Friday, 2 August 2019

सामान्य काल का 1 8 वां रविवार 4 अगस्त 2019


ये दिल माँगे मोर... । 

पहला पाठ उपदेशक  1:2; 2:21-23
दुसरल पाठ कोलोसिओ  3:1-5,9-11
सुसमाचार लूकस  12:13-21

90 के दशक  में पेप्सी के विज्ञापन का एक स्लोगन था जो भारत में काफी लोकप्रिय हो गया, वो था - ये दिल माँगे मोर थवा ये दिल और माँगता है। आज के तीनों पाठों का सार भी शायद यही है। तीनों पाठ मनुष्य की ‘ये दिल माँगे मोर’ वाली प्रवृति पर एक करारा प्रहार करते हैं। दौलत और दुनियाई कोई भी चीज अपने आप में बूरी नहीं होती। पर जिंदगी में सिर्फ उसे ही हासिल करना, और उसे ऐसे हासिल करते जाना की खुद को समझ न आये कि मुझे कितना चाहिए! मुझे कितनी संपत्ति की ज़रूरत है! या फिर ये सूध न पडे कि मेरे लिये पर्याप्त कितना होगा।  और फिर मैं यदि मेरा खून पसीना एक कर दूँ यह कहते हुए कि ये दिल माँगे मोर तो आज के पहले पाठ में उपदशक कहता है यह बिल्कुल व्यर्थ है। कई लोगों को आज तक यह बात समझ में नहीं आई है कि वे जीने के लिए काम करते हैं या फिर काम करने के लिए जीते हैं। यदि हमारी मेहनत सिर्फ एक सुखी जीवन के लिए है तो एक गरीब की एक दिन की कमाई काफी है, दो रोटी खाकर सूकुन से सो जाने के लिए और  यूँ तो सोने की थाली में भोजन करने वाले एक करोडपती को भी  रातभर  चैन की निंद नहीं आती। उपदेशक कहता है - मनुष्य समझदारी, कौशल  और सफलता से काम करने के बाद जो कुछ एकत्र करत लेता है, उसे वह सब ऐसे व्यक्ति के लिए छोड देना पडता है जिसने उसके लिए कोई परिश्रम नहीं किया है। यह सब व्यर्थ और दुर्भाग्यपूर्ण है।
मैं यह नहीं सोचता कि कोई भी इंसान जो अधिक से अधिक धन इकट्ठा करके इस दुनिया में ऐशो आराम की जिंदगी बिताने के ख्वाब देखता है वह इस सत्य से अनभिज्ञ रहता है कि ये जिंदगी चार दिन की है। हम सब इस बात को जानते हैं। पर इस सत्य को हम नज़र अंदाज करते हैं। हमें पता है कि इस दुनिया की कोई भी चीज जिसे हमने हासिल किया है खत्म होने वाली है - चाहे वो रूपया है या दौलत, नाम हो या शौहरत सब यहीं का यहीं धरा रह जायेगा। फिर भी हम उसी के पीछे भागते हैं; उसी को हासिल करना चाहते हैं; उसी से अपनी जिंदगी को भर लेना चाहते हैं। इसलिए प्रभु येसु आज के सुसमाचार में ऐसे लोगों के लिए ‘मूर्ख’ शब्द का प्रयोग करते हैं। ‘‘मूर्ख इसी रात तेरे प्राण तुझसे ले लिए जायेंगे और तूने जो इकट्ठा किया (धन-दौलत, नाम और शौहरत) वह अब किसका होगा?’

मित्रों इस सत्य को जानते हुए भी हम क्यों मूर्खतापूर्ण कार्य करते हैं?  क्योंकि हम मूर्ख बनाये जाते हैं। हमारी आँखों में धूल डाल दी जाती है, हमें उल्लू बनाया जाता है। किसके द्वारा? संसार और सांसारिक प्रलोभनों द्वारा, शैतान और उसके अनुयायों द्वारा। आज का युग भ्रम और भ्राँतियाँ फैलाने वाला युग है। यह विज्ञापनों और प्रचार का युग है। यहाँ पर हमें झूठी बातों पर विश्वास  करने को मज़बूर किया जाता है। हमें मालुम है, हमने देखा है, अनुभव किया है कि कोई भी क्रीम वास्तव में काले को गौरा नहीं बना पाती है। फिर भी हम फेयर एण्ड लवली, फेयर एण्ड हैण्डसम जैसी कई क्रीम खरीदने और लगाने को मजबूर हैं। क्या किसी ने वास्तव में निरमा से धोने पर दूध की सफेदी अपने कपडों में देखी है, या सर्फ एक्सल से जिद्दी दाग क्या किसी ने निकाले हैं? नहीं ना ! क्या आप ने किसी को धन वृद्धी यंत्र खिरीदकर रातों रात करोडपति बनते देखा है। नहीं ना ! अरे रातों रात यदि यूँ करोडपति बना जा सकता था, तो ये बेचने वाला कब का पूरी दुनिया का मलिक होता! पर फिर भी हम उसके पीछे भागते हैं। फिर भी हम विश्वास करते हैं। आखिर क्यों? 

मेरे पास एक ही उत्तर है - ये सारी शैतान की चाल हैसंत योहन 8ः44 में प्रभु का वचन कहता है - ‘‘ तुम सब अपने पिता शैतान की संतान हो और उसकी इच्छा पूरी करना चाहते हो। वह तो प्रारम्भ से ही हत्यारा था उसने कभी सत्य का साथ नहीं दिया, क्योंकि उस में कोई सत्य नहीं है। जब वह झूठ बोलता है, तो अपने स्वभाव के अनुसार बोलता है, क्योंकि  वह झूठा है और झूठ का पिता है।’’ ये सच्चाई है। उसने हमें अंधा बना रखा है। वह विभिन्न माध्यमों और स्रोतों से हमें यह कहता रहता है - पैसा ही सब कुछ है उसी के पीछे भागो, दौलत ही सब कुछ है उसी को हासिल करो, मौज मस्ती ही सब कुछ है, ऐश  करो, सब प्रकार के शारीरिक व मानसिक सुखों का भोग करो, अपनी वासनाओं की तृप्ती करो, इज्जत, नाम और शौहरत कमाओ, यही सब कुछ है। 
अब ये बताओ किसको यह नहीं मालुम की ये सब चीजें क्षणिक है, क्षण भंगुर है, पल भर में ओझल होने वाली है। यह जानकर भी तो हम उनके पीछे भागते हैं। आज पूरा बाज़ार इन्हीं चीजों से भरा पडा है। ऐसी चीजों से जो क्षणिक है।

प्यारे मित्रों हम ईश्वर  की संतान हैं, शैतान की नहीं। इसलिए हम ईश्वर की बात माने जो सच्चा है। संत योहन 7ः18 में प्रभु येसु कहते हैं - ‘‘जिसने मुझे भेजा, वह सच्चा है।’’ जी हाँ उसका वचन सच्चा है। वह इस दुनिया व शैतान जैसा दोहरी बात नहीं करता। वह हमें धोखे में नहीं रखता। प्रभु येसु ने कभी अपने अनुयाईयों को इस दुनिया की निगाह में धनी बनाने का वादा किया। उन्होंने कहा है - पृथ्वी पर अपने लिए पूँजी जमा मत करो, स्वर्ग में अपने लिए पूँजी जमा करो, जहाँ न तो मोरचा लगात है, न कीडे खाते हैं और न चोर सेंध लगा कर चुराता है।’’ (मत्ती 6ः19-20) आज के दूसरे पाठ में प्रभु हमसे कहते हैं - ‘‘ऊपर की चीज़ें खोजते रहें। आप पृथ्वी की नहीं, ऊपर की चीजों की चिंता किया करें।’’
आईये आज हम यह निश्चय कर लें  कि हम हमारे जीवन में सच्ची बातों, जो कि सिर्फ ईश्वर से आती है उन पर विश्वास  करंगे  और उन पर चलेंगे या फिर झूठी बातों और झूठे वादों पर विश्वास  करंगे  जो कि शैतान की और से आते हैं; हम  इस दुनिया में कुछ हासिल करना चाहते है जो कि नष्ट होने वाला है या फिर उस जीवन को हासिल करना चाहते हैं जो हमेशा  बना रहेगा, जो केवल येसु ही हमें दे सकते है.

यह हमारे ऊपर निर्भर है हम क्या चुनते हैं। मत्ती 6:21 में प्रभु का वचन कहता है & "जहां तुम्हारी पूंजी है वहीँ तुम्हारा ह्रदय भी होगा । मेरा दिल कहाँ है? 
आमेन।

1 comment: