Thursday, 18 June 2020

प्रभु येसु ख्रीस्त के अति पवित्रतम हृदय का पर्व 19 June 2020

विधिविवरण 7:6-11

1 योहन 4: 7- 16 
मत्ती 11: 25-30 

आज हम प्रभु येसु ख्रीस्त के अति पवित्रतम हृदय का पर्व मनाते हैं। हृदय का पवित्र बाइबल में क्या महत्व अथवा स्थान है? पवित्र बाइबल में करीब 1000 से भी ज्यादा बार हृदय शब्द का प्रयोग हुआ है। कैथोलिक धर्म की धर्म शिक्षा के नम्बर 2563 (CCC2563) में हृदय  को किसी मनुष्य का छिपा हुआ केंद्र कहा गया है। केवल ईश्वर ही इसे पूरी तरह से समझ सकता है. 


यदि मुझे किसी को जानना है तो उस व्यक्ति को मेरे सामने अपना दिल को खोलना होगा। कई बार किसी बात का यकिन दिलाने के लिए हमारा कोई अजीज़ दोस्त हम से कहता हैं कि मैं तुम्हें मेरे दिल की बात बता रहा हूँ। इसका मतलब क्या हुआ? यह कि वह व्यक्ति अपनी सबसे भीतर की बात व अपनी सबसे व्यक्तिगत बात को हमारे सामने रख रहा है। और दूसरे शब्दों में यदि हम कहें तो वह अपना दिल हमारे सामने खोल रहा है; वह अपने भीतर छिपी सच्चाई को हमारे सामने रख रहा है। और भी सटीक रूप  से कहें तो वह व्यक्ति यह चाहता है कि हम उसे उस रूप में समझें जैसा वो वास्तव में है।

आज का यह पर्व हमें यह याद दिलाता है कि सारी कायनात के खुदा, हम सब को बनाने और हमारा अस्तित्व बनाये रखने वाले ईश्वर ने अपना दिल हमारे लिये खोला दिया है। पवित्र हृदय के प्रति हमारी भक्ति का आधार यही है। आज के पहले पाठ में प्रभु का वचन कहता है कि उन्होंने इस्राएलियों को उनकी किसी श्रेष्ठता के कारण नहीं अपनाया पर प्रभु ने उनके प्रति अपने प्रेम के खातिर उन्हें अपनी प्रजा बनाया। और आज के दूसरे पाठ में प्रभु का वचन हमें ईश्वर की परिभाषा बतलाता है।  और वो है - ईश्वर प्रेम है. ईश्वर का अस्तित्व ही प्रेम है . 

इसलिए पवित्र हृदय के प्रति भक्ति का मलतब होता है ईश्वर के अस्तित्व व उसके सार-तत्व के प्रति भक्ति। दूसरे शब्दों में पवित्र हृदय की भक्ति ईश्वर के प्रति भक्ति ही है, उस रूप में जैसा कि वह अपने आप को हम पर प्रकट करना चाहता है। पूर्व संत पिता बेनेडिक्ट सौलहंवें  कहते हैं - ‘‘उनके छिदे हुए हृदय में स्वयं ईश्वर का हृदय खोला गया है। यहाँ हम देखते हैं कि ईश्वर कौन है और ईश्वर कैसा है। अब स्वर्ग बंद नहीं रहा। ईश्वर अदृष्य से बाहर आ गया है ।’’

यदि ईश्वर अपने आप को इस रूप में प्रकट नहीं करते तो शायद हमें उन्हें जानने का मौका नहीं मिलता। हमें बस ईश्वर के इस निमंत्रण को स्वीकार करना है। येसु अपना दिल  खोलकर हमें यह बतलाना चाह रहे हैं कि ईश्वर मनुष्यों के साथ एक रिशता कायम करना चाहते हैं। हमें दिल से अपनाना चाहते हैं। दुनिया का कोई भी धर्म ईश्वर की ऐसी सुन्दर तस्वीर हमारे सामने नहीं पेश  करता है। केवल मसीहत में खुदा इंसान से इतना अधिक प्यार करता है  कि वह हम में से एक जैसा बन जाता है ताकि वह हमारे लिए अपना दिल खोल सकें और हम उनके साथ प्रेम के रिश्ते  में जुड जायें। 

 समारी स्त्री के वाकये में येसु उस स्त्री से पानी माँगता है। प्रभु प्यासा है। क्रूस से भी उन्होंने यह कहा था - ‘‘मैं प्यासा हूँ।’’ (योहन १९:२८).   हमारा ईश्वर आज भी प्यासा है, हमारे लिए। आज भी उसका दिल हमारे लिए खुला हुआ है। वह हर रोज अपना दिल खोलकर हमें अपने पास बुलाता है। आज के सुसमाचार में वो प्रभु येसु हम से कहते है - "थके मांदे  और बोझ से दबे हुए लोगों! तुम सब के सब मेरे पास आओ . मैं तुम्हें विश्राम दूंगा. मैं स्वाभाव से नम्र और विनीत हूँ. " वो अपने प्रेमी ह्रदय के करीब हम सब को बुला रहा है . वो हमें अपने प्रेम के सागर में डूबा देना चाहता है . वह हर रोज हमें यह निमंत्रण देता है कि हम उनके प्यार को  जाने, पहचानें व उसके प्रेम में दिवाने हो जायें। उसके प्रेम के रस में अपने का डुबो दें। उसके छिदे हुए हृदय से टपकते लहू व जल से हम अपने पापमय जीवन को धो लें। और अपने आप को येसु के प्रेमी हृदय में छिपा लें जो सिर्फ और सिर्फ हमारे खातिर माँस बना, ताकि एक मानवीय हृदय से ईश्वर अपने बच्चों से प्यार कर सके। आईये हम येसु के पवित्रम हृदय की तस्वीर को हमारे जेहन में लायें जो कि सारी मानवजाती के प्यार के लिए दहक रहा है। और अपने आपको व सारी मानवजाती को प्रभु येसु के अति पवित्रतम् हृदय के प्रति समर्पित करें व प्रार्थना करें जिससे  जैसा कि संत पौलुस कहते हैं - "आप लोग  येसु के प्यार की लम्बाई, चौड़ाई, ऊंचाई, और गहराई   को समझ सकें" (ऐफेसयों 3 :18) और उनके प्रेम के निमंत्रण को स्वीकार कर उनके प्रेम में निरंतर बढते जायें। आमेन।


Sweet Heart of Jesus, 
be my love.

Happy Feast 

1 comment:

  1. Great Work Father ji ... May God be praised always.

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