Saturday, 6 April 2019

चलीसा का पाँचवा रविवार: हिंदी प्रवचन



नबी इसायाह 43ः16-21
फिलिपियों 3ः8-14
योहन 8ः1-11

आज के पहले पाठ में प्रभु का वचन कहता है- पिछली बातें भुला दो, पुरानी बातें जाने दो। देखो मैं एक नया कार्य करने जा रहा हूँ। चालीसा काल पुरानी बातों को भुलाकर एक नए जीवन की शुरूआत करने का समय है। यह नई शुरूआत प्रभु हमारे जीवन में करने जा रहे हैं। यह प्रभु का कार्य है। नबी इसायाह 65ः17 में वचन इस प्रकार कहता है- ‘‘मैं एक नये आकाश और एक नई पृथ्वी की सृष्टि करूँगा। पुरानी बातें भुला दी जायेंगी, उन्हें कोई याद नहीं करेगा।’’ 
जि हाँ हमारा प्रभु हमारे बूरे व कडवे अतीत को भूलाकर हमें एक नयी रचना के रूप में देखता है। नबी इसायाह 43ः25 में प्रभु का वचन कहता है - ‘‘मैं तम्हारे पाप फिर याद नहीं करता।’’ हमारा ईष्वर, वही प्रेमी  पिता है जो उडाव बेटे के बीते दिनों की सारी बुराईयों को पूरी तरह से भूलाकर उसे एक नये नज़रिये से एक नयी रचना के रूप में देखता है। वह कहता है - ‘‘मेरा यह बेटा मर गया था और फिर जी गया है।’’ ;याने दिल दुखाने वाला, पिता की इच्छा के विरूद्ध जाने वाला बेटा मर गया है, जो सामने खडा है वह एक नया जन्मा बेटा है। 

हमारा अतीत कितना भी बुरा क्यों न हो; हमारे पाप कितने भी गंभीर व घनौने क्यों न हो प्रभु हमारे उन पापों के अनुसार हमारे साथ व्यवहार नहीं करता। हमारी पहचान या हमारी परिभाषा हमारे पाप व बुराईयाँ नहीं लिखते। स्तोत्र ग्रन्थ  103ः10-12 में वचन कहता है - ‘‘प्रभु दया और अनुकम्पा से परिपूर्ण है, वह सहनषील और अत्यंत प्रेममय है। वह सदा दोष नहीं देता...वह न तो हमारे पापों के अनुसार हमारे साथ व्यवहार करता और न ही हमारे अपराधों के अनुसार हमें दंड देता है।’’ 

प्रभु के सामने हमारी पहचान हमारे पापों से नहीं होती बल्कि हमार पश्चातापी मन व हृदय से होती है। हमारे पापों व गुनाहों के अनुसार तो ये दुनिया हमें पहचानती है। जैसा कि आज के सुसमाचार में लोग उस पापिनी स्त्री को उसके व्यभिचार से पहचानते हैं। उस स्त्री को समाज ने एक पापिनी स्त्री के रूप में पहचान दी। लोगों को उसमें पाप के सिवाय कुछ नहीं दिखा। इसलिए उन्होंने उसे पत्थरों से मार डालने की ठान ली जैसा कि उनका कानून कहता है। परन्तु प्रभु येसु ने उस स्त्री में उसके पापमय स्वभाव से परे ईष्वर की बेटी के रूप में उसकी एक पहचान देखी। प्रभु येसु ने उसमें सुधार की एक गुँजाईश  देखी। प्रभु येसु उसके शरीर और शरीर के कार्यों तक नहीं रूके, वे उसकी अत्मा तक गये। और उस स्त्री से कहा - ‘‘मैं भी तुम्हें दंड नहीं दूँगा, जाओ और अब से फिर से पाप नहीं करना।’’

दूसरों के प्रति हमारा नज़रिया कैसा है? विशेषकर  उन लोगों के प्रति जो समाज में बदनाम है; जिनकी पहचान बूरे व्यक्तियों के रूप में होती है; जो नशे  की लत में जकडे हुए हैं;  जो झगडालू है; जो शरीर का वासनाओं के चंगुल में है, जो लूट एवं चोरी में लिप्त हैं, और जो अपशब्दों के सिवा कुछ बोलते ही नहीं? ऐसे लोगों के प्रति मेरी सोच क्या है? मैं ऐसे लोगों को शराबी, पापी, झगडालू, व्यभिचारी, आदि नाम से जानता हूँ या फिर इन बुराईयों के पीछे छिपे एक भले इंसान को देख पाता हूँ, जैसा कि प्रभु येसु ने आज के सुसमाचार में उस स्त्री में देखा;  जैसा कि उन्होंने जकेयुस में देखा, दुनिया ने तो उसमें सिर्फ एक ठग और पापी दिखा, परन्तु प्रभु येसु ने उसमे अब्राहम की संतान को देखा. और जैसा कि वह  सामारी नारी जिसमें दुनिया ने सिर्फ एक व्यभिचारिणी को ही देखा परन्तु प्रभु ने उसमें  ईश्वर की बेटी की एक झलक देखी।  

ख्रीस्त में प्यारे भाईयों और बहनों पापी व बूरे तो हम सब ही हैं। दूसरों में बुराईयाँ देखना व उन्हें बूरे होने का लेबल लगा देना तो आसान हैं पर यदि प्रभु येसु हमसे आज वही सवाल करें जो कि उन्होंने उस भीड से किया था - तुम में जो निष्पाप हैं वही सबसे पहले पत्थर मारे। तो दूसरों पर उंगली उठाने वाले हम में से कितने लोग टिक पायेंगे। दूसरों को दोष देने के पहले हम सब अपने गिरेबाँह में झाँक देखें। संत मत्ती 7ः4 में प्रभु का वचन कहता है- ‘‘जब तुम्हारी ही आंख में धरन है तो तुम अपने भाई से कैसे कह सकते हो मैं तुम्हारी आँख का तिनका निकाल दूँ। रे ढोंगी, पहले अपनी ही आँख की धरन निकालो तभी अपने भाई की आँख का तिनका निकालने के लिए अच्छी तरह देख सकोगे।’’ 

इसलिए सबसे पहले हम यह स्वीकार करें कि इंसान होने के नाते हम सब पाप करते हैं। जैसे मैं मेरी कमजोरी के कारण कुछ न कुछ पाप करता हूँ वैसे ही अन्य लोग भी पाप करते हैं। इसलिए हमें दूसरों की कमज़ोरियों में सहानुभूति रखते हुए कमज़ोरियों से बाहर आने में उनकी मदद करना चाहिए न कि उन्हें दोष देकर, उन्हें बदनाम कर, उन्हें कलंकित कर और भी बूरे बनाना। हर इंसान ईष्वर के स्वरूप में बनाया गया है। हो सकता है किसी न किसी परिस्थितिवश या फिर किसी कारणवश पाप में गिरकर अपने उस ईष्वर के स्वरूप को बिगाड लेता है। पर प्रभु हमेशा  हमें सुधरने का मौका देता है। वह हमेशा  हम से कहता है - ‘‘पिछली बातें भुला दो, पुरानी बातें जाने दो। देखो मैं एक नया कार्य करने जा रहा हूँ।’’ प्रभु हर एक को एक नया जीवन देने के लिए आह्वान करते हैं। आईये हम हमारे पुराने पापमय स्वभाव को छोडकर एक नया स्वभाव धारण करें। और खुद को ही नहीं वरन औरों को भी एक नये स्वरूप में देंखे। आमेन।

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