4था रविवार पास्का का
आज कलीसिया प्रभु येसु को भला चरवाहा और भेड शाला के द्वार के रूप में हमारे सामने पेष करती हैं। आज कोविड 19 के कोहराम के माहौल में हर कोई अपने आपको असुरक्षित व डरा हुआ महसूस है। स्वास्थ्य का डर, व्यापार-धंधे व नौकरी के खोने का डर, भविष्य को लेकर डर और अनिष्चिता। इस डर व भय के माहौल में आज हमारा येसु हमें आष्वासन देते हुए कह रहा है कि वह भेडषाला का द्वार है और हम सब उनके चरागाह की भेडें। यदि येसु हमारा चरवाहा है और हम उनकी भेडें हैं तो हमें ििकसी भी मुसिबत व परेषानी से न तो डरना चाहिए और न ही घबराना।
एक बार एक पिताजी अपने 7 साल के बेटे के साथ नदी पार कर रहे थे। उसने अपने बेटे से कहा बेटा मेरा हाथ कस के पकड लो और मेरे पीछे-पीछे संभाल के चलते रहो। कुछ कदम आगे बढने के बाद जब पानी का बहाव तेज होने लगा तो बेटे ने अपने पिताजी का हाथ छोड दिया। चिंतित व परेषान होकर पिता चिल्लाई - मेरा हाथ मत छोडो बेटा नहीं तो पानी का बहाव तुम्हें बहा ले जायेगा। बेटे ने कहा नहीं पापा, मुझे डर लग रहा है, मुझे डर लग रहा है कि कहीं मेरी पकड ढिली न पड जाये ओर मैं आपका हाथ न छोड दूॅं। इसलिए आप मेरे हाथ को पकडिये। और मैं जानता हूॅं कि भले कुछ भी हो जायेगा पर आप मेरा हाथ कभी नहीं छोडेंगे।
मैं कब निष्चिंत या बेफिक्र हो सकता हूॅं, तभी जब मुझे पता होता है कि जिसने मेरा हाथ पकडा है वह मुझसे शक्ति षाली है। मैं तब नहीं डरूॅंगा जब मुझे पता होता कि मुझे थामने वाला हाथ मेरे नाज़ुक व कमजोर हाथों से ज़्यादा ताकतवर हैं। आज हम प्रार्थना करें कि इस वैष्विक महामारी के संकट के समय हमारा भला गडेरिया येसु मसाीह हमारे हाथों को थामें। वो हमारा हाथ पकडकर हमें हरे मैदानों में ले जाकर चराए और शीतल जल के झरने से हमें पिलाये।
एक भले चरवाहे के रूप में येसु का चित्रण उनके साथ हमारे संबंध को बहुत अच्छे से बयाॅं करता है। कल्पना कीजिए कि आप एक भेड हैं, एक विषाल भेडों के समूह में आप भी एक हैं और येसु आपका चरवाहा है। येसु, जो कि सर्वषक्तिमान और सबका मालिक है। येसु जिनके अधीन सब कुछ है जैसा कि संत मत्ती 28ः18 में उन्हेंने कहा है - मुझे स्वर्ग में और पृथ्वी पर पूरा अधिकार मिला है। तो फिर सोचो आपकी सुरक्षा कितनी सुनिष्चित है। जि हाॅं, आपका मालिक आपका चरवाहा दरवाजे से भेडषाला में प्रवेष करता है। आप अपने चरवाहे की आवाज़ सुनेंगे। और वो आपको आपका नाम लेकर पुकारेगा। वो आपका मार्गदषन करेगा और आपके आगे-आगे चलेगा। ताकि आपके मार्ग में आने वाली हर बाधा, हर मुसिबत को वो आपके रास्ते से हटा सके। वो भला चरवाहा है इसलिए वो किसी भी बैरी, दुष्मन या महामारी को आप पर हमला करने नहीं देगा। वो उसे नष्ट करने के लिए आप से आगे चलेगा। हमारी सुरक्षा सुनिष्चत करने के लिए वह आने वाली हर मुसिबत व समस्या को अपने उपर ले लेगा। जैसा कि इसायाह 53ः4 में लिखा है - ‘‘वह हमारे ही रोगों को अपने उपर लेता था और हमारे ही दुखों से लदा हुआ था।’’ जि, हाॅं मुझे और आपको बचाने के लिए हमारा येसु खुद को कुर्बान कर देता है।
येसु कहते हैं मैं इसलिए आया हूॅं कि वे जीवन प्राप्त करें बल्कि परिपूर्ण जीवन प्राप्त करें। एक विष्वासी होने के नाते हमें प्रभु येसु को भेडषाला के सच्चे दरवाजे के रूप में स्वीकार करना होगा। येसु हमारी मुक्ति का द्वार हैं। येसु उनसे हमें आगाह करते हैं जो द्वार से नहीं आते और भेडों को चुरा कर ले जाते हैं, उन्हें मारते और नष्ट करते हैं।
आज के पहले पाठ में संत पेत्रुस अन्य षिष्यों के साथ इस सच्चे चरवाहा के बारे में जो कि बलि चढाया गया है, घोषित करते हैं कि येसु वह भला गडेरिया है जो दुर्बल, कमज़ोर और पतित मानव के उद्धार हेतु खुद सूली पर कुर्बान हुआ है। यह सुनकर लोग पेत्रुस से पूछते हैं तो हमें क्या करना चाहिए। इस पर पेत्रुस उनसे कहते हैं आप में से हर कोई पश्चाताप करें और बपतिस्मा ग्रहण करें। करीब 3000 लोागों ने उस दिन अपने जीवन को बदला और सच्चे पश्चाताप के साथ बापतिस्मा ग्रहण किया और येसु द्वारा प्रदत उद्धार के भागिदार बन गये।
संत पेत्रुस ने उन्हें सुसमाचार सुनाया; उन्होंने उन्हें प्रभु येसु का वचन सुनाया; भले चरवाहे की वाणी सुनाई। और सच्चे व भले चरवाहे की वाणी पहचान कर वे भटकी हुई भेडें उनके पास चली आई। यही है सच्चा पश्चाताप, यही है मन परिवर्तन, यही है मसीही बनने का सही अर्थ।
प्रभु येसु हमारा अच्छा व भला चरवाहा है क्या हम उनकी सच्ची अच्छी भेडें हैं? क्या हम उनकी आवाज़ सुनकर उनके पास दौडी चली जाने वाली भेडें हैं? क्या हमारे कान हमें प्रेम करने वाले भले चरवाहे की आवाज़ को सुनने के लिए हमेषा खुले रहते हैं। क्या हमारे भले गडेरिये के वचन हमें आनन्द व हमारी आत्मा को सकून पहूंचाते हैं? या फिर हम इस संसारिक, धोखेबाज, लूटेरे, अथवा चोर की मसालेदार आवाज़, उसकी चिकनी चुपडी बातें, उसकी बहकाने वाली बातें संुनते व सांसारिकता में सुख पाते हैं।
प्रभु येसु कहते हैं मेरी भेडें मेरी आवाज़ पहचनाती है।
प्यारे विष्वासिया इस लोकडाउन व कोराना का कहर झेलने के लिए हम अकेले व निस्सहाय नहीं हैं। कोरोना व उससे भी बडी व गंभीर समस्या के उपर अधिकार रखने वाला येसु इस विपत्ति के समय हमारा हाथ थामेगा यदि हम उनकी आवाज़ को सुनें व उनके पास आ जायें। ये वक्त है उनके करीब आने का, ये वक्त है उनसे घनिष्टता का रिष्ता जोडने का, ये वक्त है उनका सामथ्र्य अपने जीवन में देखने का। आईये हम कोरोना के विरूद्ध ये लडाई अपने सामथ्र्य व बल से न लडकर अपना हाथ येसु के हाथ में दे दें। वो मौत की घाटी से भी सुरक्षित निकाल लेगा। आमेन।
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