Saturday, 31 December 2016

New Year Mass , ईश माता का पर्व

1 जनवरी ईश माता का पर्व
2017

आज हम नये साल की शुरूआत ईष माता मरियम के पर्व के साथ करते हैं। मा मरियम कृपाओं से भरपूर की गयी थी। उनको प्राप्त सब कृपाओं में ईष्वर की माता बनना सब सबसे श्रेष्ठ था। मरियम की महानता इसमें है कि उनके हाँ कहने पर हमारी मुक्ति का द्वार खुल गया। उन्होंने कहा ‘‘देख, मैं प्रभु की दासी हूँ तेरा कथन मुझमें पूरा हो जाए’’ और उसी क्षण शब्द ने उनके गर्भ में देहधारण किया; उसी क्षण ईष्वर का शब्द उनके गर्भ में शरीर धारण कर मनुष्य बन गया। इस प्रकार मरियम ईष्वर की माता बन गई; हमारे मुक्तिदाता की माता बन गई और हमारी मुक्ति में एक महान सहायक बन गई।
ईष-माता का समारोह यद्यपि कलीसिया के आरम्भ से  मनाया जाता रहा है किंतु इसे हमारे काथलिक धर्मसिद्धांत के रूप में मान्यता एफेसुस की परिषद में सन् 431 में दिया गया। हम संत योहन के सुसमाचार में पढते हैं कि - ‘‘आदि में शब्द था, शब्द ईष्वर के साथ था और शब्द स्वयं ईष्वर था। उसके द्वारा सब कुछ उत्पन्न हुआ और उसके बिना कुछ भी उत्पन्न नहीं हुआ........ष्(और उसी) शब्द ने शरीर धारण कर हमारे बीच निवास किया।’’ योहन 1ः1, 14 याने प्रभु येसु, पिता के एकलौते पुत्र अनादि वचन है जो आदि में पिता के साथ विद्यमान था, जिसे ‘‘समय पूरा हो जाने पर ईष्वर ने इस संसार में भेजा। वह एक नारी से उत्पन्न हुआ और संहिता के अधीन रहा, जिससे वह संहिता के अधीन रहने वालों को छुडा सकें और हम ईष्वर के दत्तक पुत्र-पुत्रियां बन जाये’’ ( गला 4ः4-5) इसका मतलब ये हुआ कि प्रभु येसु स्वयं ईष्वर थे जो अनन्तकाल से विद्यमान है। तथा मानव मुक्ति के लिए वे स्वयं एक मनुष्य बन गये। मनुष्य बनने के लिए ईष्वर ने एक कुँवारी को अपने बेटे की माँ बनने के लिए चुना। इसलिए माँ मरियम ईष्वर की माँ है। उनके शरीर में रहकर ईष्वर जो अदृष्य थे; जिसका शरीर नहीं था एक शरीर धारण करते हैं। यही कलीसिया का विष्वास है; यही पवित्र बाईबल हमें सिखलाती है। किंतु चौथी व पांचवीं शताब्दी में कुछ भ्रांत धारणाओं का उदय हुआ। कुछ लोगों ने गलत षिक्षा का प्रचार करना प्रारम्भ कर दिया। मुख्य विवाद इस बात को लेकर था कि येसु ख्रीस्त सममुच में ईष्वर थे या फिर मनुष्य थे। कुछ लोगों का मत था कि येसु केवल ईष्वर थे मनुष्य नहीं थे और कुछ का मानना था कि वे मनुष्य थे ईष्वर नहीं थे। इनमें आरियुस व नेस्टेरियुस दो प्रमुख व्यक्ति थे। आरियुस का मानाना था कि येसु ख्रीस्त ईष्वर नहीं है उनमें कोई दिव्यता नहीं है वे तो ईष्वर एक रचना है। एक ऐसा समय था जब येसु का कोई अस्तित्व नहीं था। तब ईष्वर ने किसी अन्य तत्व से उसकी रचना की। यदि येसु ईष्वर नहीं है तो माता मरियम ईष्वर की माता नहीं कही जा सकती। कलीसिया ने 325 ईसवीं में नाइसिया में इस गलत षिक्षा का खंडन किया व यह प्रतिपादित किया कि ‘‘हम एक ही येसु ख्रीस्त में, जो सभी युगों के पहले पिता से उत्पन्न है। वह ईष्वर से उत्पन्न ईष्वर, प्रकाष से उत्पन्न प्रकाष सच्चे ईष्वर से उत्पन्न सच्चा ईष्वर है। वह बनाया हुआ नहीं, उत्पन्न हुआ है।’ इसी प्रचीन  विष्वास को हम हर रविवार को दोहराते हैं।  दूसरे व्यक्ति थे नेस्टिरियुस उसका मानना था कि येसु ख्रीस्त में दो प्रकार के व्यक्त्वि थे एक तो दिव्य अथवा ईष्वरीय व्यक्ति दूसरा मानवीय व्यक्ति तथा मरिमय केवल मानवीय येसु की माँ थी ईष्वरीय येसु की नहीं इसलिए वह ख्रीस्त की माता है ईष माता नहीं। 341 में एफेसुस की महासभा में इस गलत षिक्षा का खंडन किया और कहा ‘‘ उसका और पिता का तत्व एक है...वह हम मनुष्यां के लिए और हमारी मुक्ति के लिए स्वर्ग से उतरा और पवित्र आत्मा के द्वारा कुँवारी मरियम से शरीर धारण कर मनुष्य बन गया। याने प्रभु येसु पूरी तरह से ईष्वर है और पूरी तरह से मनुष्य। जब ईष्वर के शब्द ने माँ मरियम के गर्भ में प्रवेष किया तो प्रभु येसु की ईष्वरीयता व उनकी मानवता का एक व्यक्ति प्रभु येसु ख्रीस्त में विलय हो गया। पवित्र त्रित्व के दूसरा व्यक्ति जो ईष्वर था अब उनमें एक स्वभाव जुड गया और वो स्वभाव था मानवीय स्वभाव। तो हम पूरी तरह से ये कह सकते हैं कि माता मरियम ईष्वर की माँ है।
ईष माता होने के साथ ही साथ वो हम सब की, सारी कलीसिया की माँ है। वह हमारे ख्रीस्तीय जीवन का आदर्ष है। उनमें कोई दिव्यता नहीं थी ईष्वरीयता नहीं थी। वह तो नाज़रेथ की एक साधारण सी बालिका थी परन्तु ईष्वर ने उसे अपने एकलौते पुत्र की माँ बना दिया। इस प्रकार वह सब मानवों में सर्वश्रेष्ठ बन गयी। प्रभु येसु कहते हैं संत लूकस 7ः28 में ‘‘ मैं तुमसे कहते हूँ मनुष्यों में योहन बपतिस्ता से बडा कोई नहीं। फिर भी, ईष्वर के राज्य में जो सब से छोटा है, वह योहन बपतिस्ता से बडा है।’’ हम जानते हैं कि माँ मरियम ने ईष्वर की माँ बन जाने पर भी कोई घमंड नहीं किया। उन्होंने स्वयं को एक दासी ही माना और स्वर्गदूत से कहा ‘देखिए र्मैं प्रभु की दासी हूँ आपका कथन मुझमें पूरा हो जाये। माँ मरिमय अपने जीवन द्वारा हमें दीनता का पाठ पढाती हैं। वो प्रभु येसु की सबसे पहली व सर्वोत्तम षिष्या थी। बेतलेहेम  से लेकर कलवारी तक उसने येसु का अनुसरण किया। और हमें येसु के सच्चे षिष्य बनने का रास्ता दिखलाया।
वह न केवल येसु की माता है वरन हम सब की माता है क्योंकि स्वयं येसु ने क्रूस पर से उन्हें हमारी माता के रूप में हमें सौंपा है। हम संत योहन के सुसमाचार में पढते हैं येसु संत योहन से कहते हैं - ‘‘यह तुम्हारी माता है’’ और माँ मरियम से कहते हैं - ‘‘यह आपका पुत्र है’’ (यो 19ः27)। और वचन आगे कहता है उस समय से उस षिष्य ने अपने यहाँ उसे आश्रय दिया।’’ संत योहन ने क्या किया? तब से माँ मरियम को अपने घर में जगह दी। अपनी ही माँ के रूप में, अपने ही परिवार के एक सदस्य के रूप में। हम सब यदि यसु की माँ को अपनी माता मानते हैं, स्वीकरते हैं तो हमें भी उन्हें अपने घरों में ले जाना होगा। माता मरियम को हमारे परिवारों में जगह देना होगा; हमारे परिवार के ही एक सदस्य के रूप में माँ को स्वीकार करना होगा। क्योंकि उनके पुत्र यही आखिरी ख्वाहीष थी अपनी माँ को लेकर कि उसका हर अनुयायी उनकी माँ को अपनी माँ समझे व उसे अपने घर ले जाये। उसने अपनी माँ को हमें इसलिए दे दिया कि वह हमारे साथ रहकर हमारी ज़रूरतों में हमारे लिए प्रार्थना करती रहे। वह हमारी परिवार में रहकर हमारे परिवारों को नाज़रेथ के पवित्र परिवार की तरह एक पवित्र व आदर्ष परिवार बनानें में हमारी मदद करे। हमें धर्म मार्ग पर चलाये व शैतान के प्रलोभनों से हमारी रक्षा करे क्योंकि ईष्वर ने शैतान की सारी शक्तियों को माँ मररियम के पैरों तले डाल दिया है।
ख्रीस्त में प्यारे भाईयों और बहनों प्रभु येसु द्वारा हमें प्रद्त इस अमुल्य उपहार को हम हमारे घरों में, हमारे परिवारों में कैसे रख सकते हैं। मैं सोचता हूँ पवित्र रोज़री माला से उत्तम और कोई साधन नहीं जिसके द्वारा हम माँ मरियम को अपने घरों में बुला सकते हैं उनका आह्वान कर सकते हैं, उनसे प्रार्थना की अरज कर सकते हैं। जिस घर में रोज़री माला विनती होती है माँ मरियम उस घर में रहती है, उस घर का, उस परिवार का एक अभिन्न अंग बनकर। उनकी प्रार्थनायें माँ प्रभु तक जल्दि पहुँचा देती है।
आईये हम माँ मरियम को अपने घरों में जगह दें, रोज उनका स्मरण करें, वो ईष्वर की माता व हम सब की माता है।

No comments:

Post a Comment