मरियम रोगियों का स्वास्थ्य
आाज हम माता ‘मरियम रोगियों का स्वास्थ्य’ इस विषय पर मनन चिंतन करते हैं। प्यारे मित्रों पवित्र बाइबल के अनुसार बिमारियों की जड़ मनुष्य का पाप है। सब प्रकार के मानवीय दुःखों की शुरूआत मनुष्य के आदि पतन से होती है। हमारे आदि माता-पिता ने पाप किया और वे ईश्वर की कृपा व महिमा से वंचित हो गये। और उनके बाद आने वाली उनकी संतानें पीढी दर पीढी पाप
करती रहीं और परिणामस्वरूप ईश्वर की कृपा व महिमा से वंचित रही। रोमियों 3ः23 में प्रभु का वचन कहता है - ‘‘सबों ने पाप किया और सब ईष्वर की महिमा से वंचित किये गये है।’’ तो हमारे रोगों और दुःखों का कारण यही है। हम ईश्वर की महिमा से दूर हैं। जब तक हमारा उद्धार नहीं हो जाता, जब हम अपने स्वदेश याने स्वर्ग में ईश्वर के महिमाय निवास में नहीं लौट जाते दुःख पीडायें और रोग तो हमेशा मानव जीवन का हिस्सा बने रहेंगे।
परन्तु पवित्र बाइबल हमें यह भी बतलाती है कि हमारा ईश्वर एक प्रेमी ईश्वर है। स्तोत्र ग्रन्थ 34ः19 में प्रभु का वचन कहता है - ‘‘प्रभु दुःखियों से दूर नहीं है। जिनका मन टूट गया है, प्रभु उन्हें सँभालता है।’’ और स्तोत्र 103ः3 में वचन कहता है - ‘‘वह तेरे सभी अपराध क्षमा करता और तेरी सारी दुर्बलताएँ दूर करता है।’’ याने प्रभु हमारी दुर्बलताओं को हमारे पापमय स्वभाव को जानता है। हम सारे पापी हैं यह कह कर वह हमें नहीं त्यागता परन्तु वह हमारे पापों को क्षमा करता और हमें चंगा करता है। जि हाँ निर्गमन ग्रंथ 15ः26 में वचन कहता है - ‘‘मैं वह प्रभु हूँ जो तुम्हें चंगा करता है।’’
सुसमाचार में हम पाते हैं कि प्रभु येसु कई रोगियों को चंगाई प्रदान करते हैं। रोगी उनके पास आते थे और वे उन पर तरस खाकर उन्हें स्वस्थ कर देते थे। वहीं प्रेरित चरित में हम पाते हैं उन्हीं येसु मसीह के नाम पर प्रेरितगण रोगियों को चंगा करते हैं। और आज भी कई लोग प्रभु येसु मसीह के नाम पर चंगाई पाकर उनके महिमामय नाम की गवाही देते हैं। क्योंकि वह एक जिंदा खुदा है और आज भी कार्य कर रहा है।
प्रभु येसु को चंगाईदाता कहकर पुकारना इसलिए उचित जान पडता है परन्तु कैथोलिक भाई बहनों व कई मरियम भक्तों के द्वारा मरियम को रोगियों का स्वास्थ्य कहकर पुकारना कई लोगों को नहीं सुहाता। कई लोग यह कहते हैं कि ऐसा कहकर हम मरियम को येसु की बराबरी में लाकर खडा कर देते हैं। पर प्यारे भाईयों और बहनों ऐसा हरगिज नहीं है। हमें सबसे पहले यह समझ लेना चाहिए कि मरियम हम सब के जैसी एक मनुष्य है। जि, हाँ पर वे मुक्तिदाता येसु की माँ होने के नाते ईश्वर की कृपापात्र है। स्वर्गदूत गाब्रिएल जब उनके पास आया तो सबसे पहली बात जो उसने मरियम के बारे में कही वो यही थी - ‘‘प्रणाम प्रभु की कृपा पात्री..’’ दूसरे शब्दों में कहें तो प्रणाम प्रभु की कृपा से भरपूर अथवा कृपाओं के भंडार। मरियम येसु अथवा ईश्वर की बराबरी तो नहीं करती पर ईश्वर की मुक्तियोजना में अपनी भागिदार निभाकर वह येसु के साथ हमारी मुक्ति में सहभागिनी हैं।
प्रभु येसु संत योहन 10ः10 में कहते हैं मैं इसलिए आया हूँ कि वे जीवन प्राप्त करें पर बहुतायत का जीवन प्राप्त करें। प्रभु येसु हमें हर तरह से जीवन की परिपूर्णता देने आये हैं । याने हमें रोगों से, श्रापों से, बंधनों से, व सब प्रकार के दुःख दर्दों से मुक्त करने आये। और इन सब कार्यों को सम्पन्न करने हेतु मरियम ने येसु के साथ सहभागिता निभाई है। मरियम ने ईश्वर की इस मुक्तियोजना को सम्पन्न कराने हेतु मुक्तिदाता को हमें प्रदान किया जो हमें हमारे सब रोगों से चंगाई प्रदान करता है। जिसमें मरियम की सहभागिता को नकारा नहीं जा सकता।
वचनों को थोडा और गहराई से यदि हम पढें तो यह बात और अधिक स्पष्ट हो जाएगी
प्रज्ञा ग्रंथ 16ः12 में हम पढते हैं - ‘‘क्योंकि उसे किसी जडी-बूटी या लेप से स्वास्थ्यलाभ नहीं हुआ, परन्तु प्रभु तेरे शब्द ने उसे चंगा किया।’’
और वैस ही स्तोत्र 107ः20 में भी हम पढते हैं - ‘‘उसने अपना वचन भेजकर उन्हें चंगा किया’’
पवित्र बाइबल इन वचनों के द्वारा यह स्पष्ट करती है कि ईश्वर का वचन चंगाई प्रदान करता है, स्वास्थ्य प्रदान करता है। और संत योहन के सुसमाचार 1ः14 में हम पढते हैं - "शब्द ने शरीर धारण कर हमारे बीच निवास किया।’’
अब हम यह तो अच्छी तरह से जानते हैं कि शब्द ने शरीर कहाँ धारण किया। बेशक - मरियम के गर्भ में। मरियम के गर्भ में स्वास्थ्य प्रदान करने वाला शब्द शरीर बना। मरियम वह खुशकिस्मत इंसान थी जिनकी कोख मेें दुनिया की सारी बिमारियों का स्वास्थ्य, ईश्वर का वचन, नौ महिने तक रहकर इंसान के रूप में इस दुनिया के दुःख दर्द व बिमारियाँ हरने आया। अतः मरियम को रोगियों का स्वास्थ्य उनकी किसी निजी ताकत अथवा शक्ति के कारण नहीं बोलते, पर सब रोगों के स्वास्थ्य अनादि से विद्यमान वचन को मनुष्य रूप में हमें प्रदान करने में उनके द्वारा निभाई महान भुमिका के कारण कहते हैं। साथ ही येसु को अपने शरीर में धारणकर वह स्वयं येसुमय हो गई थी या फिर येसु से भर गई थी।
प्रेरित चरित 3 में हम पढते हैं पेत्रुस और याकूब एक लंगडे व्यक्ति को येसु मसीह के नाम पर चंगाई प्रदान करते हैं। और आज भी कई प्रभु के सेवक सेविकाएं येसु मसीह के नाम पर उनके वचनों के सामर्थ्य से चिन्ह, चमत्कार और चंगाई प्रदान करते हैं। यदि हम जैसे निरे मनुष्यों की प्रार्थनायें इतनी शक्तिशाली हैं कि रोगी चंगा हो जाते हैं; हालांकि हम तो ईश्वर से काफी दूर हैं; तो फिर मरियम जिन्होंने खुद चंगाईदाता वचन को अपने शरीर में धारण किया, और वे सब इंसानों में येसु को सबसे करीबी से अनुभव करने वाली शख्सियत है फिर चंगाई प्रदान करने में वे सबसे अग्रणी क्यों नहीं हो सकती है?
इतिहास गवाह है माता मरियम के आदर में स्थापित विभिन्न तीर्थ स्थानों पर प्रार्थना करने पर लाखों लोगों को चंगाई व स्वास्थ्य मिलता है चाहे वो लुर्द हो या फातिमा, वेलांकनी हो या चैनपुरी। तो जब ईश्वर मरियम की मध्यस्थ प्रार्थनाओं के द्वारा अपने चंगाई के कार्यों को सम्मन्न कराकर मरियम को स्वस्थ प्रदान करने वाली, घोषित कर ही रहा है तो फिर मरियम का बिमारों का स्वास्थ्य कहकर पुकारने को मैं कभी अनुचित नहीं मानता।
तो आईये हम सब प्रकार विवाद, शंकायें और उलझनें दूर करें। और अपने दुखों और रोगों को स्वास्थ्य की माता मरियम के पास लेकर आयें और उनसे प्रार्थना करें कि जैसे वह हमारी मुक्ति में सहभागिनी हैं वैसे वह हमें सब प्रकार से - शारीरिक, मानसिक और आद्यात्मिक बंधनों से छुटकारा दिलकार येसु के पास हमें भी ले जायें। ताकि हम भी उनके साथ तथा सारी संतमंडली के साथ स्वर्ग में येसु से जाकर संयुक्त हो जायें, जहाॅं फिर न कोई रोग है और न कोई बिमारी।
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