Friday, 1 July 2016

वर्ष का चैदहवाँ रविवार (वर्ष स)






वर्ष का चैदहवाँ रविवार (वर्ष स)


इसा. 66:10-14

गलातियो 6:14:18

लूकस 10:1-12. 17-20

पीछले रविवार को हमने बुलाहट के विषय में मनन चिंतन किया था। इसी संदर्भ में आज के सुसमाचार में प्रभु 70 शिष्यों को दो-दो करके भेजते हैं जहाँ वे स्वयं जाने वाले थे। (लुक 10:1) वे उनसे कहते हैं - ‘‘फसल तो बहुत है पर मज़दूर थोडे ही हैं, इसलिए फसल के स्वामी से विनती करो कि वह अपनी फसल काटने के लिए मज़दूरों को भेजे।’’ फसल बहुत ज़्यादा है, सारा संसार एक फसल का खेत है; गिने-चुने परिवार अथवा देष नहीं। संत मारकुस के सुसमाचार में प्रभु कहते हैं ‘‘संसार के कोने-कोने में जाकर सारी सृष्टि को सुसमाचार सुनाओ’’ (मार्क 16:51) केवल इंसान ही नहीं सारी सृष्टि को प्रभु की मुक्ति की ज़रूरत है। संत पौलुस कहते हैं कि समस्त सृष्टि प्रभु के लिए कराह रही है। (रोम 8:22)।
‘‘फसल बहुत अधिक है;’’ इसलिए हमारे मानवीय तर्क के अनुसार तो प्रभु को यह कहना चाहिए था कि तुरन्त खेत में जाओ और काम शुरू करो। पर प्रभु हमसे कहते हैं - ‘‘फसल के स्वामी से विनती (प्रार्थना) करो कि वह अपनी दाखबारी में मज़दूरों को भेजे।’’ फसल प्रभु की है। प्रभु स्वयं ही अपनी दाखबारी में काम करने वाले मजदूरों को बुलाते हैं। स्वर्ग राज्य प्रभु की कृपा से स्थापित किया जाता है। कलीसिया इस बात से भलीभाँति वाकिफ़ है और वह इसकी पुरजोर घोषणा करती है कि प्रार्थना व ईश - राज्य के फैलाव में एक गहरा संबध है; प्रार्थना और मनपरिर्वन, प्रार्थना व हृदय परिवर्तन, प्रार्थना व जीवन परिवर्तन, प्रार्थना व ईष वचन की घोषणा व लोगों द्वारा उसे स्वीकार करने में एक गहरा संबंध है। यदि कोई अच्छा प्रवचन देता हो, प्रभु के वचन सुनाता हो पर वो प्रार्थना में प्रभु से नहीं जुडता हो तो उसका काम, उसकी मेहनत फल उत्पन्न नहीं करेगी। वचन कहता है - ’’जिस तरह दाखलता में रहे बिना डाली स्वयं नहीं फल सकती, उसी प्रकार मुझमें रहे बिना तुम भी नहीं फल सकते’’ (योहन 15:)।
प्रभु हमें भेडियों के बीच भेडों की तरह भेजते हैं (लूक 10:3)। ‘‘मैं तुम्हें भेडों की तरह भेजता हूँ’’ यह एक बहुत ही मर्मस्पर्षी चित्रण है। कभी न कभी हम मेसे हर कोई ने डिस्कवरी चैनल देखा ही होगा। उसमें भेड बकरियों का षिकार करते हुए हाइना व भेडियों को आपने ज़रूर देखा होगा। कल्पना कीजिए उस क्षण की जब वह बेचारी भेड हाइना अथवा भेडियों के झूंड में अकेली फंस जाती है। और वे खुंखार षिकारी जानवर अपने ताँत पीसते हुए उस पर झपट पडने के लिए उतावले हो रहे होते हैं। उस बेचारी भेड की मनोस्थिति की कल्पना कीजिए, जिसे अपनी मौत सामने नज़र आती है। हम सब उसी भेड की भाँति इस दुनिया में भेजे गये हैं। हम शेर, चीता अथवा टाइगर बनकर अपना रोब जमाने और दुनिया पर शासन करने नहीं बल्कि दुनिया की सेवा में अपना जीवन अर्पित करने के लिए बुलाये गये हैं। हम इसलिए बुलाए गये हैं कि हम सेवक बनकर पूरी दुनिया को प्रभु के पास ला सकें। सारी सृष्टि को प्रभु के राज्य में मिला सकें। इसके लिए हमें भेडियों के बीच भेडों जैसा बनना पडेगा।  
प्रभु येसु स्वयं भेडियों की बीच एक निर्दोष मेमने के रूप  में पिता के द्वारा भेजे गये थे। लेकिन वे भेडियों के द्वारा पराजित नहीं हुए। प्रकाषना ग्रंथ अध्याय 5: 9 में हम इस बलित मेमने के विषय में सुनते हैं कि स्वर्ग में संतगण इनकी महिमा का गीत गाते हुए कहते हैं- तू पुस्तक खोलने योग्य है, क्योंकि तेरा वध किया गया है। तूने अपना रक्त बहा कर ईष्वर के लिए प्रत्येक वंष, भाषा, प्रजाती और राष्ट्र से मनुष्यों को खरीद लिया है।  और आगे वचन कहता है - लाखों करोडों की संख्या में दूतगण एक स्वर से ये गा रहे हैं - ‘‘बलि चढाया हुआ मेमना, सामथ्र्य, वैभव, प्रज्ञा, शक्ति, सम्मान, महिमा तथा स्तुति का अधिकारी है’’ (वचन12)। इसलिए प्रभु येसु एक पराजित नहीं विजयीमान मेमना है। जिसने सारे संसार पर विजय प्राप्त की है। वे हमसे कहते हैं - ‘‘संसार में तुम्हें क्लेष सहना पडेगा। परन्तु ढारस रखो मैंने संसार पर विजय पायी है’’ (योहन 16:33)।
इसलिए भेडें बनकर जीना, विनम्रता, दया, प्रेम और करूणाभरा जीवन जीना कोई कायरता व कमज़ोरी की बात नहीं। यह हमारी ताकत है, हम इसी से विजय प्राप्त करते हैं। हम लाठी, तलवार अथवा बुन्दुक से नहीं पर प्रभु येसु के द्वारा दिखाए गये विनम्रता, प्रेम दया व क्षमा के मार्ग पर चलकर ही दुनिया पर विजय प्राप्त करते हैं। यही है परमेष्वर का राज्य; शाँति, भाईचारे व प्रेम का राज्य। भेड बनकर जीने में जो ताकत है वह भेडिया बनकर नहीं हासिल की जा सकती। बडे-बडे राजा महाराजाओं व शासकों ने ( जैसे- सिकंदरमहान, हिटलर आदि) अपने राजकीय व सैन्य बल से दुनिया को फतह करने की सोची थी।  लेकिन आज वे बस इतिहास के पन्नों में ही सिमट कर रह गये हैं। परन्तु मदर तेरेसा जिसने दीन-हीन मेमने की राहों पर चलकर स्वयं उस मसीहा की दया व करूणा प्रतिमुर्ति बनकर जीवन जिया।  वे कुछ ही दिनों बाद संत घोषित की जाने वाली है । सारी दुनिया उन्हें अब संत कहकर पुकारेगी। सारी दुनिया उनके नाम पर श्रद्धा के साथ सर झूकायेगी।  वे विजयी मेमने की स्र्वीय सेना सम्मिलित हो गयी है।  इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्हें कई खुंखार भेडियों का सामना करना पडा। लेकिन वो बलीत मेमने प्रभु येसु मसीह के द्वारा दिखाए मार्ग पर नित चलती रही। वे हमेषा ही एक निर्भक, कर्मठ व विनम्र भेड समान बनी रही। उनकी विनम्रता व सहनश्क्ति का एक किस्सा आप लोगों ने सुना ही होगा। किसी दिन वे अपने अनाथ व बीमार बच्चों के लिए भिक्षा मांगने गई। उन्होंने किसी महाजन के सामने अपने हाथ पसारे तो उसने मदर की हथेली पर थूक दिया। मदर ने उसे पोंछ कर फिर अपना हाथ उनकी ओर बढाया और कहा ये तो आपने मेरे लिए दिया अब मेरे बच्चों के लिए भी कुछ दे दीजिए। इस पर उस आदमी का दिल पानी-पानी हो गया। वह खुद को शर्मिंदा  महसूस करने लगा। और तब से मदर के सेवाकार्य में अपना हाथ बंटाने लगा। 
ख्रीस्त में प्यारे भाईयों और बहनों इसे ही कहते हैं भेडियों के बीच भेड बनकर जीना।
आईये हम हमारी इस ख्रीस्तीय बुलाहट को अपने जीवन में उतारने के लिए प्रभु सेआशिष व कृपा माँगे।

आमेन । 

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