Friday, 17 January 2020

वर्ष का दूसरा इतवार 19 जनवरी 2020


इसायाह 49,3-6
1 कुरिन्थियों 1-3
योहन 1,29-34

आज के सुसमाचार हमने सुना, योहन बपतिस्ता प्रभु येसु को अपनी ओर आते देख कर उनकी ईशारा करते हुए कहते हैं - ‘‘देखिए यह है ईश्वर  का मेमना जो संसार के पाप हर लेता है।’’  यह एक सच्चा मिशनरी कार्य है. हमारा जीवन भी ऐसा ही होना चाहिए, हमें भी अन्य लोगों के सामने प्रभु येसु की ओर ईश्वर  कर के बताना चाहिए कि यही है ईश्वर  का मेमना, यही है उद्धारकर्ता ईश्वर , यही है जो हम सब की नैया को भव पार लगा सकता है, यही है जो हमें पिता के दर्शन करा  सकता है और यही है जो हमें स्वर्ग राज्य में ले जा सकता है। प्रभु येसु के सिवा और कोई मार्ग नहीं, प्रभु येसु के सिवा और कोई परिपूर्ण सत्य नही, और उनके बिना कहीं ओर परिपूर्ण जीवन नहीं। उन्होंने कहा है योहन 14ः6 में मार्ग सत्य और जीवन मैं हूँ, मुझसे होकर गये बिना कोई भी पिता के पास नहीं आ सकता। और योहन 10ः10 में वचन कहता है - चोर केवल चारी करने, मारने और नष्ट करने आता है परन्तु मैं इसलिए आया हूँ कि वे जीवन प्राप्त करे और उसे परिपूर्णता में प्राप्त करे।



आज के पहले पाठ में वचन हमसे कहता है कि तुम मेरे दास हो, और आगे वचन कहता है कि तुम्हारा दास बने रहना ही काफी नहीं है। मैं तुम्हें राष्ट्रों की ज्योति बनाऊंगा ताकि मेरी मुक्ति पृथ्वी के सीमांतों तक फैल जाये। हममें और अन्य लोगों में, ख््रास्तीयों में व गैरख््रास्तीयों में जमीन आसमान का फर्क है। हमारे ऊपर ईश्वर  के बेटे-बेटियां होने की मुहर लगी हुई है। हम अंधकार से प्रकाश में लाये हुए लोग हैं। संसार सत्य को नहीं पहचानता परन्तु हम सत्य को पहचानते हैं। और वह सत्य है ईश्वर  का मेमना प्रभु येसु ख््रास्त जो हमारे उद्धार के लिए बली चढाया गया है। हां इसी नाम से आज के सुसमाचार में संत योहन बपतिस्ता उन्हें पुकारते हैं  - देखिए यह है ईश्वर  का मेमना जो संसार के पाप हर लेता है। कुछ दिनों पहले हमने प्रभु येसु के देहधारण अर्थात् ख््रास्त जयंति का पर्व मनाया और हमने यह मनन चिंतन किया की प्रभु येसु हमारे लिए मनुष्य बनकर इस संसार में आये। जब प्रभु येसु हमारे लिए मनुष्य बनकर आये तो फिर आज योहन उन्हें मेमना अर्थात् भेड अथवा बकरी का बच्चा कयों कह रहे हैं?

इस बात को समझने के लिए हमें पुराने विधान एवं यहुदी जाती की मुक्ति इतिहास की गहराई में जाना होगा। जब ईश्वर  ने अपनी चुनी हुई प्रजा को मिस्र की गुलामी से आज़ाद करने का निष्चय किया तब उन्होंने हर एक इस्राएली परिवार को अपने-अपने घरों में एक मेेमने का वध करने और उसका रक्त अपने दरवाजों की चौखट पर पोतने का आदेश  दिया। क्योंकि उस रात प्रभु का दूत मिस्र का भ्रमण कर मिस्र के सारे पहलोटों को मारने वाला था। प्रभु के दूत ने जिन-जिन घरों की चौखट पर मेमने का रक्त देखा उनको छोड बाकी सबके घरों के पहले बेटों को मार दिया। और इस प्रकार फिराऊ राजा घबराकर उन्हें मिस्र से जाने का आदेश  दे देता है। इस प्रकार उनकी धारणा थी कि मेमने के रक्त के द्वारा ईश्वर  ने उनका उद्धार किया है।

इस्राएली कैलेंडर के मुताबिक सातवें महिने के दसवें दिन इस्राइली लोग योम-किपुर नामक पर्व मनाते हैं। इस दिन वे उपवास एवं प्रार्थना करते हुए अपने पापों के लिए प्रायष्चित करते हैं। इस पर्व के बारे में हम लेवी ग्रंथ 16 में पढते हैं कि इस प्रायष्चित विधी में पुरोहित दो मेेमनों को लेकर आता है। उनमें से एक मेमना जनता के पापों के प्रायष्चित के लिए बली चढाया जाता है, और उसका रक्त लोगों पर छिड़का जाता था तथा दूसरे मेमने के ऊपर इस्राएलियों के सारे कुकर्मों और सब प्रकार के अपराधों को स्वीकार कर, उन्हें उसके सिर पर डाल कर उसे रेगिस्तान में पहुंचा दिया जाता है। उनका मानना था कि वह मेमना उनके पापों को लेकर ऐसे स्थान पर चला गया है जहां से वह वापस नहीं आ सकता अर्थात् वे अपने पापों से पूर्ण रूप से मुक्त हो गए हैं।

परन्तु इब्रानियों के पत्र 10ः4-5 में वचन साफ-साफ कहता है - ‘‘सांडों तथा बकरों का रक्त पाप नहीं हर सकता, इसलिए मसीह ने संसार में आकर यह कहा- ‘‘तूने न तो यज्ञ चाहा और न चढावा, बल्कि तूने मेरे लिए एक शरीर तैयार किया है। . . . ईसा मसीह के शरीर के एक ही बार बलि चढाए जाने के कारण हम ईश्वर  की ईच्छा के अनुसार पवित्र किये गये हैं।’’ और इब्रानियों 9ः12 में हम पढते हैं - उन्होंने बकरों तथा बछडों का नहीं, बल्कि अपना रक्त ले कर सदा के लिए एक ही बार परपावन स्थान में प्रवेश किया और इस तरह हमारे लिए सदा-सर्वदा रहने वाला उद्धार प्राप्त किया है।’’
यह है प्रभु येसु को ईश्वर  का मेमना कहे जाने का अर्थ। पुराने विधान के मेमनों का रक्त पाप हरने में असमर्थ था परन्तु प्रभु येसु का अति मुल्यवान रक्त हमारे हर गुनाह के दाग को धोने समर्थ है। प्रभु येसु इसिलिए नये विधान का मेमना बनकर बलि चढे ताकि उनके सामार्थ्यवान लहू से हमारा उद्धार हो जाये। मिस्सा बलिदान और कुछ नहीं उसी बलित मेेमने के बलिदान का स्मरण है। वही मेमना नित्य हमारे लिए अपने आपको अर्पित करता है। प्याले में अर्पित दाख का रस उसी मेमने के रक्त में तब्दिल हो जाता है और वह रोटी उसके शरीर में। जो कोई सच्चे मन व पूर्ण तैयारी के साथ मेमने के इस भोज में भाग लेता है, और प्रभु के शरीर एवं रक्त का पान करता है वह उस मुक्ति में भागीदार होता है जिसे प्रभु येसु ने हमें प्रदान किया है।

संत योहन के प्रकाशना ग्रंथ 7ः14 में यह साफ लिखा हुआ है, कि अंतिम महासंकट से अर्थात् नरक में विनाश  से केवल वे ही बच सकते हैं, जिन्होंने अपने वस्त्र मेमने के रक्त से धोकर उज्वल कर लिये हैं। इसलिए आईये हम आज जब पुनः एक बार मेमने के भोज में भाग लेने आये हैं, उसके पवित्र लहू में अपने आप को भिगो लें। मुक्ति का लहू, दुनिया का सबसे शक्तिशाली डिटर्जेंट जो पाप के गहरे से गहरे दाग को भी मिटा देता है, आज हमारे लिए बहाया जा रहा है। हम उस लहू से धोकर अपने वस्त्रों को उज्वल कर लें।
आमेन।

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