीचा दिखाने, दूसरों की इज्जत धूल में मिलाने, दूसरों की उन्नती पर ईर्ष्या से जलने एवं अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए कई प्रकार के गलत कदम उठाने का काम करते हैं। सबसे पहले हमें सुधरने की जरूरत है। हम सब अपने पापों पर पश्चाताप करें क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है। प्रभु हमारे पास जल्द ही आने वाले हैं। इसिलिए संत योहन बपतिस्ता कहते हैं - प्रभु का मार्ग तैयार करो, उसके पथ सीधे कर दो। आईये हम हमारे अंदर से सब प्रकार की बुराइयों को दूर करें,  हमारे बात, विचार, व्यहार, एवं कार्य जो प्रभु को हमारे जीवन में आने में बाधक हैं, हमारे जीवन से दूर कर दें। और उनकी जगह हम भलाई के कुछ काम करें, किसी की मदद करें, किसी के जीवन में खुशियाँ लाएं। आमेन।