समुएल का दुसरा ग्रन्थ 7:1-5.8b-12.14a.16
रोमियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 16:25-27
सन्त लूकस 1:26-38
प्यारे साथियो, हम ख्रीस्त जयंती के बहुत ही करीब आ गए हैं। पिछले तीन सप्ताहों से हम येसु के जन्म की तैयारियां करते आ रहे हैं। आगमन के इस अंतिम सप्ताह में माता कलीसिया हमारा आह्वान करती है कि हम इन आने वाले पांच दिनों में अपना मन व ध्यान उस व्यक्ति पर करें जो आने वाला है। कई बार होता क्या है कि हम आखरी सप्ताह में बिजी हो जाते हैं। सजावट में, शॉपिंग में, प्रोग्राम्स में आदि। इस भाग-दौड़ में कई दफा हम उसी को भूल जाते हैं जिसका जन्मदिन है। हमें सबका ख्याल रहता है - हमरे कपड़ों का, हमारे घर का, हमारे पकवानों का, हमारे बच्चों का, मित्रों का, पार्टी का पकवानो का आदि। आइये इस सप्ताह हम हमारा अधिक से अधिक ध्यान येसु की लगाएं।
जितना अधिक हम येसु के देहधारण के रहस्य पर मनन चिंतन करेंगे उतनी ही अधिक उन्हें अपने जीवन में पाने की , अपने दिल में उनका स्वागत करने की व उन्हें अपने जीवन में बसाने की तीव्रता गहरी व मज़बूत होगी।
आज का सुसमाचार हमारा ध्यान उस महान घटना की ओर ले जाता है, जिसके द्वारा घटना ने इतिहास को एक नया रुख प्रदान किया। जी हाँ जब गेब्रियल फरिश्ता मरियम के पास येसु के जन्म का सन्देश लेकर आता है। येसु की माता बनने के निमंत्रण को मरियम स्वीकार भी कर सकती थी और ठुकरा भी सकती थी, और उनके सकारात्मक या नकारात्मक उत्तर पर दुनिया मुक्ति का भविष्य निर्भर करता था। मरियम अचानक आये इस सन्देश से डर जाती है। पर जब स्वर्गदूत ने मरीम से कहा - "वे महान् होंगे और सर्वोच्च प्रभु के पुत्र कहलायेंगे। प्रभु-ईश्वर उन्हें उनके पिता दाऊद का सिंहासन प्रदान करेगा, वे याकूब के घराने पर सदा-सर्वदा राज्य करेंगे और उनके राज्य का अन्त नहीं होगा।’’
मरियम ज़रूर एक धार्मिक बालिका थी उसे धर्मग्रन्थ का ज्ञान था तभी स्वर्गदूत ने अपने सन्देश की सार्थकता दिखने के लिए उन्हें आने वाले मसीहा की भवष्यवाणी जो यहूदियों के ग्रंथों में लिखी थी उन्हें दुहराता है।
नबी यशायाह 9:6 में नबी कहते है - वह दऊद के सिंहासन पर विराजमान हो कर सदा के लिए शन्ति, न्याय और धार्मिकता का साम्राज्य स्थापित करेगा। विश्वमण्डल के प्रभु का अनन्य प्रेम यह कार्य सम्पन्न करेगा।
यह प्रतिज्ञा यहोवा ईश्वर ने राजा दाऊद से की थी जिसका वर्णन आज के पहले पथ में हम पते हैं। - इस तरह तुम्हारा वंश और तुम्हारा राज्य मेरे सामने बना रहेगा और उसका सिंहासन अनन्त काल तक सुदृढ़ रहेगा।’’
राजा दाऊद को यह सौभाग्य याकूब के उस आशीर्वाद से मिला जिसे उसने मरने से पहले युदा को यह कहते हुए दिया था - राज्याधिकार यूदा के पास से तब तक नहीं जायेगा, राजदण्ड उसके वंश के पास तब तक रहेगा, जब तक उस पर अधिकार रखने वाला न आयें। सभी राष्ट्र उसकी अधीनता स्वीकार करेंगे।
ये सारी भविष्यवाणियाँ प्रभु येसु की और संकेत करती हैं। प्रभु येसु ही वह राजा हैं जिनके राज्य का कभी अंत नहीं होगा और सभी राष्ट्र उनकी अधीनता स्वीकार करेंगे। जी हाँ आज नहीं तो कल सब एक दिन यह काबुल करेंगे येसु ही प्रभु है। ये मैं नहीं कहता वचन में लिखा है - इसलिए ईश्वर ने उन्हें महान् बनाया और उन को वह नाम प्रदान किया, जो सब नामों में श्रेष्ठ है, जिससे येसु का नाम सुन कर आकाश, पृथ्वी तथा अधोलोक के सब निवासी घुटने टेकें और पिता की महिमा के लिए सब लोग यह स्वीकार करें कि येसु मसीह प्रभु हैं।
मरियम ने इस महान ईश्वर को अपने गर्भ में स्वीकार किया; अदृश्य ईश्वर को अपनी कोख में रखकर एक शरीर दिया ; आदि से विद्यमान वचन को देह धारण करने के लिए मरियम ने अपने कोख रुपी मञ्जूषा को ईश्वर की मर्ज़ी पूरी करने हेतु सौंप दिया। उसके बाद मरियम ने बालक येसु को इस दुनिया को दिया, जिस दुनिया पर वे सदा के लिए शासन करेंगे।
प्यारे साथियों आज प्रभु इस ख्रीस्तमस पर हम सब को बुलाते हैं कि हम भी मरियम की ही तरह सबसे पहले तो येसु को अपने जीवन में पुरे दिल व मन से स्वीकार करें उसके बाद जैसे माँ मरियम ने येसु को जन्म देकर सरे संसार के लिए दे दिया हम भी जीवन में येसु को जन्म दें और उन्हें दुनिया के लिए देने वाले बने। जी हाँ संसार को येसु की ज़रूरत है। येसु के प्यार की, येसु की करुणा की,येसु के दिव्य स्पर्श की, येसु की क्षमा की, चंगाई की और उनके द्वारा मुक्ति की। आइये हम येसु को इस क्रिसमस पर येसु को अपने जीवन में स्वागत करें जैसे मरियम ने किया और उस येसु को हम पुरे संसार को देने वाले बनें। आमीन।
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