Friday, 4 December 2020

2nd Sunday of Advent Year B, Dec. 6, 2020, #Reflection in Hindi by Fr Preetam

 

इसायाह का ग्रन्थ 40:1-5.9-11

पेत्रुस का दूसरा पत्र 3:8-14

सन्त मारकुस 1:1-8

प्यारे विश्वासियों, इन दिनों जब मैं प्रभु के वचनों को पढता हूॅं तो बारबार मुझे यह संदेश मिलता है कि ईश्वर लोगों के उद्धार के लिए बहुत ही व्याकुल है। जब से मनुष्य अवज्ञा करके अदन बाग से बाहर हुए हैं, जब से इंसान अपने पापों के कारण ईश्वर से नाता तोडकर उसकी उपस्थिति से दूर गये हैं, ईश्वर उन्हें ढूंढता हुआ वापस अपने घर, अपने निवास में लाने के लिए निकल पडा है। जि हॉं प्यारे विश्वासियों, स्वर्ग में निवास करने वाला ईश्वर अपनी सृष्टि के शीर्ष इंसान को शैतान और बुराई की दासता में नहीं देख सकता इसलिए वह स्वर्ग की महिमा को छोडकर हमें बचाने हमारे बीच हमारी इस दुनिया में जाता है।  1:1 में हम पढते हैं — ''प्राचीन काल में ईश्वर बारम्बार और विविध रूपों में हमारे पुरखों से नबियों द्वारा बोला था। अब अन्त में वह हम से पुत्र द्वारा बोला है।''

प्यारे साथियों प्राचीन काल से विविध रूपों में और विविध लोगों द्वारा और अंत में अपने पुत्र द्वारा ईश्वर क्या बोला है? आखिर वह ईश्वर हमसे क्या कहना चाहता है? क्या है उसका संदेश। आज का दूसरा पाठ इन सवालों के जवाब बडे ही सुंदर तरीके से देता है

''किन्तु वह आप लोगों के प्रति सहनशील है और यह चाहता है कि किसी का सर्वनाश नहीं हो, बल्कि सब-के-सब पश्चाताप करें।'' जहॉं तक मैं सोचता हूॅं यही पूरी पवित्र बाइबल का सार है। यही ईश्वर के संदेश का निछोड है कि ईश्वर सहनशील है और वह किसी का सर्वनाश नहीं चाहता, बल्कि वह यह चाहता है कि हम सब के सब पश्चाताप करें। वास्तव में प्रभु येसु हमें यही बताने और इस कार्य को पूरा करने के लिए इस संसार में आये। संत योहन इसी संदेश को अपने सुसमाचार 3:16 में बहुत ही सुंदर तरीके से पेश करते हुए कहते हैं — ''ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि उसने इसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो उस में विश्वास करता हे, उसका सर्वनाश हो, बल्कि अनन्त जीवन प्राप्त करे। ईश्वर ने अपने पुत्र को संसार में इसलिए नहीं भेजा कि वह संसार को दोषी ठहराये। उसने उसे इसलिए भेजा कि संसार उसके द्वारा मुक्ति प्राप्त करे।''

वचनों में बारबार हमें यह सुनने को मिलता है कि ईश्वर किसी का भी सर्वनाश नहीं चाहता। संत योहन 6:39 में प्रभु येसु कहते हैं — ''जिसने मुझे भेजा, उसकी इच्छा यह है कि जिन्हें उसने मुझे सौंपा है, मैं उन में से एक का भी सर्वनाश होने दूँ, बल्कि उन सब को अन्तिम दिन पुनर्जीवित कर दूँ।'' कितने सुंदर वचन है प्यारे भाईयोंबहनों ईश्वर की रूची हर एक इंसान में है वह किसी को भी खोना नहीं चाहता। संत लूकस 15 में हम पढते हैं कि हमारा ईश्वर 100 मेंसे एक भटकी हुई भेड के लिए बाकि की 99 भेडों को छोडकर एक जो भटक गई है उसकी खोज में जाता है और उसे पाकर वह बडा आनन्दित होता है।

ईश्वर चााहता है कि इंसान के उद्धार की इस बात को मानव मुक्ति के इस संदेश को हर कोई जाने। आज के पहले पाठ में वचन कहत हैसियोन को शुभ सन्देश सुनाने वाले! ऊँचे पहाड़ पर चढ़ो। यरुसालेम को शुभ सन्देश सुनाने वाले! अपनी आवाज़ ऊँची कर दो। निडर हो कर यूदा के नगरों से पुकार कर यह कहोःयही तुम्हारा ईश्वर है।''

तत्कालीन परिवेश और संदर्भ में यह बात सिर्फ इस्राएलियों पर लागु हाती है क्योंकि यह भविष्यवाणी नबी इसायाह उस समय करते हैं जब इस्राएली लोग बाबुल के निर्वासन में थे। यह इसायाह के ग्रंथ के दूसरे भाग का पहला अंश है। यहॉं पर इस्राएलियों को आशा उम्मीद का यह संदेश सुनाने को ईश्वर कहते हैं कि उनका उद्धार अब नज़दीक हैं। विदेशी राजाओं की गुलामी से उन्हें ईश्वर मुक्ति देने जा रहे हैं। तो यह तो उस ऐतिहासिक मुक्ति का संदेश था जब ईश्वर ने इस्राएलियों को विदेशी ताकातों की दासता से मुक्त किया। पर आज यह वचन सारे संसार के लिए है। प्रभु येसु इस दुनिया में सिर्फ यहूदियों के लिए नहीं आये वे सबों को पापों से बचाने के लिए आये। संत लूकस 2:30 में सिमियोन प्रभु येसु को गोद में लेकर ईश्वर से कहता है

''मेरी आँखों ने उस मुक्ति को देखा है, जिसे तूने सब राष़्ट्रों के लिए प्रस्तुत किया है।''

इसलिए मुक्ति का संदेश सब के पास पहुॅंचना चाहिए। प्रभु आज हम सब का आह्वान कर रहे हैं कि हम ईश्वर के इस मुक्ति के संदेश जनजन तक फैलाने वाले बनें। आज के पहले पाठ के द्वारा प्रभु हम से कहते हैशुभ संदेश सुनाने वाले! अपनी आवाज़ उंची कर लें। निडर हो कर नगरों को पुकार कर कहें। यही हर एक बपतिस्मा लिए विश्वासी का परम कर्त्वय है कि हर कोई निडर होकर सुसमाचार सुनायें।

क्या सुसमाचार क्या है अथवा सुसमाचार की विषय वस्तु क्या है?

संत मारकुस 1:15 में हम पढते हैं कि योहन के गिरफ़्तार हो जाने के बाद ईसा गलीलिया आये और यह कहते हुए ईश्वर के सुसमाचार का प्रचार करते रहे,"समय पूरा हो चुका है। ईश्वर का राज्य निकट गया है। पश्चाताप करो और सुसमाचार में विश्वास करो।" यह सुसमाचार का सार। हम वापस आज के दूसरे पाठ में जायें वहॉं पर भी हमें यही संदेश मिलता है — ''किन्तु वह आप लोगों के प्रति सहनशील है और यह चाहता है कि किसी का सर्वनाश नहीं हो, बल्कि सब-के-सब पश्चाताप करें।''

प्यारे विश्वासियों हम आगमनकाल के दूसरे सप्ताह में हैं और आज के सुमाचार में हम पढते हैं कि योहन बपतिस्ता येसु मसीह के आने की तैयारी में इसी सुसमाचार को अंजाम देता है। हम पढते हैंनिर्जन प्रदेश में पुकारने वाले की आवाज़- प्रभु का मार्ग तैयार करो; उसके पथ सीधे कर दो। इसी के अनुसार योहन बपतिस्ता निर्जन प्रदेश में प्रकट हुआ, जो पापक्षमा के लिए पश्चाताप के बपतिस्मा का उपदेश देता था। सारी यहूदिया और येरुसालेम के लोग योहन के पास आते और अपने पाप स्वीकार करते हुए यर्दन नदी में उस से बपतिस्मा ग्रहण करते थे।

यर्दन नदी के तट पर योहन ने लोगों को पश्चाताप का बपतिस्मा दिया। पश्चाताप सुनने में तो यह शब्द बहुत ही साधाराण से लगता है पर क्या आप जानते हो यह स्वर्ग जाने की चाभी है। पवित्र बाइबल के अनुसार पाप मनुष्य जीवन की सबसे बडी समस्या है। हमारी सब परेशानियों, हमारे सारे दु:खों, बंधनों के पीछे पाप ही कहीं कहीं एक कारण हैं। मनुष्यों का पाप ही है जो उसे ईश्वर से दूर करता है, और उसका समाधान भी एक ही हैपश्चाताप। प्रे.. 3:19 में संत पेत्रुस अपने प्रथम प्रवचन में कहते हैं — ''आप लोग पश्चात्ताप करें और ईश्वर के पास लौट आयें, जिससे आपके पाप मिट जायें।''

 

आज इंसान की आत्मिक आंखों पर भ्रम अज्ञानता का पर्दा पडा हुआ है। इंसान ने अपराध बोध खो दिया है। अश्लिलता, दुशकर्म, हत्या, धोखा, भ्रष्टाचार, अन्याय, हिंसा और अत्याचार करने वाले लोग आज खुद को गुनाहगार नहीं मानते। लोगों ने आज अपराध बोध खो दिया है। अपनी अंतर आत्मा की आवाज़ की ही उन्होंने हत्या कर दी है।

पाप के नशे में मदमस्त इसी मानव जाती को बचाने येसु इस दुनिया में आये हैं जिनके जन्म की तैयारी कर रहेहैंं। संत पौलुस तिमथी को लिखते हुए कहते हैं — ''और इस आशा से विरोधियों को नम्रता से समझाये कि वे ईश्वर की दया से पश्चाताप करें, सच्चाई पहचानें, और इस प्रकार होश में कर शैतान के फन्दे से निकल जायें, जिस में फँस कर वे उसके दास बन गये हैं।''

आइये प्यारे विश्वासियों, आगमन काल के दूसरे इतवार में खुद अपने पापों पर पश्चाताप करें हम प्रभु का मार्ग तैयार करें; उसके पथ सीधे कर दें। साथ ही औरों को भी हम पश्चाताप करेगे येसु के पास लाने का प्रयत्न करें। आमेन।

 

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