प्रभु येसु मसीह के हृदय से निकलती लाल और सफेद रंग की दो किरणों वाली सुन्दर तस्वीर हम सब ने देखी होगी जिसमें नीचे ‘‘येसु मैं आप पर भरोसा रखता हू’’ लिखा रहता है। यूॅं तो माइकल ऐंजेलो और लियो नार्ड द विंची जैसे कई कलाकारों ने अपनी कल्पनाओं के घोडे दौडाते हुए प्रभु येसु के जीवन और चरित्र को दर्शाती हुई बेहद सुन्दर व आकर्षक कई कलाकृतियाॅं बनाई हैं। पर जिस तस्वीर की आज हम बात कर रहे हैं वह किसी मनुष्य की कल्पना की उपज नहीं पर स्वयं प्रभु येसु की आज्ञानुसार संत फोस्तीना के माध्यम से बनवाई गई है। सन्1931 में प्रभु येसु ने सिस्टर फोस्टीना को दर्शन देकर अपनी दिव्य दया के बारे में बतलाया और अधिक से अधिक लोगों को येसु की दिव्य दया हासिल होने के लिए दिव्य दया की भक्ति को बढावा देने को कहा। जि हाॅं प्रभु येसु ने इसी रूप में संत फोस्टीना को दर्शन दिया और कहा कि जैसा वे उन्हें दिव्य दर्शन में देख रहीं हैं वैसा ही एक चित्र तैयार करके उसके नीचे येसु मैं तुझ पर भरोसा रखता हूॅं लिखें। और आगे प्रभु येसु ने उनसे कहा - मैं चाहता हूॅं कि मेरे इस तस्वीर की दुनियाभर में आदर-भक्ति हो। मैं वादा करता हूॅं कि जो कोई इस तस्वीर का आदर करेगा उसका सर्वनाश नहीं होगा।
अपने उस रूप में दिये दर्शन की व्याख्या करते हुए प्रभु येसु कहते हैं- ये सफेद किरणें मेरी बगल से निकले पानी को दर्शाती हैं, जो हर एक आत्मा को शुद्ध करता है। और लाल किरणें मेरे रक्त को दर्शाती जो आत्माओं को जीवन प्रदान करता है। ये दोनों किरणें उस वक्त मेरे दयामय हृदय की गहराईयों से निकली जब मेरी बगल को भाले से छेदा गया था. (योहन 19:34) ये उन आत्माओं के लिए सुरक्षा प्रदान करती हैं जो मेरे पिता के क्रोध व दंड के लायक हैं। धन्य हैं वे आत्मायें जो मेरी इन किरणों की छाया में सुरक्षित हैं। दिव्य न्यायाधीश के हाथ उन पर कृपा करेंगे। तब तक मानव शांति नहीं पाएगा जब तक वह ईश्वर की ओर न मुडे और उनकी करूणा पर भरोसा न करे।
और आज के दिन के बारे में प्रभु येसु ने यह कहा - मैं चाहता हूॅं कि पास्का के बाद का पहला रविवार मेरी दया के दिन के रूप में मनाया जाये। जो कोई इस दिन योग्य रीति से पाप स्वीकार करके पवित्र परम संस्कार को ग्रहण करेगा वह न केवल अपने पापों की माफी पायेगा परन्तु उन पापों के कारण जो दंड उन्हें मिलने वाला था उससे भी मुक्ति पायेगा। इस दिन दिव्य दया के भंडार के सारे दरवाज़े खुल जाते हैं जहाॅं से कृपा का झरना बहता है। मेरे पास आने में कोई भी आत्मा न डरें। यह दिव्य दया का पर्व सारे संसार के लिए एक सान्तवना होगा।
हम पवित्र शुक्रवार से लेकर दिव्य दया की नोवेना व रोजरी माला प्रार्थना करते आये हैं और आज हम उस दिव्य दया को याद कर रहे हैं जो सारे संसार के पापों के लिए येसु मसीह के अति करूणामय हृदय से सदा बहती रहती है। इसीलिए संत मत्ती के सुसमाचार 18ः14 में भटकी हुई भेड के प्रसंग में प्रभु येसु कहते हैं - ‘‘इसी तरह मेरा स्वर्गीक पिता नहीं चाहता कि उन नन्हों में से एक भी खो जाये।’’
प्रभु येसु ने संत फोस्टीना से दिव्य दया की नोवेना के संदर्भ में कहा था - ‘‘इन नौ दिनों की प्रार्थना मेें तुम सारी आत्माओं को मेरी दया के झरने के पास लेकर आना और इस झरने से उन्हें जितना अधिक सामर्थ्य, और आशीष की ज़रूरत है मैं उन्हें दू़ॅंगा विशेष करके परीक्षा और मौत की घडी में। हर रोज तुम समरूप आत्माओं को लाकर मेरी दया के सागर में उन्हें डुबाओ।’’
यह है हमें प्रेम करने वाले ईश्वर के दिल की तडप। संत योहन का पहला पत्र 4ः8 कहता है - " ईश्वर प्रेम है’’ जि हाॅं ईश्वर की सारी पहचानों में से प्रेम के रूप में उनकी पहचान सबसे सटीक पहचान है। उनके दिल मंे प्रेम कुछ इस कदर उमडता था कि उसने उस प्रेम का इजहार करने के लिए इंसान को बनाया। उसने इंसान को बनाया ताकि वह उस पर अपना प्रेम लुटा सके। पर इंसान ने उस प्रेम का तिरस्कार किया। इंसान ने बेवफाई की। और उस प्रेम को ठुकरा कर इस संसार में संसार और संसार की चीजों से दिल लगा लिया। वचन कहता है - ‘‘जो संसार को प्यार करता है उसमें पिता का प्रेम नहीं।’’ 1 योहन 2ः15 और 1 योहन 5ः19 में वचन कहता है-‘‘हम जानते हैं कि हम ईश्वर के हैं जब कि समस्त संसार दुष्ट के वश में है।’’ यदि हम संसार से प्यार करते हैं तो इसका मतलब है हम दुष्ट याने शैतान से प्यार करते हैं।
फिर भी हमारे प्रेमी पिता ने हमें दुष्ट के शिकंजे में फॅंस कर मरने नहीं दिया। उसने हमें अनन्त जीवन देने हेतु अपने ही एकलौते बेटे को हमारे लिए भेज दिया ताकि उनके द्वारा हम पुनः पिता के प्यार को पा सकें। हम हमारे पापों द्वारा पिता से जितना दूर जाने की कोशिश करते हैं पिता उतना ही हमारे करीब आकर हमें अपने प्रेम व करूणा से भर देना चाहता है। इसीलिए उसने कलवारी पर अपने एकलौते बेटे का बलिदान चढाया ताकि उनके रक्त द्वारा हमारे पापों के दाग धोये जा सकें और हम पिता के प्रेम व करूणा के फिर से भागिदार बन सकें।
उसी येसु मसीह की दिव्य करूणा के द्वारा पिता सारी मानवता को अपने प्रेम भरे आगोश में ले लेना चाहता है। सारी मानव जाती को येसु की दिव्य दया के सागर में डुबाकर उन्हें शुद्ध कर फिर से अपनी प्रिय संतानों के रूप में अपनाना व प्यार दिखाना चाहता है।
आईये हम दिव्य करूणा से भरे येसु के पास आयें और अपने लिए तथा सारे संसार के पापों के लिए प्रायश्चित्त करते हुए परम पिता ईश्वर को प्रभु येसु का दिव्य शरीर और रक्त व उनकी आत्मा व ईश्वरत्व को समर्पित करते हुए अपने ऊपर और सारे संसार पर दया की याचना करें।
आमेन।
good reflection fr preetam
ReplyDeletemay God bless you