Monday, 2 December 2019

आगमन का दूसरा रविवार 8 दिसंबर 2019


इसायाह 11:1-10
रोमियो 15:1-9
मत्ती 3:1- 12

आज आगमन का दूसरा रविवार है। जैसा कि हम आगमन काल में प्रभु येसु के प्रथम आगमन की यादगारी में , उनके देहधारण का पर्व मनाने की तैयारी करते हैं। मसीहा के आगमन के बारे में बताते हुए नबी इसायस आज के पहले पाठ मे हमसे कहते हैं कि ‘‘वे न तो जैसे-तैसे न्याय करेगा, और न सुनी-सुनाई के अनुसार निर्णय देगा। वह न्यायपूर्वक दीन-दुःखियों के मामलों पर विचार करेगा और निष्पक्ष हो कर देष के दरिद्रों को न्याय दिलायेगा।’’(इसायाह 11:3-4)। जि, हाँ प्रभु हमारा न्याय करने आ रहे हैं वे हमारे बाहरी रंग रूप का नहीं बल्कि हमारे अंतःकरण का न्याय करेंगे। आज के सुसमाचार में हमने सुना योहन बपतिस्ता कहते हैं - ‘‘वे हाथ में सूप ले चुके हैं, जिससे वे अपना खलिहान ओसा कर साफ करें। वे अपना गेहूँ बखार में जमा करेंगे। वे भूसी को न बुझने वाली आग में जला देंगे।’’
यहाँ प्रभु अपनी प्रजा की तुलना गेहूँ की फसल से करते हैं। प्रभु अपने द्वितीय आगमन के दिन गेंहू को भूसी से अलग कर देंगे। प्रभु कुकर्मियों को धर्मियों से अलग कर देंगे। धर्मी रूपी गेहूँ स्वर्ग के बखारों में जमा किये जायेंगे व पापी रूपी भूसी को कभी न बुझने वाली आग में फेंक दिया जायेगा।
नबी इसायस आज के पहले पाठ में कहते हैं की जब मसीहा का आगमन होगा तो उनके  राज्य में भेडिया मेमने के साथ रहेगा, चीता बकरी की बगल में लेट जायेगा, बछडा तथा सिंह-शावक साथ-साथ चरेंगे और बालक उन्हें हांँक कर ले चलेगा। गाय और रीछ में मेल-मिलाप होगा और उनके बच्चे साथ-साथ रहेंगे। दुधमुँहा बच्चा नाग के बिल के पास खेलता रहेगा और बालक करैत की बाँबी में हाथ डालेगा।
इस भविष्यवाणी का क्या अर्थ है? क्या शेर जो कि एक माँसाहारी जीव है घास खाना प्रारम्भ कर देगा? क्या भेडिया सच में मेमने के साथ चरने लगेगा? मैं नहीं सोचता। यहाँ नबी दो प्रकार के जन्तुओं के बारे में बतलाते हैं। एक तो वे हैं जो भोले-भाले व निष्कपट हैं जैसे - मेमना, बकरी, बछडा, बालक, दुधमुँहा बच्चा। और दूसरे वे हैं जो कि हिंसक व जहर उगलने वाले हैं जैसे- भेडिया, चीता, सिंह, रीछ, और नाग। ये जानवर दो प्रकार के लोगों की ओर संकेत करते हैं अर्थात एक वे लोग जो मन के निर्मल, भोले-भाले व निष्कपट हैं तथा दूसरे वे लोग जो विभिन्न प्रकार की हिंसा, आंतक, दुष्मनी के ज़हर एवं वेमनस्य से भरे हुए हैं। नबी कहते हैं कि प्रभु के राज्य में ये सब लोग एक साथ प्रेम-भाव व मेलजोल से रहेंगे। और जब प्रभु येसु ने अपने राज्य की स्थापना की तो ऐसा ही हुआ। साउल जो कलीसिया का कट्टर विरोधी था जो प्रभु के भक्तों के विरूद्ध जहर उगलता था, जिसका नाम सुनते है ही लोग काँपने लगते थे, जब उसने प्रभु को पहचाना, जब उसने प्रभु के राज्य को अपने जीवन में स्वीकार किया तो वे पूर्ण रूप से बदल गये। उन्होंने न केवल हिंसा के मार्ग को छोडा लेकिन वे उसी प्रभु के जिसके वे विरोधी थे एक उत्साही प्रचारक बन जाते हैं। वही लोग जो उनसे डरते थे अब उनके पास आकर प्रभु की वाणी सुनने लगते। यही है भेडिये का मेमने के साथ रहने का अर्थ। प्यारे भाईयों और बहनों, प्रभु येसु हमसे कहते हैं कि मैं ने तुम्हें भेडियों के बीच भेडों की तरह भेजा है। आज कई प्रकार के खुंखार भेडिये एवं प्रभु के लोगों के विरूद्ध हिंसा का जहर उगलने वाले कई साँप विद्यमान हैं। वचन कहता है हमें इनके साथ मेल-मिलाप व भाईचारे के साथ रहना है। जिस प्रेम, शांति व एकता के राज्य को प्रभु येसु इस दुनिया में लेकर आये थे उसे यहाँ हमारे बीच साकार करने की जिम्मेदारी हम सब की है। हमें अंधकारमय इस जग में प्रभु की ज्योति जलाना है। हमें पृथ्वी के नमक और संसार की ज्योति बनना है। हमें हिंसा, द्वेष एवं दुष्मनी घावों को प्रेम, क्षमा एवं मित्रता से भरना है।
इस संदर्भ में मैं हमारे ही धर्मप्रान्त के उदयनगर पल्ली की वह घटना याद करता हूँ जहाँ  सि. रानी मरिया को कुछ असामाजिक तत्वों ने मारवा दिया। लेकिन उनकी हत्या की सुपारी लेने वाले समंदरसिंह के जीवन में एक अमुलभूत परिवर्तन आया। उसके जिस खूनी हाथों से उसने रानी मरिया को बडी क्रूरतापूर्वक मौत की निंद सुला दिया था, उसी हाथों में रानी मरिया की बहन ने राखी बांध कर उसे पूर्ण रूप से क्षमा करते हुए अपना भाई बना लिया। अब वही हत्यारा सिस्टर के परिवार का एक सदस्य बन गया है। वह केरल उनके माता-पिता से मिलने जाता है, सिस्टर लोगों के उदयनगर स्थित कॉन्वेंट में उनके साथ भोजन करता है। मैं सोचता हूँ नबी इसायस इसी प्रकार के एक दिन की भविष्यवाणी करते हैं। हर एक ख्रीस्तीय भाई बहन इसी लिए बुलाए गये हैं। हमें पापमय भटकती हुई मानवता को प्रभु के पास लाना है, सबों को प्रभु का मार्ग दिखलाना है। लेकिन दूसरों को सुधारने से पहले हमें अपने भीतर झांक कर देखना चाहिए, कहीं न कहीं हमारे अंदर भी एक खुंखार भेडिया, एक हिंसक शेर, अथवा एक जहरीला सांप छिपा हुआ है। हम स्वयं अपने भाई-बहनों को नीचा दिखाने, दूसरों की इज्जत धूल में मिलाने, दूसरों की उन्नती पर ईर्ष्या से जलने एवं अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए कई प्रकार के गलत कदम उठाने का काम करते हैं। सबसे पहले हमें सुधरने की जरूरत है। हम सब अपने पापों पर पश्चाताप करें क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है। प्रभु हमारे पास जल्द ही आने वाले हैं। इसिलिए संत योहन बपतिस्ता कहते हैं - प्रभु का मार्ग तैयार करो, उसके पथ सीधे कर दो। आईये हम हमारे अंदर से सब प्रकार की बुराइयों को दूर करें,  हमारे बात, विचार, व्यहार, एवं कार्य जो प्रभु को हमारे जीवन में आने में बाधक हैं, हमारे जीवन से दूर कर दें। और उनकी जगह हम भलाई के कुछ काम करें, किसी की मदद करें, किसी के जीवन में खुशियाँ लाएं। आमेन।
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प्रवचन - २ 
आगमन का दूसरा सप्ताह हमें ख्वाब देखने का आह्वान करता है। बडे़ सपने देखने को कहता है। आज प्रभु अपने वचनों के द्वारा हमें अपने मन व दिलों को संकीर्णता से उभरकर विस्तृत व विषाल मन व हृदय वाले बनने का आह्वान करते हैं। हमारे दैनिक जीवन की छोटी-बडी समस्याओं, चुनौतियों एवं बुराईयाँ बाहर निकलकर ईष्वर के बडे न्यौते को स्वीकार करते हुए, उनके एक बडे वादे को अपने जीवन में समाहित करने के लिए प्रभु आज हमें बुलाते हैं। प्रभु येसु मसीह में ईष्वर हमें एक सपनों का संसार देने वाले हैं। नबी इसायाह हमें अपने दिमाग में कल्पना करने को कहते हैं एक ऐसा राजा की जो ईष्वर के आत्मा के प्रज्ञा, बुद्धि, सुमति, धैर्य, ज्ञान, तथा ईष्वर-भक्ति से भरपूर होगा। और उसका राज्य पूर्ण शाँति व बेखौफ सहअस्तित्व का राज्य होगा जहाँ प्रकृति में पूर्ण मेल-मिलाप व एकता होगी। और उसके राज्य में सब प्रकार की संपन्नता और भरपूरी होगी। पुराने विधान के सब नबियों ने इस राज्य की भविष्वाणी अपने-अपने शब्दों में की है। पवित्र बाइबल के अंतिम नबी योहन बपतिस्ता  आज के सुसमाचार में इस राजा के तत्कालिक आगमन और उसके राज्य के बारे में बाताते हैं और अपने प्रवचन में वे जोडते हैं कि वह तुम्हें जल व पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देंगे। तो इस नये राज्य में हम सब प्रज्ञा, बुद्धि, सुमति, धैर्य, ज्ञान, तथा ईष्वर-भक्ति से भर जायेंगे। पर इसके लिए योहन बपतिस्ता हम से कहते हैं कि हमें उस राज्य में शामिल होने के लिए अपने आप को तैयार करना होगा। अपने पश्चाताप द्वारा अपने मन व हृदय में उस राजा के लिए जगह तैयार करने की ज़रूरत है। और उसके लिए हमें अपने दिलों को बदलना होगा, पश्चाताप करना होगा। योहन बपतिस्ता हमें उस राज्य का रसास्वादन करने के लिए, उस राज्य के आनन्द के सहभागी बनने के लिए अपने पुराने मार्गां, पुराने चाल-चलन को बदलने के लिए आह्वान करते हैं। उनका आह्वान है - पश्चाताप करो। स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है। प्रभु का मार्ग तैयार करो, उसके पथ सीधे कर दो। 
पश्चाताप का सच्चा अर्थ क्या है? पश्चाताप का सच्चा अर्थ है अपने जीवन के उन मार्गांे को छोडना जो हमें अपने प्रभु से दूर ले जा रहे थे और उस उस राह को चुनना जो हमें ईष्वर के करीब लाती है। पश्चाताप का सच्चा अर्थ है जिन पापमय राहों को हम छोडकर आये हैं उन पर फिर कदम न रखना। पश्चाताप का सच्चा अर्थ है बुराई की राहों की भयानकता को जानकर, उन पर चलने से होने वाले हमेषा के विनाष को पहचानकर उन्हें हमेषा के लिए छोडकर ऐसी राहों को अपनाना जो अनंत जीवन देती है। 
आईये आज हम नबी इसायाह जिस ईष्वर के राज्य की भविष्यवाणी कर रहे हैं उस राज्य की प्रजा बनने के लिए अपने को तैयार करें। इस राज्य की प्रजा बनने के लिए हमें अपने अंदर छिपे भेडिये, चीते, रीछ, सिंह, नाग व करैत जैसे हिंसक व सब प्रकार की बुराई और नुकसान पहुंचाने वाली मानसिकता व व्यवहार को त्यागना होगा। जैसा कि योहन बपपिस्ता ने कहा है प्रभु के पथ सीधे कर दो। आईये हम हमारे जीवन के सभी टेडे रास्ते सीधे करें और प्रेम, शांति और आनन्द के राजा येसु मसीह को अपने जीवन में जन्म लेने दें। ताकि वो हमें अपने राज्य की प्रजा बना सकें। आमेन। 



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