Saturday, 29 October 2016

वर्ष का 31 वां रविवार

जकेयुस एक धनी व्यक्ति थे। वे येसु को देखना चाहते थे। आखिर क्यों, यह हमें नहीं मालुम। पर इतना तो स्पष्ट है कि येसु से मिलने के बाद जो आनन्द और संतुष्टि उनको मिली, उसके सामने उनकी सारी धन-सम्पत्ति और ऐषो आराम फीकी पड गयी और उन्होंने अपनी संपत्ति का आधा हिस्सा गरीबों में बाँट दिया।
जकेयुस के जीवन में शायद बहुत ज्यादा निराषा थी वह बेचैन था या फिर उसमें एक ऐसा खालीपन था जिसे उसकी सारी धन-दौलत नहीं भर सकी। वह येसु को देखना चाहता था न कि मिलना। पर येसु ने उससे मिलना चाहा क्योंकि वे खोये हुओं की खोज में आये थे। प्रभु येसु ने ज़केयुस से कहा, आज इस घर में मुक्ति का आगमन हुआ है। प्रभु येसु इस दुनिया में मुक्ति लेकर आयें हैं। यह दुनिया का सबसे बडा मिषन है। यूँ तो लोग कई सारे बडे-बडे  मिषनों पर निकले हैं जैसे सिकन्दर महान पूरी दुनिया पर विजय पाने के मिषन पर निकला; प्लूटो, अरस्तु व सुक्रात जैसे महान दार्षनिक ज्ञान के खोज की मिषन पर निकले; कोलम्बस एक नये संसार की खोज के मिषन पर निकला आदि। परन्तु प्रभु येस,ु भटके हुओं खोजने, के लिए स्वर्ग से निकल पडे (लूक 19ः10)। उन्होंने दुख भोगा व सूली पर मर गये इसिलिए कि वे भटकी हुई मानव जाती को बचा सके। पाप में नष्ट हो रहे अपने बच्चों को बचाने के लिए ही वह इस संसार में आये हैं। संत योहन के सुसमाचार 10ः10 मे प्र्रभु कहते हैं “चोर केवल चुराने, मारने और नष्ट करने आता है। मैं इसलिए आया हूँ कि वे जीवन प्राप्त करें - बल्कि परिपूर्ण जीवन प्राप्त करें।“ वह हमें सब प्रकार की परिपूर्णता देने इस संसार में आये हैं। हमारी वह परिपूर्णता वे पुनः लौटाने आये हैं जो हमारे आदि माता-पिता को दी गई थी, जिसे उन्होंने आदि पाप के कारण खो दिया था।
 प्रभु येसु ने ज़केयुस के मन को प्रकाषित किया व उसके अस्तित्व के दायरे को प्रभु ने बढा दिया। वह अपने से, अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर दूसरों के बारे में सोचता है, दूसरों की ज़रूरतों का ख्याल करने लगता है। वह बोल उठता है कि “प्रभु! देखिए, मैं अपनी आधी सम्पत्ति गरीबों को दे दूँगा और जिन लोगों के साथ बेईमानी की है, उन्हें उनका चौगुना लौटा दूँगा“ (लूक 19ः8)। ज़केयुस एक लालची, लोभी, और महान ठग, जिसे हमेषा दूसरों के जेब के पैसे ही दिखाई देते थे, वो तो हमेषा दूसरों को लूटने का ही सोचता रहता था आज अपनी आधी सम्पत्ति गरीबों को देने की बात करने लग जाता है। आज हमने तो दो फीट ज़मीन के लिए एक भाई को दूसरे भाई की हत्या करते देखा है, महज कुछ हजार रूपयों के लिए मार-पीट होते देखा है। पर यह व्यक्ति अपनी आधी सम्पत्ति गरीबों को यूँ ही देने को तैयार हो जाता है।  प्रभु येसु से मिलने के बाद जो आनन्द और संतुष्टि उनको मिली, उसके सामने उनकी सारी धन-सम्पत्ति और ऐषो आराम फीकी पड गयी। प्रभु येसु में उसने अपने जीवन के लिए एक बेषकीमती धन पा लिया। अब उसे ये आभास होने लगा कि मेरे जीवन में जो अधूरापन था उसकी पूर्ति करने वाला येसु ही है। इतना धन होने के बाद भी कुछ खालीपन लग रहा था पर येसु के मिलने से सब कुछ पूरा हो गया। अब येसु के सिवाय मुझे कुछ भी नहीं चाहिए। मेरा धन भी अब मेरे लिए उतना महत्वपूर्ण नहीं रहा। मैं मेरे भंडारों को खाली कर दूँगा। आधी संपत्ति गरीबों को दे दूँगा और जिनको मैंने ठगा है उनको चार गूना वापस कर दूँगा। मुझे अब कुछ नहीं चाहिए। मैंने प्रभु को पा लिया है। प्रभ से मिलना कितनी ही सुखद बात है, यह पौलुस अपने पत्र में लिखते हैं - ‘‘मैं प्रभु ईसा मसीह को जानना सर्वश्रेष्ठ लाभ मानता हूँ और इस ज्ञान की तुलना में हर वस्तु को कूडा ही मानता हूँ (फिलिपी 3ः8) स्तोत्र 34ः8 में वचन कहता है ‘‘चखकर देखो, प्रभु कितना भला है।’’ संत मत्ती 13ः45 में हम एक दृष्टांत पढते हैं जिसमें प्रभु कहते हैं - “स्वर्ग का राज्य उस उत्तम मोती खोजने वाले व्यापारी के सदृष है। एक बहुमुल्य मोती मिल जाने पर वह जाता और अपना सब कुछ बेच कर उस मोती को मोल ले लेता है।“ जकेयुस को वह उत्तम मोती मिल गया और उसे अब वह खोना नहीं चाहता।
प्रभु ने जकेयुस से कहा ‘‘जकेयुस नीचे उतरो!’’ येसु से मिलने के लिए, येसु को देखने के लिए हमें उन पेडों से उतरना होगा जिनकी डालियों पर हम चिपके हुए हैं। ईष्वर प्रेम और आनन्द का भंडार है। पर उस भंडार से कुछ भी लेने के लिए हमें अपने घमंड के पेड से, नाम और यष के पेड से, वासना और झूठे अभिमान के पेड से उतरना होगा।
आज प्रभु हम सब से इस समय यही कह रहे हैं - जल्दी से नीचे उतरो, मुझे तुम्हारे यहाँ आना है। प्रभु पवित्र परम प्रसाद में हम सब के दिलों में आना चाह रहे हैं। वही प्रभु जिन्होंने ज़केयुस के घर में प्रवेष कर उसे मुक्ति का संदेष सुनाया हमें भी यही कहना चाहते हैं कि आज इस व्यक्ति के जीवन में मुक्ति का आगमन हुआ है। हम मेसे कितने लोग प्रभु के इस निमंत्रण को स्वीकार करके जकेयुस की भांति अपने जीवन को पूरी तरह से बदले को तैयार हैं?
आइये हम प्रार्थना करें।
हे प्रभु ईष्वर! मेरे जीवन से हर प्रकार स्वार्थ, लोभ, लालच और घमंड को निकाल दे। मुझे दीन-हीन बना दे कि तुमसे मैं जीवन में सच्चे आनन्द को प्राप्त कर सकूँ जिसको पाने के लिए मैं इधर-उधर भटकता रहा हूँ। हे प्रभु आपको देखने के लिए मेरी आत्मा में प्यास बढाईये।
आमेन

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