प्रभु येसु मसीह के दुःखभोग और मृत्यु के दिन को हम गुड फ्राइडे कहते हैं। किसी की मौत हमारे लिए एक गुड या अच्छी बात कैसे हो सकती है? किसी भी व्यक्ति की मृत्यु हमें आनन्द नहीं देती हमें दुःख देती है। परन्तु प्रभु येसु की मृत्यु के दिन को गुड फ्राइडे कहते हैं क्योंकि इस दिन सारी मानव जाती के लिए सबसे बडा शुभ कार्य सम्पन्न हुआ। प्रभु येसु मसीह ने सारी दुनिया के पापों की कीमत चुकाने के लिए, हम सबों के पापों का प्राष्चित करने के लिए अपने प्राणों की निछावर कर दिया, अपने आप को बलिदान कर दिया। 1 योहन 2ः2 ईष्वर का वचन कहता है - ‘‘उन्होंने हमारे पापों के लिए प्राष्चित किया है और न केवल हमारे पापों के लिए, बल्कि समस्त संसार के पापों के लिए भी।’’ प्रभु येसु मसीह ने सारी दुनिया के पापों के लिए प्राष्चित किया है। प्रज्ञा ग्रंथ 2ः23 में प्रभु का वचन कहता है -‘‘ईष्वर ने इंसान को अमर बनाया; उसने उसे अपना ही प्रतिरूप बनाया।’’ आप और हम ईष्वर के प्रतिरूप बनाये गये। लेकिन पाप के कारण मनुष्य का रूप बिगडता गया। पाप ने हमारे रूप को बिगाड दिया है, विकृत कर दिया है। सारी मानव जाती पाप के बोझ से दब रही है। हर मनुष्य पाप के बोझ से दब रहा है। और इसलिए मानव इतिहास के प्रारम्भ से अब तक वह इस खोज में है कि कहाँ पर जाकर वह इस पाप की गठरी को, पाप के बोझ को उतारे। इस पाप के लिए क्या प्राष्चित किया जाये। इसलिए विभिन्न धर्मों में विभिन्न प्रकार के बलिदान, विभिन्न प्रकार के यज्ञ चढावा इत्यादि की प्रथा है। हम पढते हैं प्रभु येसु मसीह जिस धर्म में आये थे यहूदी धर्म में, वहाॅं पर भी मूसा के द्वारा ईष्वर से प्राप्त वाणी के अनुसार विभिन्न प्रकार के बलिदान चढाने के नियम दिये गये, प्रायष्चित के बलिदान। जानवारों की बली चढाना, बछडों की बली चढाना आदि। मानव इतिहास से आज तक मनुष्यों ने न जाने कितने ही जानवारों की गर्दन काटीं, न जाने कितना ही खुन बहाया लेकिन मनुष्य पाप से मुक्त नहीं हुआ है। इब्रानियों को लिखे पत्र 9ः12-15 में प्रभु का वचन कहता हैै - ‘‘उन्होंने बकरों तथा बछडों का नहीं, बल्कि अपना रक्त ले कर सदा के लिए एक ही बार परमपावन स्थान में प्रवेष किया और इस तरह हमारे लिए सदा सर्वदा बना रहने वाला उद्धार प्राप्त किया है। वाक्य 14 में हम पढते हैं - ‘‘तो फिर मसीह का रक्त, जिसे उन्होंने शष्वत आत्मा के द्वारा निर्दोष बलि के रूप में ईष्वर को अर्पित किया, हमारे अन्तःकरण पापों से क्यों नहीं शुद्ध करेगा और हमें जीवन्त ईष्वर की सेवा के योग्य बनायेगा?’’ और वचन 13 में लिखा है कि यदि बकरों और साॅंडों के रक्त व उनकी राख लोगों पर छिडके जाने से यदि लोग शुद्ध हो जाते हैं तो प्रभु येसु के अति पवित्रतम रक्त से पापों से मुक्ति क्यों नहीं मिल सकती? प्रभु येसु मसीह के उस महान बलिदान द्वारा हमें हमारे पापों से मुक्ति मिली है। 1 पेत्रुस 1ः18-19 में संत पेत्रुस कहते हैं - ‘‘आप लोग जानते हैं कि आपके पूर्वजों से चली आयी हुई निरर्थक जीवन-चर्या से आपका उद्धार सोने-चाॅंदी जैसी नष्वर चीजों की कीमत पर नहीं हुआ है, बल्कि एक निर्दोष तथा निष्कलंक मेमने अर्थात् मसीह के मूल्यवान रक्त की कीमत पर।’’ प्रभु येसु मसीह ने हम सब के पापों के लिए प्राष्चित किया है। प्रभु येसु ने अपने इस संसारे में आने और उनके कार्यों के बारे में कहा हैै योहन 10ः10 में चोर केवल चुराने, मारने और नष्ट करने आता है। मैं इसलिए आया हूँ कि वे जीवन प्राप्त करें बल्कि परिपूर्ण जीवन प्राप्त करें।’’ वैसे ही योहन 3ः17 में प्रभु येसु कहते हैं - ‘‘ईष्वर ने अपने पुत्र को संसार में इसलिए नहीं भेजा कि वह संसार को दोषी ठहराये। उसने उसे इसलिए भेजा है कि संसार उसके द्वारा मुक्ति प्राप्त करे।’’
प्रभु येसु इस संसार में हमें मुक्ति देने के लिए आये। किस बात से मुक्ति देने के लिए? मत्ती रचित सुसमाचार 1ः21 - ‘‘वह अपने लोगों को उनके पापों से मुक्त करेगा।’’ पाप मनुष्य का सबसे बडा बोझ है और उस पाप के बोझ से इंसान को मुक्त करने के लिए प्रभु येसु मसीह इस संसार में आये। इसलिए मत्ती 9ः12 में प्रभु येसु कहते हैं - ‘‘मैं धर्मियों को नहीं पापियों को बुलाने आया हूँ।’’ कितना बडा शुभ संदष! मैं धर्मियों को नहीं पापियों को बुलाने आया हूँ। संत पौलुस इसी बात को 1 तिमथी 1ः15 में कहते हैं - ‘‘येसु पापियों को बचाने के लिए संसार में आये, ओर उन में सर्वप्रथम मैं हूँ।’’ हमें बनाने वाला ईष्वर नहीं चाहता है कि हम बरबाद हो जायें, हम नष्ट हो जायें। ईष्वर ने मनुष्य की पापमय अवस्था को देखा। इसलिए ईष्वर उस पर तरस खाया। ईष्वर को उस पर दया आई। पवित्र बाइबल में जिस ईष्वर के बारे में हमें बताया गया है वह हमें दंड देने वाला ईष्वर नहीं है। बल्कि हमें पाप से शुद्ध करने वाला ईष्वर है। पाप के चंगुल से बचाने वाला ईष्वर है। ईष्वर ने मनुष्य जाती पर इतनी दया की कि उसने उसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित किया जिसे जो कोई उन में विष्वास करें उनका सर्वनाष न हो बल्कि वे अनंत जीवन प्राप्त करें। लूकस 19ः10 में प्रभु ने कहा है - ‘‘जो खो गया था उसी खोजने मानव पुत्र आया है।’’ जो खो गया था मानव पुत्र उसी को ढूॅंढने और बचाने आया है। प्रभु येसु इस संसार में हमें बचाने के लिए आये। और उन्होंने हमें कैसे बचाया? इसके बारे में नबी इसायाह 53 में प्रभु येसु मसीह के जन्म के करीब 600-700 साल पहले नबी ने उनके प्रायष्चित के बलिदान के विषय में भविष्यवाणी की और वह इस प्रकार है - ‘‘परन्तु हमारे ही रोगों को वह अपने ऊपर लेता था। और हमारे ही दुःखों से लदा हुआ था और उसे दंडित, ईष्वर का मारा हुआ और तिरस्कृत समझते थे। हमारे पापों के कारण वह छेदित किया गया है। हमारे कुकर्मों के कारण वह कुचल दिया गया है। जो दंड वह भोगता था, उसके द्वारा हम भले चंगे हो गये हैं। हमस ब अपना-अपना रास्ता पकड कर भेडों की तरह भटक रहे थे उसी पर प्रभु ने हम सब के पापों का भार डाला है। ’’
तो यहाँ पर वचन कहता है कि प्रभु येसु ने हमारे पापों का बोझ अपने ऊपर ले लिया। जो बोझ हमें ढोना चाहिए था, जो दंड हमें मिलना चाहिए था उसे प्रभु येसु ने अपने शरीर में सह लिया। 2000 साल पहले कलवारी पहाड पर क्रूस पर जो येसु मरे, उनकी वह दषा हमारी दषा होनी थी, उनके बदल पर लगी चोटें हमें लगनी थी, उनके सिर पर का वह काँटों का मुकट हमारे सिर पर लगाना था, प्रभु येसु ने हमारे पापों का बोझ अपने ऊपर ले लिया। यही एक महान रहस्य है। यह ईष्वर के प्रेम का मामला है। पवित्र बाइबल हमें बतलाती है कि ईष्वर प्रेम है। ईष्वर के उस प्रेम ने हमारा दुःख, हमारा दर्द व हमारी पीडायें अपने ऊपर ले ली। क्या यह आनन्द का विषय नहीं? क्या यह अनुग्रह का विषय नहीं कि किसी ने अपने पापों का बोझ अपने ऊपर ले लिया? 2 कुरिंथियों 5ः21 में हम पढते हैं- ‘‘मसीह का कोई पाप नहीं था। फिर भी ईष्वर ने हमारे कल्याण के लिए उन्हें पाप का भागी बनाया, जिससे हम उनके द्वारा ईष्वर की पवित्रता के भागी बन सकें।’’
वे तो निर्दोष थे उनका कोई पाप नहीं था परन्तु हमारे कल्याण, हमारे उद्धार के लिए ईष्वर ने उन्हें हमारे पापों का भागी बना दिया। दो भाई थे। दोनों में बहुत ही प्यार था। छोटा बडे के बिना और बडा छोटे के बिना रह नहीं पाते थे। छोटा कुछ परिस्थितिवष गलत संगती में पड जाता है। अपने दोस्तों के साथ आवारगिर्दी करना, नषापान करना आदि। किसी दिन किसी बहस के चलते दोस्तों में बात मार-काट तक पहुँच गई। छोटे भाई ने नषे में धूत एक व्यक्ति पर चाकू से हमला कर दिया। और वह व्यक्ति वहीं दम तोड देता है। पुलिस ने छोटे भाई का पीछा किया, जो चाकू हाथ में लिये खुन से सने अपने वस्त्रों में घर की ओर भागा। उसके भाई ने उसे देखते ही सारा माज़रा जान लिया। बिना समय गंवाय उसने उसके हाथों से चाकू छीना और उसके खूनी कपडे उतरवाये और स्वयं वे कपडे पहन कर भाई से बोला तू अच्छे कपडे पहन कर यहाँ से छिप जा। अब से पाप मत करना। पुलिस आती है बडे लडके को चाकू हाथ में लिए देखती है और उसे मुजरिम मानकर उसे जेल में बंद कर देती है। कलवारी पर ऐसा ही कुछ हुआ। गुनाह में ने किये सज़ा येसु ने भुगती। उसने हमारे पापों का बोझ, हमारे पापों का कलंक अपने ऊपर ले लिया। गलातियों 3ः13 में वचन कहता है - ‘‘येसु हमारे लिए शापित बने और इस तरह हम को संहिता के अभिषाप से मुक्त किया।’’ क्योंकि लिखा है जो काठ (लकडी) पर लटकाया जाता है वह शापित है।
प्रभु येसु के समय क्रूस मौत की सज़ा का एक माध्यम था। क्रूस पर मौत उन लोगों को दी जाती थी जो समाज में कुख्यात थे, चोर थे, हत्यारे थे, राजद्रोही थे, देषद्रोही थे या अपराधी थी। और प्रभु येसु ख््राीस्त को दो डाकुओं के बीच लटकाया गया था। प्र्रभु येसु को भी यह साबित करने की कोषिष की यह भी राजद्रोही है, देषद्रोही है यह भी विधर्मी है। प्रभु येसु मसीह ने हमारे अपराधों को अपने ऊपर ले लिया। प्रभु येसु मसीह ने हमारे दंड को अपने ऊपर ले लिया। क्रूस उस जमाने तक अपमान का चिन्ह था, श्राप का चिन्ह था। कोई भी क्रूस को देखना नहीं चाहता था। प्रभु येसु मसीह ने क्रूस की मौत मरकर उस क्रूस को पवित्र बनाया। इसलिए आज मैं और आप क्रूस पहनते हैं, क्रूस का चिन्ह बनाते है, क्रूस घरों में लगाते हैं। आज क्रूस हमारे लिए शाप का नहीं, अनुग्रह का चिन्ह बन गया है। क्योंकि की क्रस पर प्रभु येसु मसीह ने हमें ईष्वर से जोड दिया है। क्रूस पर प्रभु येसु मसीह ने हमें आपस में जोड दिया है। जब हम क्रूस को देखते हैं तो यह दो लकडियों से बना है। एक खडी लकडी और एक आडी लकडी। ये वास्तव में मेल-मिलाप का चिन्ह है। प्रभु येसु मसीह के बलिदान के द्वारा हमारे बीच में जो खाई है, जो दूरी उसे प्रभु येसु ने खत्म किया है और हमारे लिये ईष्वर के रहस्य खुल गये हैं। प्रभु येसु की मृत्यु के समय मंदिर का पर्दा ऊपर से नीचे तक फटने का आषय यही है कि ईष्वर और हमारे बीच जो दूरी थी वह खतम हो गई प्रभु येसु मसीह के क्रूस पर मरने से और हम अब ईष्वर को जानने लगे, पहचानने लगे। प्रभु येसु मसीह के बलिदान ने हमें ईष्वर के करीब ला दिया है। इसलिए गुड फ्राइडे हमारे लिए गुड है। अच्छा है। शुभ है क्योंकि प्रभु येसु ने आज हमारे पापों के प्रायष्चित के लिए अपने आप को बलिदान कर दिया है। और इतना ही नही ंइस बलिदान के द्वारा ईष्वर और हमारे बीच और हमारी आपस में जो दूरियां थी वो खत्म हो गई हम ईष्वर के करीब आ गये हैं। हम ईष्वर को धन्यवाद दें इतने बडे व महान रहस्य के लिए, इतने बडे अनुग्रह के लिए।
अब सवाल यह खडा होता हैः हम इस महान बलिदान के फल को कैसे प्राप्त करें? रोमियों 3ः25 में संत पौलुस कहते हैं - ‘‘ईष्वर ने चाहा कि ईसा अपना रक्त बहाकर पाप का प्रायष्चित करें। सबसे पहली बात जो हमारे लिए जानने योग्य है वह यह है कि क्रूस पर येसु का बलिदान को दुर्घटना नहंी है बल्कि ईष्वर की एक योजना का हिस्सा है। और इस योजना का फल हम विष्वास के द्वारा प्राप्त करें। जो भी प्रभु येसु के इस बलिदान पर विष्वास करता है कि प्रभु येसु ने मेरे लिए क्रूस पर मेरे पापों का प्रायष्चित कर लिया है उसे उस बलिदान का फल मिलेगा। उस बलिदान का फल क्या है? मुक्तिः पाप से मुक्ति, बंधनों से मुक्ति, बूरी आदतों से मुक्ति, और पापमय अवस्थाओं से मुक्ति, और पापमय संगती से मुक्ति और अनन्त मुक्ति जो कि अनन्त जीवन है। प्यारे विष्वासियों ये एक महान घटना है। यह एक महान योजना है। आज हम हमारे पापों को याद करें। प्रभु येसु हमारे पापों को क्षमा करने के लिए सक्षम है, समर्थ है बषर्ते कि हम ईष्वर की ओर मुड जायें। हम चाहे किसी भी देष, भाषा, व धर्म के क्यों न हों, आप कितने भी बडे अपराधी क्यों न हो, हम येसु की ओर मुड जोयंे। येसु हम सब की मुक्ति के लिए मरे हैं, उनका बलिदान व्यर्थ न जायें बल्कि फलप्रद बने। हमारे व्यक्तिगत जीवन में येसु का बलिदान फलप्रद बने। येसु के लहू से आज मेरे सारे गुनाहों के दाग धुल जाये। येसु का क्रूस आज पिता से मेरे संबंध फिर से जोड दे व मेरे भाईयों बहनों से मुझे फिर से मिला दे। पूर्ण मेल-मिलाप का यह बलिदान आज मेरे जीवन में मुक्ति का फल उत्पन्न करे। आमेन।
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