इसायाह ६२:१-५
१ कोरिंथियों १२: ४-११
योहन २:१-११
वर्ष का पहला रविवार
प्रभु अपनी प्रजा को एक नया नाम देगा, जो उनके पवित्र मुख से उच्चारित होगा. पवित्र बाइबिल में नाम का बड़ा महत्व है। ईश्वर के लिए नाम बहुत मायने जखता है। उत्त्पति ग्रन्थ १७ में हम पाते हैं कि अपना विधान अब्राम के साथ स्थापित करते समय ईश्वर ने उसे एक नया नाम दिया - 'इब्राहिम' जिसका मतलब है राष्ट्रों का पिता। याकूब को भी ईश्वर एक नया नाम देते हैं - इस्राएल जिसका अर्थ है - प्रभु विजयी हो। होशिआ के ग्रन्थ १,४ में हम पढ़ते हैं - "प्रभु ने उससे कहा, उसका नाम यिज्रएल रखना;" उसी प्रकार मसीहा के विषय में भी इसायाह ने भविष्यवाणी की कि उसका नाम इम्मानुएल रखा जायेगा जिसका मतलब है ईश्वर हमारे साथ है। वही ईश्वर हमसे यह कहता है - हे इस्राएल तेरा रचने वाला और हे याकूब तेरा सृजनहार यहोवा अब यों कहता है, मत डर, क्योंकि मैं ने तुझे छुड़ा लिया है; मैं ने तुझे नाम ले कर बुलाया है, तू मेरा ही है।" नाम लेकर बुलाने का अपना एक महत्व है। उसने हमें हमारा नाम लेकर बुलाया है, याने वह हमें जनता है। हमें व्यक्तिगत रूप से जनता है। यदि हमारे देश का प्रधान मंत्री मुझे नाम से जनता है तो में इसे बड़े गर्व की बात मानुगा । पर यह तो सिर्फ एक देश का शासक है। यहाँ तो पुरे ब्रह्माण्ड का रचने वाला मुझे व्यक्तिगत रूप से जनता है। इससे बड़ा सौभग्य और क्या हो सकता है? किसी को नाम से बुलाने में अपनेपन की भावना होती है। जब प्रभु आज अपने वचन में हमसे कहते हैं कि वे हमें एक नया नाम देने जा रहे हैं,याने वे हमें अपनाने जा रहे हैं, हमें अपना बनाने जा रहे हैं। हमें एक नयी पहचान देने जा रहे हैं। अपने बेटे बेटियों के रूप में एक नई पहचान देने प्रभु हमें बुला रहे हैं। जिन्हें पिता अपने बेटे बेटियाँ बनाता है वह उन्हें अपना पवित्र आत्मा प्रदान करता है। वह कहता है संत लूकस 11, 13 में वह कहते हैं कि दुनिया के माता पिता बूरे होने पर भी अपने बच्चों को सहज ही अच्छी चीजें¬ प्रदान कर देते हैं तो मांगने पर स्वर्गिक पिता अपने बच्चों को पवित्र आत्मा क्यों नहीं देगा। पवित्र आत्मा के द्वारा पिता हमें अपने ईष्वरत्व में सहभागी बनाता है। पवित्र आत्मा के द्वारा वह किसी को प्रज्ञा, किसी को ज्ञान के शब्द, किसी को विशवास, और किसी को रोगियों को चंगा करने का, व किसी को चमत्कार दिखाने का, किसी को भविष्यवाणी करने का तो किसी को आत्माओं की परख करने व किसी को भविष्यवाणी करने का वरदान देता है जैसा कि संत पौलुस आज के दूसरे पाठ में हमें बतलाते हैं। संत पौलुस कहते हैं कि ईष्वर अपने बच्चों को आत्मा के विभिन्न वरदान प्रदान करता है जिससे वे सबोें के हित के लिए पवित्र आत्मा को प्रकट करे। उसी आत्मा से भरकर प्रभु येसु अपनी सेवकाई प्रारम्भ करते हैं और गलीलिया के काना में अपना प्रथम चमत्कार दिखाते हैं। और माता मरियम उसी आत्मा की प्रेरणा से उस परिवार के लिए मध्यस्थता करती है। प्रभु जिन्हें बुलाते हैं, उन्हें इस दुनिया में अपनी भुमिका अदा करने के लिए उन्हें पर्याप्त कृपा व सामर्थ्य प्रदान करते हैं। यदि हम अपने आपको चुनी हुई प्रजा मानते हैं तो हम उसके आत्मा के वरदानों से भर जाने के लिए लालायित रहें। वह हमें अपना आत्मा प्रदान करेगा और हमें उसके राज्य के प्रचार के लिए प्रज्ञा, ज्ञान, चंगा करने की शक्ति, और चमत्कार दिखाने की शक्ति प्रदान करेंगे। जिससे हममें भी काना के विवाह की तरह लोगों की समस्याओं को ईष्वर के आत्मा के सामाथ्र्य से सुलझाने का सामर्थ्य मिलेगा।
आमेन।
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