सामान्य काल चौथा रविवार
यिरमियाह 1, 4-5, 17-19, 1 कुरिंथी 12ः31-13ः13, लूकस 4ः21-30
ख्रीस्त मे प्रिय भाईयों, बहनों एवं मेरे माता पिताओं आज माता कलिसिया हमें आमंत्रित करती हैं की हम सब ईष्वरीय प्रेम से अनुग्रहीत होकर जीवन बतायें आज के पाठों मे प्रभु हमें प्रेम का संदेष दे रहे हैं।
पवित्र बाईबल में हम पाते है की प्रभु ईष्वर हम मानवों के बिच में से कीस प्रकार से लोगों को चुनता एवं विषष प्रकार की जिम्मेदारी उन्हें सोंपी जाती थी। प्रभु ईष्वर अबा्रहाम, माता मरियम, योहन बापतिस्ता, एवं अपने सभी षिष्यों कोें हम मानवों की मुक्ति कार्य में सहभागी बनाया हैं।
परंतु सर्वषक्तिमान ईष्वर आज हम सब कों बुलाता है ना सीर्फ उसके चुने हुए लोगों को परंतु हरएक को वह बुलाता। आज के पहले पाठ में नबी यिरमियाह के ग्र्र्रंथ में 1ः4.5, 17.19, आज प्रभु हमसे कहते है की श्माता के गभं में तुम को रचने से पहले ही, मैंने तुम को जान लिया। तुम्हारे जन्म से पहले ही, मैंने तुम को पवित्र किया। मैने तुम को राष्ट्रों का नबी नियुक्त किया।
प्रभु आज कहते है की श्माता के गर्भ में तुम को रचने से पहले ही, मैंने तुम को जान लिया। जिस प्रभु ने संसार की सृष्टी की वह जानता है हमें क्योंकि वह सृष्टीकर्ता इस धरा का कर्ताधरता है।
आज के कलयुग में किसी को जानना बहुत ही कठीन कार्य है। हम अकसर कहते है कि मैं उसे जानता हुुॅ की मेरा दोस्त कैसा है या मेरे परीवार के सदस्य कैसे है या मेरा बेटा कैसा है। दरसल सच्चाई यह की हम स्वंयम को ही आज तक नहीं जान पाये और आप कितनी भी कोषिष कर ले खुद को जानने के लिये पर आप कदापी नही जान पायेगें। क्योंकि ईष्वर ही सब जानने वाला है सब समझ ने वाला है। उससे हमारी जान पहचान अभी से नहीं है परंतु अनंत काल से है इसिलिये आज प्रभु हम से कहते है। माता के गर्भ मे रचने ‘‘‘‘‘‘‘प्रभु से हमारा रिष्ता अनादिकाल से आज माता कलिसिया हमें आमंत्रित करती की प्रभु के द्वारा स्थापित इस रिष्ते को हम प्यार से जोडे।
इसायाह नबी के ग्रंथ 49ः15 प्रभु कहते है ’’क्या स्त्री अपना दुधमुुॅहा बच्चा भुला सकती है ्क्या वह अपनी गोद के पुत्र पर तरस नहीं खायेगी! यदि वह भुला भी दे तो भी मैं तुम्हें कभी नहीं भुलाऊॅगा।
ईष्वर जानता है हमाारे अंतरतम के भावों को हमारे हर एक कार्य कों मेरे जन्म के पहले कौन सी घटनाएॅ घटी उन सबों को वो जानता है कीस प्रकार से हमारा लालन पालन हुआ वह जानता है हमारे जो भी कार्य करते है वह सदा उसकी आॅखों के सामने रहते हैं।
नबी यिरमियाह के समान ही गलातियों के नाम पत्र में संत पाॅलूस भी कहते है 1-15 ’’ईष्वर ने मुझे माता के गर्भ से ही अलग कर लिया और अपने अनुग्रह से बुलाया था’’।
प्रभु आज कह रहे है, की 1ः5 ’’मैंने तुम को राष्ट्रों का नबी नियुक्त किया।’’ एक नबी प्रभु के द्वारा चुना हुआ व्यक्ति होता है, गलातियो के नाम पत्र 1-15 किन्तु ईष्वर ने मुझे माता के गर्भ से ही अलग कर लिया और अपने अनुग्रह से बुलाया था। प्रेरित - चरित 13ः47 मैंने तुम्हें राष्ट्रों की ज्योति बना दिया है जिससे तुम्हारे द्वारा मुक्ति का संदेष पृथ्वी के सीमातों तक फैल जाये। यिरमियाह के समान ही संत पाॅलूस प्रभु के द्वारा चूने गए की प्ररित चरित 13-47 ’’मैंने तुम्हें राष्ट्रों की ज्योति बना दिया है, जिससे तुम्हारे द्वारा मुक्ति का संदेष पृथ्वी के सीमान्तों तक फैल जाये।’’
प्रभु के द्वारा जो भी कहा जाता है उसे समझ पाना वाकई मे एक रहस्य पुर्ण कार्य है। प्रभु के हर एक वचन मे कई तरह के रहस्यमयी बातें छुपी हुई है। आज नबी यिरमियाह के ग्रंथ मे प्रभु येसु के जीवन की भविष्यवाणी की गई है। संसार के प्रारंभ से ही पिता ईष्वर येसु को जानते थे किसी को जानना अर्थात उसे प्यार करना, पिता ईष्वर का प्यार ही था जो येसु के बपतिस्मा के समय कहते है कि ’’लूकस 3ः22’’तू मेरा प्रिय पुत्र है। मैं तुझ पर अत्यंत प्रसन्न हूॅ। लूकस 9ः35 ईसा के रुपांतरण के समय बादल में से यह वाणी सुनाई पडी, ’’यह मेरा परमप्रिय पुत्र है। इसकी सुनो।’’ इसायाह नबी के ग्रंथ 61ः1
हर एक ख्रीस्तीय का कार्य है की प्रभु येसु के द्वारा बताये गए मार्ग पर चलते हुए जीवन बिताये ये रास्ता अपनाना बहुत कठीन है कहना आसान है, हमें कई प्रकार के अत्याचार सहने पडगें प्रभु स्वंम कहते है की अपना क्रूस उठा कर मेरे पिछे हो लो तिमथी के नाम दुसरे पत्र 3,12 ’’वास्तव में जो लोग मसीह के षिष्य बन कर भक्तिपूर्वक जीवन बिताना चाहेंगे, उन सबों को अत्याचार सहना ही पडेगा।’’
आज के दुसरे पाठ में हमें प्रेम की सही परिभाषा पढने को हमे मिलती है।हर एक को ईष्वर के द्वारा प्रेम का उपहार प्राप्त चाहे वह राजा हो या रंक, हर किसी को प्रेम के उपहार से अमिर बनाया है।
कोई कितना भी धार्मिक क्यों ना हो अगर उसके हृदय में प्रेम न हो तो उसकी धार्मिकता का कोई अर्थ नहीं निकलता। इस संसार में कई लोगो बहुमुखी प्रतिभा के धनी है कई प्रकार की भाषा बोलते हो, कई प्रकार के कार्य करते हो लेकिन यह सब व्यर्थ साबित होगा अगर उनके हृदय में प्रेम नहीं हैं। प्रेम क्या है ईष्वर ही प्रेम है। गलातियों के पत्र मे प्रभु का वचन कहता है प्रभु हमारे हृदयों में पवित्र आत्मा भेजा है, यह प्रेम का आत्मा है जो हमे बपतिस्मा के द्वारा प्राप्त हुआ है।
योहन 3ः16 पिता ईष्वर ने संसार के प्रारंभ से ही हमें प्रेम कीया है इसी प्रेम को प्रकट करने के लिए उन्होंने अपने एक लोते पुत्र को भी अर्पित कर दिया।
प्वित्र सुसमाचार मे भी हम पाते है कि लोगों के हदय मे प्रेम का अभाव है उनके स्वयंम के रिष्तेदार उन्हें ठुकरा देते है इसिलिए आज प्रभु कहते है की अपने ही नगर मे नबी का आदर नहीं होता है। इसिलिए हर एक ख्रीस्तीय परिवार को आज चाहिए की वह प्रेम से अपने परिवार को सिंचे सच्चे प्रेम की तलाष में आज हर एक मानव भटक रहा आजकल युवा भी प्रेम की तलाष मे भटक रहे है वह ष्षादि करता है लेकिन फिर भी कुछ समय के बाद यह सोचता है कि यह मेरा सच्चा प्रेम नहीं था इसिलिए आज कल के युवा कई प्रकार की बुरी आदतों के षिकार हो जाते है। आज हम निर्णय ले कि पहले हम प्रभु के प्रेम के बंधन मे बंधे उसी के बाद ही जीवन का हर एक बंधन हर एक रिष्ता सुहावना लगेगा।
आमेन !
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