आमोस 6ः1. 4-7
1 तिमथी 6ः11-16
लूकस 16ः19-31
आज के सुसमाचार में हमने पढा, एक धनी व गरीब कंगाल लाज़रूस के बारे में। इस दृष्टाँत में गौर करने लायक बात यह है कि गरीब का नाम इसमें दिया गया है - ‘लाज़रूस’ पर धनवान का कोई नाम नहीं दिया गया। इस दुनिया में धनवानों का बडा नाम होता है, उनकी पहचान होती है, उनकी शौहरत होती है, और गरीब बेनाम, तिरस्कृत, व निंदीत लोग होते हैं। पर स्वर्ग राज्य के माप-दंड हमारे माप-दंड से भिन्न हैं। ख््रास्त में प्यारे भाईयां और बहनों जब नाम की बात आती है तो मेरा ध्यान प्रकाषना ग्रंथ की ओर जाता है, जहाँ अंतिम न्याय के बारे में बताते हुवे संत योंहन कहते हैं कि “जिसका नाम जीवन ग्रंथ में लिखा हुआ नहीं मिला, वह अग्निकुंड में डाल दिया गया“ (प्रकाषना ग्रंथ 20ः15)। आज के सुसमाचार को पढ कर ऐसा लग रहा था, जैसे प्रभु येसु जीवन की पुस्तक से पढ रहे हैं, उसमें लाज़रूस नामक कंगाल का तो नाम है पर उस धनी का नहीं है। और वह धनी अब हमेषा के लिए बेनाम रहेगा। जीवन ग्रंथ से उसका नाम मिटा दिया गया है। यही उसके विलासितापूर्ण जिंदगी व गरीबों के प्रति उदासिनता का पुरस्कार है।
प्रभु आज के सुसमाचार के द्वारा उस धनी के धन की उतनी निंदा नहीं करते जितनी उसके गरीबों के प्रति उदासीनतापूर्ण व्यवहार की। उसके पास गरीबों व तडपते लोगों के लिए कोई जगह नहीं थी। गरीब लाज़रूस को रोज दिन अपनी खाने की मेज़ के सामने भूख से तडपते देख कर भी वह उसकी पीडा से अनजान रहा। शायद उसने कभी भूख क्या होती है, उसका अनुभव ही नहीं किया था। क्योंकि वह रोज दिन दावत उडाता था। आज की दुनिया में ऐसे लोगों की कमी नहीं है। शोपिंग मॉल में जाना, 5 रू. की चाय को 50 रू. देकर पीना, मंहगे व फैषन वाले कपडे पहनना, ए.सी. वाली आरामदायक कार में घुमना ये सब उन्हें बेहद पसंद है। पहली मंजिल तक सिढी चढकर जाना उनसे नहीं होता, उन्हें लिफ्ट चाहिए होती है। पर वहीं दिन भर ईंट, रेत व सिमेंट की बोरी उठाकर पहली दूसरी और तीसरी मंजिल तक सिढी चढने वाले मज़दूरों पर उन्हें रहम नहीं आती। यदि वे घडी भर भी बैठ गये तो उनपर डाँट व गालियों का पहाड टूट पडता है। बिना ए.सी. की कार में सवारी करना उनके लिए एक मुष्किल काम होता है, लेकिन दिनभर कडी धूप में ठेलागाडी धकेलकर सब्जी बेचने वाले गरीब से 20 रू. किलो वाली सब्जी 15 रू. में मोल -भाव करते उन्हें न तो शरम आती है और न ही उनके दिल में मानवता जागती है। ऐसे कई उदाहरण दिये जा सकते हैं। आज के पहले पाठ में ऐसे ऐषो आराम की जिंदगी जिने वालों पर गहरा प्रहार किया गया है और कहा गया है कि इनके भोग-विलास का अंत हो जायेगा।
धनी लोग ईष्वर के प्रति अपने दिलों को बंद कर लेते हैं। वे सिर्फ इस जीवन के सुखों से तृप्त हैं। वे अपने भावी जीवन को भूल जाते हैं। वे अपना हृदय गरिबों के प्रति बंद कर देते हैं। वे अपने में ही सीमित रहना चाहते हैं।
लज़रूस उन लाखों करोडों बिमार, पीडित, दुखित, समाज द्वारा ठुकराये, तिरस्कृत, व शोषित लोगों का प्रतिनिधित्व करता है जिनकी पुकार सुनने वाला कोई नहीं। वे न तो अपने अधिकारों के लिए रैली निकालते और न ही उसके लिए सभायें करते हैं। वे सदियों से अपने इन दुःख दर्दों को अपना भग्य समझकर चुपचाप सहते आये हैं। संत लूकस के सुसमाचार 9ः24 में प्रभु का वचन कहता है - “जो अपना जीवन सुरक्षित रखना चाहता है वह उसे खो देगा और जो मेरे कारण अपना जीवन खो देता है वह उसे सुरक्षित रखेगा।“ उस धनी व्यक्ति ने अपना जीवन सुरक्षित रखने की कोषिष की, लेकिन अंत में जीवन. . .अनन्त जीवन उसके हाथों से फिसल जाता है, वह अपना अनन्त जीवन का पुरस्कार खो देता है वहीं लाज़रूस उसे हासिल करता है।
प्रभु आज के वचनों द्वारा हमें मुख्यरूप से निम्न तीन बातें बतलाना चाहते हैं?
पहली बात - हमसे ज्यादा गरीब व ज़रूरतमंद लोगों के प्रति हम उदार व दयालु बनें उनके दुख दर्दों को दरकिनार न करें, अपितु उन्हें समझने की कोषिष करें, उनके प्रति सहानुभुति व प्रेम की भावना रखें।
दूसरी बात - कि पश्चाताप का अवसर हमारे अंतिम सांस लेने तक ही हमें मिलता है। प्रभु हमें हमारे मरण तक सुधरने का अवसर देते हैं। लेकिन मरने के बाद हमें कोई मौका नहीं मिलने वाला। जैसा कि उस धनी के साथ हुआ।
तीसरी बात - हमारे सुधार के लिए हमें धर्ममार्ग पर चलाने के लिए हमारे पास प्रभु के वचन हैं। हमें रोज़ उन्हें पढना व उन पर मनन करना चाहिए। पिता इब्राहिम उस धनी से कहते हैं कि तुम्हारे भाईयों के पास मूसा का ग्रंथ है, वे उसे पढकर, सुधर जायें। इस पर हव धनी बोलता है कि वे कहाँ धर्मग्रंथ पढते व उसको सुनते हैं। याने उनके पास धर्मग्रंथ था लेकिन उन्होंने उसे न तो पढा और न सुना। इसलिए उसमें सदबुद्धी नहीं आयी, उसने दया, करूणा व प्रेम का पाठ नहीं पढा। अन्यथा वह उस गरीब की प्रति दया दिखाता और फलस्वरूप स्वर्गराज्य में प्रवेष करता। उसे भी पिता इब्राहिम की गोद में स्थान मिलता। हम भी हमारे घरों में रखी पवित्र बाइबल की धूल साफ कर उसे उठाकर रोज पढें। उसमें हमारे अनन्त जीवन का पूरा राज छिपा हुआ है। वही हमें उद्धार व मुक्ति के मार्ग पर ले जायेगा। आमेन।
1 तिमथी 6ः11-16
लूकस 16ः19-31
आज के सुसमाचार में हमने पढा, एक धनी व गरीब कंगाल लाज़रूस के बारे में। इस दृष्टाँत में गौर करने लायक बात यह है कि गरीब का नाम इसमें दिया गया है - ‘लाज़रूस’ पर धनवान का कोई नाम नहीं दिया गया। इस दुनिया में धनवानों का बडा नाम होता है, उनकी पहचान होती है, उनकी शौहरत होती है, और गरीब बेनाम, तिरस्कृत, व निंदीत लोग होते हैं। पर स्वर्ग राज्य के माप-दंड हमारे माप-दंड से भिन्न हैं। ख््रास्त में प्यारे भाईयां और बहनों जब नाम की बात आती है तो मेरा ध्यान प्रकाषना ग्रंथ की ओर जाता है, जहाँ अंतिम न्याय के बारे में बताते हुवे संत योंहन कहते हैं कि “जिसका नाम जीवन ग्रंथ में लिखा हुआ नहीं मिला, वह अग्निकुंड में डाल दिया गया“ (प्रकाषना ग्रंथ 20ः15)। आज के सुसमाचार को पढ कर ऐसा लग रहा था, जैसे प्रभु येसु जीवन की पुस्तक से पढ रहे हैं, उसमें लाज़रूस नामक कंगाल का तो नाम है पर उस धनी का नहीं है। और वह धनी अब हमेषा के लिए बेनाम रहेगा। जीवन ग्रंथ से उसका नाम मिटा दिया गया है। यही उसके विलासितापूर्ण जिंदगी व गरीबों के प्रति उदासिनता का पुरस्कार है।
प्रभु आज के सुसमाचार के द्वारा उस धनी के धन की उतनी निंदा नहीं करते जितनी उसके गरीबों के प्रति उदासीनतापूर्ण व्यवहार की। उसके पास गरीबों व तडपते लोगों के लिए कोई जगह नहीं थी। गरीब लाज़रूस को रोज दिन अपनी खाने की मेज़ के सामने भूख से तडपते देख कर भी वह उसकी पीडा से अनजान रहा। शायद उसने कभी भूख क्या होती है, उसका अनुभव ही नहीं किया था। क्योंकि वह रोज दिन दावत उडाता था। आज की दुनिया में ऐसे लोगों की कमी नहीं है। शोपिंग मॉल में जाना, 5 रू. की चाय को 50 रू. देकर पीना, मंहगे व फैषन वाले कपडे पहनना, ए.सी. वाली आरामदायक कार में घुमना ये सब उन्हें बेहद पसंद है। पहली मंजिल तक सिढी चढकर जाना उनसे नहीं होता, उन्हें लिफ्ट चाहिए होती है। पर वहीं दिन भर ईंट, रेत व सिमेंट की बोरी उठाकर पहली दूसरी और तीसरी मंजिल तक सिढी चढने वाले मज़दूरों पर उन्हें रहम नहीं आती। यदि वे घडी भर भी बैठ गये तो उनपर डाँट व गालियों का पहाड टूट पडता है। बिना ए.सी. की कार में सवारी करना उनके लिए एक मुष्किल काम होता है, लेकिन दिनभर कडी धूप में ठेलागाडी धकेलकर सब्जी बेचने वाले गरीब से 20 रू. किलो वाली सब्जी 15 रू. में मोल -भाव करते उन्हें न तो शरम आती है और न ही उनके दिल में मानवता जागती है। ऐसे कई उदाहरण दिये जा सकते हैं। आज के पहले पाठ में ऐसे ऐषो आराम की जिंदगी जिने वालों पर गहरा प्रहार किया गया है और कहा गया है कि इनके भोग-विलास का अंत हो जायेगा।
धनी लोग ईष्वर के प्रति अपने दिलों को बंद कर लेते हैं। वे सिर्फ इस जीवन के सुखों से तृप्त हैं। वे अपने भावी जीवन को भूल जाते हैं। वे अपना हृदय गरिबों के प्रति बंद कर देते हैं। वे अपने में ही सीमित रहना चाहते हैं।
लज़रूस उन लाखों करोडों बिमार, पीडित, दुखित, समाज द्वारा ठुकराये, तिरस्कृत, व शोषित लोगों का प्रतिनिधित्व करता है जिनकी पुकार सुनने वाला कोई नहीं। वे न तो अपने अधिकारों के लिए रैली निकालते और न ही उसके लिए सभायें करते हैं। वे सदियों से अपने इन दुःख दर्दों को अपना भग्य समझकर चुपचाप सहते आये हैं। संत लूकस के सुसमाचार 9ः24 में प्रभु का वचन कहता है - “जो अपना जीवन सुरक्षित रखना चाहता है वह उसे खो देगा और जो मेरे कारण अपना जीवन खो देता है वह उसे सुरक्षित रखेगा।“ उस धनी व्यक्ति ने अपना जीवन सुरक्षित रखने की कोषिष की, लेकिन अंत में जीवन. . .अनन्त जीवन उसके हाथों से फिसल जाता है, वह अपना अनन्त जीवन का पुरस्कार खो देता है वहीं लाज़रूस उसे हासिल करता है।
प्रभु आज के वचनों द्वारा हमें मुख्यरूप से निम्न तीन बातें बतलाना चाहते हैं?
पहली बात - हमसे ज्यादा गरीब व ज़रूरतमंद लोगों के प्रति हम उदार व दयालु बनें उनके दुख दर्दों को दरकिनार न करें, अपितु उन्हें समझने की कोषिष करें, उनके प्रति सहानुभुति व प्रेम की भावना रखें।
दूसरी बात - कि पश्चाताप का अवसर हमारे अंतिम सांस लेने तक ही हमें मिलता है। प्रभु हमें हमारे मरण तक सुधरने का अवसर देते हैं। लेकिन मरने के बाद हमें कोई मौका नहीं मिलने वाला। जैसा कि उस धनी के साथ हुआ।
तीसरी बात - हमारे सुधार के लिए हमें धर्ममार्ग पर चलाने के लिए हमारे पास प्रभु के वचन हैं। हमें रोज़ उन्हें पढना व उन पर मनन करना चाहिए। पिता इब्राहिम उस धनी से कहते हैं कि तुम्हारे भाईयों के पास मूसा का ग्रंथ है, वे उसे पढकर, सुधर जायें। इस पर हव धनी बोलता है कि वे कहाँ धर्मग्रंथ पढते व उसको सुनते हैं। याने उनके पास धर्मग्रंथ था लेकिन उन्होंने उसे न तो पढा और न सुना। इसलिए उसमें सदबुद्धी नहीं आयी, उसने दया, करूणा व प्रेम का पाठ नहीं पढा। अन्यथा वह उस गरीब की प्रति दया दिखाता और फलस्वरूप स्वर्गराज्य में प्रवेष करता। उसे भी पिता इब्राहिम की गोद में स्थान मिलता। हम भी हमारे घरों में रखी पवित्र बाइबल की धूल साफ कर उसे उठाकर रोज पढें। उसमें हमारे अनन्त जीवन का पूरा राज छिपा हुआ है। वही हमें उद्धार व मुक्ति के मार्ग पर ले जायेगा। आमेन।
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