इसायाह 60:1-6
एफे 3:2-3,5-6
मत्ती 2:1-12
आज हम प्रभु प्रकाश का पर्व मना रहे हैं। अंग्रजी में इसे द फीस्ट ऑफ एपीफनी कहते हैं। एपीफनी का मतलब होता है - प्रकाशित करना अथवा प्रकट करना। इसप्रकार आज हम दुनिया के मुक्तिदाता बालक येसु का गैरयहूदियों के लिए प्रथम प्रकटिकरण का पर्व मनाते हैं। यह पर्व प्रारंभिक काल से ही कलीसिया द्वारा मनाया जाता आ रहा है। पहले प्रभु येसु के तीन स्थानों पर प्रकटीकरण को एक साथ मनाया जाता था अर्थात् - ज्योतिषियों के द्वारा प्रभु येसु के दर्शन, प्रभू के बपतिस्मा और काना के भोज में येसु द्वारा अपनी ईशवरीय महिमा प्रकट करना। अब इन तीनों घटनाओं की महत्ता को देखते हुए पर्वों को तीन अलग-अलग दिनों का मनाया जाता है। इस साल प्रभु प्रकाश 8 तारीख को पड़ने से प्रभु के बपतिस्मा का पर्व सोमवार को मनाया जायेगा।
आज के दिन हम उस घटना की याद करते हैं जब तीन गैर यहूदी ज्ञानी एक तारे का पीछा करते हुए प्रभु के पास पहुँचते हैं। यह घटना इस बात को साबित करती है कि प्रभु मसीह का जन्म सारी मानवजाती के उद्धार के लिए हुआ है। संत लूकस 2:8 में हम पढते हैं कि प्रभु के जन्म का संदेश अनपढ एवं गरीब चरवाहों को दिया जाता है और वे जाकर उस प्रभु के दर्शन करते हैं। वहीं आज के सुसमाचार में महान विद्वान, ज्ञानी एवं राजा लोग बालक येसु के दर्शन करने आते हैं। येसु सबके प्रभु हैं।
जिस प्रकार से पास्का पर्व के बाद पेंतेकास्त पर्व के दिन कलीसिया का रूप लोगों के सामने मुखर हो जाता है, शिष्यगण खुलकर मसीह की, उसके कार्यों की व उनकी मृत्यु एवं पुनरूत्थान की घोषणा करते हैं। उसी प्रकार ख्रीस्तजयंती
के बाद प्रभु प्रकाश के दिन शिशु येसु सारी मानवजाती के लिए प्रकट हो जाता है। पृथ्वी के सीमांतों से आये हुए ज्ञानियों ने जब दुनिया के रचियता को देखा तो वे घूटनों के बल गिरकर उसकी आरधना करते हैं। उस दीन-हीन बालक में छीपे ईष्वर को वे पहचान जाते हैं, क्योंकि उन पर यह विशेष कृपा की गई थी।
आज इंसान बहुत कुछ जानने का दावा करता है। अपने ज्ञान एवं विज्ञान के बल पर मानव ने कई आविष्कार किये व कई नई खोजें की है। बहुत सारी बातें जो पहले रहस्य हुआ करती थी आज इंसान उनको बेहतर समझने लगा है। परन्तु फिर भी अज्ञानता का अंधेरा बरकरार है। हमारे सामने कई ऐसे सवाल खडे हो जाते हैं जिसका हमारे पास कोई उत्तर नहीं। जिसका विज्ञान के पास कोई उत्तर नहीं। इस संसार में दुःख क्यों है? निर्दोष लोग क्यों मारे जाते हैं? हजारों का ईलाज़ करने वाले डॉक्टर भी क्यों स्वयं की बिमारी के सामने घूटने टेक देते हैं और इस दुनिया से विदा हो जाते हैं? आदि कई ऐसे सवाल है जिसका जवाब सिर्फ प्रभु ही जानते हैं।
जब प्रभु येसु हमारी जिंदगी आते हैं तो हमारी जिंदगी के कठीन से कठीनतम सवालों का जवाब हमें मिल जाता है। हर एक इंसान प्रभु का प्रकाशन है, प्रभु का प्रकटीकरण है। क्योंकि हम प्रभु के रूप एवं सादृष्य में बनाए गये हैं (उत्पत्ति 1:27)। पाप ने हमारे इस रूप को कुरूपित कर दिया, बिगाड दिया लेकिन पाप इसे नष्ट नहीं कर सकता। हमारे उस बिगडे रूप को पुनः सजाने, हमें पुनः ईश्वर का स्वरूप लौटाने के लिए ही प्रभु येसु इस संसार में आये हैं। आज हम वह पर्व माना रहे हैं जब प्रभु हमारे पापमय जीवन की बुझती शमां को पुनः जलाते हैं, प्रभु हमें अंधकारमय अज्ञान से ज्ञान की रोशनि में लाते हैं। आज के पहले पाठ में हमने सुना (इसायाह 60:2-3)- ‘‘पृथ्वी पर अंँधेरा छाया हुआ है और राष्ट्रों पर घोर अंधकार; किंतु तुझ पर प्रभु उदित हो रहा है, तेरे ऊपर उसकी महिमा प्रकट हो रही है।’’ आज प्रभु का वचन हम सब से कह रहा है - ‘‘उठ कर प्रकाशमान हो जा! क्योंकि तेरी ज्योति आ रही है और प्रभु-ईशवर की महिमा तुझ पर उदित हो रही है’’ (इसायाह 60:1)। जिस प्रकार से चंद्रमा सूर्य की रोशनी ग्रहण करके स्वयं प्रकाशमान हो जाता है। और रात्री के अंधकार को चीरते हुए पथिकों को राह दिखाता है, आईये हम भी मुक्तिदाता येसु की रोशनी से अपने आपको आलौकित कर लें। हम उसके तेज से, उसके प्रकाश से भर जायें। इस पापमय अंधकार में डूबी दुनिया में हम एक टिमटिमाता एक तारा बन जायें, एक अनोखा तारा!
ज्यातिषियों ने एक अनोखा तारा देखा और उनमें उत्सुकता जगी। और उस तारे का पीछा करते हुए वे मसीह तक पहुंच गये। आज हम सब इस दुनिया में एक अनोखा तारा बनें जिसे देखकर दुनिया के लोग प्रभु के पास आ सकें। जि हाँ, यदि हम अन्य तारों की तरह ही टिमटिमाते रहे तो कोई भी हमारी तरफ ध्यान नहीं देगा, और न ही प्रभु के पास आ पायेगा। यदि मेरा पडोसी शराब पीता है और मैं भी वही करता हू, मेरी गली वाले लडाई-झगडा करते हैं मैं भी ऐसा ही करता हूँ, मेरे ऑफिस वाले बेईमान है, मैं भी बेईमानी करता हूँ, मेरी सहेली ने गर्भपात करवाया है, मैं भी करवा लेती हूँ, मेरे दोस्त लोग तो नियमित मंदिर नहीं जाते मैं क्यों चर्च नियमित जाऊँ। हम ऐसा जीवन जीने के लिए नहीं बुलाये गए है। प्रभु का वचन कहता है - ‘‘आप इस संसार के अनुकूल न बनें, बल्कि सब कुछ नयी दृष्टि से देखें और अपना स्वभाव बदल लें’’ (रोमियो 12:2)। हमें इस जग की धारा के विपरीत तैरना है। हमें हज़ारों तारों के बीच एक विचित्र तारे की तरह चमकना है। जिस तरह से उन ज्ञानी लोगों ने उस विचित्र तारे को देख कर सवाल किया कि ये तारा क्यों सब तारों से अलग है? यह क्या संदेश देना चाहता है? और उन्हें जवाब में प्रभु मिल गये। उसी प्रकार अन्य लोग, हमारे पडोसी, हमारे मित्र हमें देखकर ये पुछे कि ये बंदा क्यों बाकि लोगों से अलग है, ये गाली क्यों नहीं देता, क्यों नहीं लडता, ये रिशवत क्यों नहीं लेता, ये क्यों इतना दयालु है, ये क्यों बदला नहीं लेता, सबों को माफ क्यों कर देता है? और अपनी इस खोज में वे प्रभु को उसके वचनों और उनके संदेश को जानने लगेंगे। तब गैर ख्रीस्तीयों पर प्रभु प्रकट हो जायेंगे। यही है प्रभु प्रकाश का पर्व। आईये हम आज की इस दुनिया में हमारे आस-पास के लोगों के लिए एक अनोखे तारे का किरदार निभायें। ताकि हमें देखकर कई लोग प्रभु को जाने व उनके संदेश को अपने जीवन में उतारें और मुक्ति प्राप्त करें। आमने।
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