इसायाह 35ः1-6,10
याकूब 5ः7ः10
मत्ती 11ः2-11
आज आगमन का तीसरा रविवार है। कलीसिया की परम्परा के अनुसार तीसरा रविवार आनन्द
Gaudete Sunday अर्थात् आनन्द व ख़ुशी का रविवार कहलाता है। आज के पाठ हमें खुश रहने व आनन्द मनाने को कहते हैं। हम सब इन दिनों क्रिस्मस की तैयारियों में व्यस्त हैं। जिन लोगों के ऊपर पारिवारिक जिम्मेदारियां है उन्हें इन दिनों कई प्रकार की चिंताएं सताती होंगी। बहुत सारी खरीदी करना है, घर की सफाई-पुताई, बच्चों के नए कपडे, आदि विभिन्न चिंतायें। पर आज का वचन कहता है कि चिंतित व दुःखी न हों। इस दुनियां में यूं देखें तो दुःखों की कमी नहीं है। हर घर में दुःख, हर परिवार में दुःख। कोई अपनी बिमारी से दुःखित है तो कोई अपनी लाचारी से, कोई किसी के दबाव में दुःखित है तो कोई किसी आभाव में दुःखित है। कोई गरीबी के कारण तो कोई नौकरी नहीं मिलने के कारण। कई कारण हैं दुःखी होने के। उन सब लोगों के लिए प्रभु का वचन आज बस यही कहता है - ‘‘डरो मत, देखो, तुम्हारा ईश्वर आ रहा है।’’ जि हां वह ईश्वर आ रहा है जिसका नाम इम्मानुएल है। वो हमारे साथ रहने आ रहा है। वो हमें यह कहने आ रहा है कि थके मांदे और बोझ से दबे हुए लोगों तुम सब के सब मेरे पास आओ मैं तुम्हें विश्राम दूंगा।
आज का समाज, आज की ये दुनिया सुख की तलाश में है। सारी भाग दौड, दिनभर की मेहनत, खून पसीना एक करना, ये सब इसिलिए तो हम करते हैं कि हमारा गुजारा सुखपूर्वक हो सके कि हम एक आरामदायक जीवन बिता सकें। इस दुनिया में सुख व शांति तो हर कोई खोजता है परन्तु हर कोई इसे प्राप्त नहीं कर पाता। क्योंकि हम गलत जगह पर इसे ढूंढते हैं। अधिक धन दौलत होने से इंसान धनी ज़रूर बन सकता है लेकिन वो सुखी हो इसकी कोई ग्यारन्टी नहीं। हम देखते हैं कि इस दुनिया में कई बड़ी बड़ी हस्तियां होती है कई अरबपति और करोड़पति होते हैं पर क्या कभी किसी ने अपने धन से अपने जीवन या उम्र का एक पल भी बढ़ाया है?
जब मैं हॉस्टल में पढाई करता तहत तब हमारी हॉस्टल के पास बहार एक एक विक्षिप्त याने कि पागल व्यक्ति रहता था, जिसे मैं मेरे बचपन से देखता आ राह था, उसका कोई घर नहीं था, वह कभी नहाता नहीं, ठंड हो, गरमी हो या फिर बरसात वह जहां जगह मिली सो जाता था, उसके कपडे फटे हुए थे। फिर भी वह जिंदा था। हम हज़ारों सफाई के जतन करने के बाद भी बिमार हो जाते हैं पर वह कूडे के ठेर पर सोकर भी स्वस्थ रहता था। मेरे लिए यह एक किसी रहस्य से कम नहीं। मन में एक सवाल उठता है- आखिर उसकी ठंड से गरमी से व बिमारी से रक्षा कौन करता है? वचन कहता है - ‘‘हमारे प्रभु ईश्वर के सदृष कौन है? वह उच्च सिहांसन पर विराजमान हो कर स्वर्ग और पृथ्वी, दोनों पर दृष्टि रखता है। वह धूल में से दीन हीन को और कूडे पर से दरिद्र को ऊपर उठाता है।’’ स्तोत्र113ः7
सच्ची ख़ुशी और शांति प्रभु से ही आती है। वही हमारा उद्धार कर सकता है। हमारी सब प्रकार की चिंताओं, परेषानियों, समस्यओं का एकमात्र समाधान प्रभु येसु मसीह ही है। जिनके आने की हम तैयारी कर रहे हैं। आज का पहला पाठ हमसे कहता है - जब प्रभु आ जायेंगे तब अंधों की आंखें देखने और बहरों के कान सुनने लगेंग। लंगडा हरिण की तरह छलांग भरेगा और गुंगे की जीभ आनंद का गीत गायेगी।’’ सुसमाचार में हमने सुना कि योहन बपतिस्ता अपने शिष्यों को प्रभु येसु के पास ये पता करने भेजते हैं कि वही मसीहा हैं जो आने वाले हैं या फिर वे किसी और का इंतजार करें। इस पर प्रभु येसु उनसे कहते हैं - तुम जो देख रहे हो वही जा कर बता दो - अंधे देखते लंगडे चलते गूंगे बोलते और मूर्दे जिंदा हाते हैं। और दरिद्रों को सुसमाचार सुनाया जाता है।
प्रभु येसु हम सब की विभिन्न प्रकार की दुर्बलताओं, कमजोरियों व जो कुछ कमी हममें हैं उनकी पूर्ति करने आये हैं। वे हमें सब रूप से परिपूर्ण बनाने आये हैं। इस परिपूर्णता के राज्य में प्रवेष करने के लिए हममें योहन बपतिस्ता जैसी विनम्रता का होना अति आवश्यक। वह अपने आप को प्रभु येसु के सामने कुछ भी नहीं मानते हैं। उनका जूता उठाने के योग्य भी नहीं। योहन बपतिस्ता के पास भी बहुत ही शक्ति थी। ईश्वरीय अनुग्रह था पर वह उस पर दंभ नहीं भरता। सृष्टि के प्रारम्भ में लूसीफेर को भी ईश्वर ने असीम शक्ति व सामार्थ्य दिया। किंतु उसने उसका दुरउपयोग किया। वह प्रभु से भी बडा बनना चाहता था। लेकिन उसका क्या हाल होता है हम सब जानते हैं। प्रभु येसु कहते हैं कि योहन मनुष्यों में योहन बपतिस्ता से बढकर कोई नहीं। पर जो भी स्वर्गराज्य में छोटा है वह योहन से भी बडा है। प्रभु को वचन कहता है - ईष्वर घमंडियों का विरोध करता, किंतु विनम्र लोगों पर दया करता है। आप शक्तिशाली ईश्वर के सामने विनम्र बने रहें, जिससे वह आप को उपयुक्त समय में ऊपर उठाए। आप अपनी सारी चिंताए उस पर छोड दो, क्यांकि वह आपकी सुधि लेता है’’ (1 पेत्रुस 5ः5-7)। हम प्रभु के सामने झूकना सिखें। क्योंकि उनके बिना हमारा जीवन कुछ भी नहीं। आज का वचन उन बच्चों के लिए उन नव जवानों के लिए एक चुनौति भरा है जिन्हें प्रार्थना करना, भक्ति करना, चर्च जाना आदि गुजरे जामाने की चिजें लगती है। समय रहते ये पहचान लिजीए कि हम प्रभु पर उन की दया पर ही निर्भर है अन्यथा हमारा कोई भी अस्तीत्व नहीं है।
खुश रहने का सर्वोत्तम तरीका है प्रभु पर आश्रित होना। आईये हम हामारी सारी चिंताएं प्रभु पर छोड दें वह हमारी सुधि लेता है। आमेन।
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