Wednesday, 11 November 2020

#32ndSundayinOrdinaryTime, Year A: Hindi Reflection by Fr. Preetam Vasuniya(08.11.2020)


 प्यारे विष्वासियों, इस कोरोना काल में, हम सब मास्क का उपयोग करते हैं और जब मास्क पहने हम अपने किसी परिचित से मिलते हैं तो  कई बार या तो सामने वाला हमें नहीं पहचान पाता है या फिर हम उन्हें नहीं पहचान पाते हैं। फिर मास्क हटाकर हमें हमारा परिचय देना पडता है। कई बार ऐसा भी होता है कि हम अपने किसी परिचित से कई सालों बार मिलते हैं और हम उसे नहीं पहचान पाते। सामने वाला हमें कहता है-‘‘पहचाना नहीं और यदि हम कह दें ’’नही’’ तो अक्सर सामने वाले के दिल को ठेस पहुँचती है। जि हाँ किसी को जानना या अपनी पहचान बनाये रखना जितना इस दुनिया में आवष्यक है उससे कई गुना अधिक आने वाले संसार याने स्वर्ग के लिए पहचान बनाये रखना बहुत ही ज़रूरी है। 

आज के सुसमाचार में  जो कि संत मत्ती अध्याय 25 से लिया गया है प्रभु येसु कुछ ऐसी बात हमारे सामने रख रहे हैं। जि, 10 कुंवारियों के दृष्टांत में 5 बुद्धिमान थी जो कि दुल्हे से मिलने के लिए पूर्ण रूप से तैयार थी, पर 5 नासमझ थी जो कि आधी-अधुरी तैयारी के साथ दुल्हे की अगवानी करने आयीं थी। जब तक कि दुल्हा आता उनकी मषालों का तेल खत्म हो चुका था इसलिए वे जब तेल खरीदने जाती है तब तक दुल्हा आ गया होता है और विवाहोत्सव का दरवाज़ा बंद हो जाता है। बाद में जब वे जाकर दरवाज़ा खटखटाती हैं तो भितर से आवाज़ आती है - मैं तुम्हें नहीं जानता। 

प्यारे साथियों, हम हमारी पूजन विधी वर्ष के अंतिम पडाव की ओर बढ रहे हैं, और इन दिनों के प्रभु वचन हमें अंत के दिनों से रूबरू कराते हैं। आज के पाठों के द्वारा प्रभु येसु अंत के दिनों की सच्चाई का रहस्योद्घाटन करते हैं। जि, हाॅं आज के वचन दुनिया के अंत व येसु के अंतिम अथवा द्वितीय आगमन के रहस्य का पर्दा हटाते हुए हमें उस समय की सच्चाई का सामना करने के लिए तैयार रहने का आह्वान करते हैं। थेसलनिकियों को लिखे संत पौलुस के पत्र से लिये गये आज के दूसरे पाठ में संत पौलुस विष्वासी समुदाय से कहते हैं कि अंत समय में मसीह में विष्वास करते हुए मरने वाले सारे मृतक पहले जी उठेंगे और फिर बाद में जो उस समय जीवित रहेंगे वे ये सब उनकेे साथ बादलों में आरोहित कर लिये जायेंगे और आकाष में प्रभु से मिलेंगे। इस प्रकार वे सदा प्रभु के साथ रहेंगे। 

अब हमें याद रहे कि संत पौलुस का थेसलनिकियों को लिखा गया पत्र संत मत्ती के सुसमाचार से करीब 20 से 30 साल पहले लिखा गया था। उस समय के विष्वासियों की धारणा यह थी कि मसीह जल्दी ही उनके समय में ही दुबारा आने वाले हैं। आज, कल या फिर परसों बहुत शीघ्र ही मसीह का दूसरा आगमन होगा। इसलिए वे बहुत ही सतर्क थे, बहुत बडी बेसब्री से मसीह के आगमन के इंतज़ार में थे। 

कल्पना कीजिए यदि हमसे कोई किसी से बेहद प्यार करता है और यदि वो कुछ समय के लिए हमस े दूर चला जाता है, तो   हम कितनी बेसब्री से उनके लौटने का इंतजार करेंगे और  चाहेंगे कि आपका प्रिय जल्दी ही लौट आये। यही हालत थी प्रांरभिक ख्रीस्तीयों की। पर करीब 20-30 साल गुजर जाते हैं और मसीह का आगमन नहीं होता है, तो इन ख्रीस्तीयों का जिज्ञासा और धार्मिक उत्साह कम होने लगता है। मसीह से मिलन की उनकी तीव्रता कम होती जाती है। इसलिए संत मत्ती जब सुसमाचार लिखते हैं तो वे इस बात को प्रकाषित करते हैं कि मसीह आज आये या कल यदि वो आने में देर भी करे तो भी हमें अपनी तैयार में कोई कसर नहीं छोडनी है, उनसे मिलने की तीव्रता कभी कम नहीं होनी चाहिए। वो आग, वो शमां न तो धीमी पडनी चाहिए और न ही बुझनी चाहिए। याद करो उन पाॅंच नासमझ कुंवारियों को जो अंत समय तक अपनी मषालंे जलाये रखने में नाकामयाब रहीं। उनकी थोडी सी लापरवाही ने उनसे इतना बडा सौभाग्य छीन लिया। स्वर्गीक भोज में शामिल होने का नसीब उन्होंने गवाॅं दिया। 

प्यारे साथियों मषालें जलाये रखने का तात्पर्य क्या है? और यह तेल क्या है? मषालें हमारा  ख््राीस्तीय विष्वास है, जि हाॅं हमारा मसीही विष्वास जिसे हमें अंत तक जलाये, सुरक्षित रखना है, जिसमें हमें अंत तक बने रहना है। यह ज्योति, यह आग, विष्वास की आग है, जो हमें बपतिस्मा संस्कार में मिली थी, जिसे दृढीकरण संस्कार में मजबूत किया गया और पवित्र पापस्वीकार, परमप्रसाद व अन्य संस्कारों के द्वारा जिसे ज्वलंत रखा जाता है। और तेल है ईष्वर की कृपा, ईष्वर का अनुग्रह जिसका मुख्य स्रोत है पवित्र आत्मा। तो हर एक ख्रीस्तीय भाई अथवा बहन को पवित्र आत्मा से हर समय भरपूर रहने की ज़रूरत है। पवित्र आत्मा ही हमारे विष्वास की जोत सदा प्रज्वलित रख सकता है। और जैसे-जैसे एक विष्वासी की जीवन में आत्मा का अनुग्रह कम होता जाता है, बुराई की शक्त्यिाँ उस पर अधिक हावी होने लगती है। कई ख््राीस्तीय विष्वासी आज इस परिस्थिति से गुज़र रहे हैं। हम में से कईयों ने अनुग्रह रूपी तेल को खत्म हो जाने दिया है। और हम समय रहते इससे फिर से भरने के लिए गंभीर नहीं है। अपनी आध्यात्मिकता को लेकर, हममें टालमटोल करनी की  आदत पडी हुई है। हम हमारी पवित्रता को, आध्यात्मिकता, भले कार्यों को, ईष वचन को और संस्कारों को बाद के लिए टाल देते हैं। यदि हम ऐसा कर रहे हैं तो याद रहे हम उन पाँच नासमझ कुंवारियों की भाॅंति हैं जो, बाद में तेल भरकर विवाहोत्सव में शरीक होने की उम्मीद लगा रहीं थी। पर दुख की बात की बाद में करने के चक्कर में उन्होंने अनन्त जीवन खो दिया। 

शायद वे इस गलतफहमी रह गईं कि दुल्हा तो उनकी पहचान का है, उनका रिष्तेदार वो तो उन्हें भली - भाँति जानता है, इसलिए वे समय पर तैयार नहीं है फिर भी चलेगा। वो तो उन्हें बाद में भी अंदर आने देगा। परन्तु ऐसा हुआ नहीं। उसने स्पष्ट शब्दों में कह दिया मैं तुम्हें नहीं जानता। क्या वो वास्तव में उन्हें नहीं जानता था? हरगीज़ नहीं, वो जानता था। वे दुल्हे की अगवानी करने के लिए विषष रूप से चुनी हुई कन्याएं थी। तो प्यारे विष्वासियों आज का यह दृष्टाँत खासकरके चुने हुए लोगों पर केंद्रित है। प्रभु की चुनी हुई प्रजा में कुछ लोग समझदार हैं जो अपने दुल्हे येसु से मिलने के लिए हमेषा तैयार रहते हैं और कुछ नासमझ जो ये सोचकर बैठते हैं अभी तो पूरी जिंदगी पडी है, थोडा जिंदगी का मजा ले लें, येसु से मिलना वगैरह बाद में देखा जायेगा, आध्यात्मिकता और आत्मिक बातों की बाद में सोचेंगे। पर हमें याद रहे आज के सुसमाचार में प्रभु येसु कहते हैं - तुम न तो वह दिन जानते हो और न ही वह घडी। अगर वह घडी वह समय हम चुक गये तो हमें एक ही जवाब मिलेगा - मैं तुम्हें नहीं जानता।

कितना झकझोर देने वाला जवाब होगा हम मसीहियों के लिए कि यदि अंत येसु हम से कहेंगे मैं तुम्हें नहीं जानता। तब ये मत कहना हमें तो बपतिस्मा मिला हुआ है, हमारे माता-पिता भी ख््राीस्तीय थे, हम चर्च जाते थे, या फिर हम प्रवचन देते थे इत्यादि। संत मत्ती 7ः21-23 में प्रभु येसु कहते हैं - ‘‘ 21द्ध ष्जो लोग मुझे ष्प्रभु ! प्रभु ! कह कर पुकारते हैंए उन में सब.के.सब स्वर्ग.राज्य में प्रवेश नहीं करेंगे। जो मेरे स्वर्गिक पिता की इच्छा पूरी करता हैए वही स्वर्गराज्य में प्रवेश करेगा।

22द्ध उस दिन बहुत.से लोग मुझ से कहेंगेए ष्प्रभु ! क्या हमने आपका नाम ले कर भविष्यवाणी नहीं कीघ् आपका नाम ले कर अपदूतों को नहीं निकलाघ् आपका नाम ले कर बहुत.से चमत्कार नहीं दिखायेघ्ष्

23द्ध तब मैं उन्हें साफ.साफ बता दूँगाए ष्मैंने तुम लोगों को कभी नहीं जाना। कुकर्मियों! मुझ से दूर हटो।ष्


स्वर्गराज्य के मापदंड बहुत ही सीधे व सटीक हैं- जो स्वर्गिक पिता की इच्छा पूरी करता है, वही स्वर्गराज्य में प्रवेष करेगा। हम चाहे कितना भी बडा काम कर लें, हम स्कूल बना दें, अस्पताल चलायें, रिट्रीट सेंटर खोलंे, प्रवचन दें, अपदूतों को निकालें, चमत्कार करें, बहुत प्रसिद्धी हासिल कर लें परन्तु इन सब में यदि हम ईष्वर की इच्छा पूरी नहीं करते तो हमें स्वर्गराज्य में प्रवेष नहीं मिलेगा। तो अब सवाल यह उठता है कि हम कैसे जाने ईष्वर की इच्छा क्या है? बहुत सिंपल है। पवित्र आत्मा रूपी तेल अपने जीवन में बनाये रखें, नित्य प्रार्थना करें और पवित्र आत्मा से परामर्ष मांगे, पवित्र आत्मा द्वारा निर्देषित व संचालित रहें। तब हमारा जीवन ईष्वर की मरजी के मुताबिक होगा ईष्वर के वचन पर आधारित होगा। तब हम आध्यात्मिकता में कोई ढिलाई नहीं करेंगे। तब हम हर दिन, हर घडी हर पल येसु से मिलने को तैयार रहेंगे ठिक उन पाँच समझदार कुँवारियों की तरह जो तैयार थी और हमारा येसु हमें उस समय पहचान लेगा और कहेगा - ‘‘मेरे पिता के कृपापात्रों! आओ और उस राज्य के अधिकारी बनो, जो संसार के प्रारम्भ से तुम लोगों के लिए तैयार किया गया है।’’ और इस कदर हम उन  5 कुँवारियों जैसे, मेमने के विवाहोत्सव में सहभागी होने के योग्य पाये जायेंगे। आमेन। 


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