इसायाह 55:1—3
रोमियों
8:35,37—39
मत्ती
14:13—21
प्रभु के
जिंदा कलाम की सेवकाई में मैं आप सबों की खिदमत में फिर से हाज़िर हुआ हूॅं। आईये हम
हमारे जीवित ईश्वर का धन्यवाद करें उनकी महिमा और आराधना करें। मैं उम्मीद करता हूॅं
कि येसु के प्रेम और अनुग्रह में आप सब सलामत होंगे। खुदावन्द येसु का सामर्थ्यवान
हाथ आप सबों को संभाले रखे।
प्यारे
मित्रों आज हम प्रभु के जिन पवित्र वचनों पर मनन चिंतन करने जा रहे हैं उनको हमने लिया
है इसायाह 55:1—3, रोमियों 8:35,37—39, और मत्ती 14:13—21 से।
पिछले सप्ताह
हमने मनन चिंतन किया कि मनुष्यों के जीवन में बहुत सारी लालसायें, इच्छाएं और अभिलाषायें
हैं। और हमने इस पर भी विचार किया कि दुनिया की कोई भी चीजें हमें पूर्ण संतुष्टि नहीं
दे सकती। हमारी पूर्ण तृप्ति और संतुष्टि ईश्वर में निहीत है। आज के वचनों के द्वारा
प्रभु हमंा बताना चाहते हैं कि जब हम अपने जीवन में खालीपन, अधूरापन, खोखलापन, अकेलापन,
परित्यत, और बेचैन महसूस करते हैं तो हमें शाँति, आराम ओर परितृप्ती की खोज में और
कहीं नहीं परन्तु उनके पास जाना है।
प्रभु का
निमंत्रण सबों के लिए खुला हुआ है। वे कहते हैं — ''तुम सब, जो प्यासे हो, पानी के
पास चले आओ। जिसके पास रूपया नहीं है हो, तो भी आओ और मुफ्त में अन्न खरीद कर खाओ।''
हमारे जीवन
की विभिन्न आवश्क्तओं में हम किसकी शरण जाते हैं? आज हम अपने आप से पूछें मैंने मेरे
जीवन की प्यास बुझाने के लिए क्या—क्या किया है? कौन—कौन से रास्ते अपनाये हैं? कोई धन—दौलत इकट्ठा करने में अपनी संतुष्टी ढूंढते हैं तो कोई अच्छा पद
या औहदा पाने में, कोई फैशनेबल कपडे पहनने में, तो कोई मेक अप करने में, कोई नाम कमाने
में तो कोई प्रसिद्ध होने में, अपनी संतुष्टि तलाशते हैं। कोई नशा करके खुद को संतुष्ट
करता है तो कोई शारीरिक वासनाओं को पूरा करके। सब कुछ ट्राय कर लिया पर परफेक्ट सोल्युशन
नहीं मिला।
संत योहन
के सुसमाचार के 4 थे अध्याय में हम पढते हैं एक स्त्री के बारे में जो याकूब के कुवें
पर भरी दुपहरी में पानी भरने आती है। उस स्त्री ने अपने जीवन में संतुष्टि पाने के
बहुत सारे प्रयास किये पर सारे प्रयास खोखले साबित हुए। यह सोच कर कि शारीरिक वासनाओं
की तृप्ति से वह जीवन का सुख प्राप्त कर सकती है, उसने पाँच व्यक्यिों के साथ पति पत्नि
का रिश्ता जोडा, संतुष्टि नहीं हुई तो उस रिश्ते को तोडा। आज हम में से कितनों के जीवन
की हकीकित है ये एक दोस्त से दूसरा दोस्त, एक रिश्ते से दूसरा रिश्ता, एक काम से दूसरा
काम.....जिंदगी कुछ तो ढूंढ रही है पर उसे वो मिल नहीं रहा है। आज के वचन मेें प्रभु
कहते हैं —''जो भोजन नहीं है, उसके लिए तुम लोग अपना रूपया क्यों खर्च करते हो? जो
तृप्ति नहीं दे सकता उसके लिए क्यों परिश्रम करते हो?'' इसा. 55:2
वह समारी
नारी येसु के पास आई और येसु ने उसे वो पानी दे दिया जिसने उसके जीवन की सारी प्यास
बुझा दी। जब उस नारी को अनन्त जीवन के जल का ज्ञान मिला, उसने अपना घडा वहीं छोड दिया
और वह यह खुशखबरी सुनाने अपने नगर को दौड़ पडी।
संत लूकस
10:41 में प्रभु येसु मारथा से कहते हैं — ''मारथा, मारथा तुम बहुत सी बातों के विषय
में चिंतित और व्यस्त हो; परन्तु एक ही बात आवश्यक है। मरियम ने सब से उत्तम भाग चुन
लिया है; वह उस से नहीं लिया जायेगा।'' हम भी दुनिया में बहुत सारी बातों को लेकर चिंतित
हैं। जैसा कि नबी इसायाह कहते हैं हम जो भोजन ही नहीं है उसके लिए रूपया खर्च कर रहे
हैं और जो संतुष्टि ही नहीं दे सकता उसके लिए मेहनत कर रहे हैं।
प्रभु कह
रहे हैं कि दुनिया भर की भाग—दौड, काम—धंधा सब अपनी जगह ठीक है परन्तु एक ही बात आवश्यक है जो कि मरियम
ने चुन लिया है। मरियम ने क्या चुन लिया है? येसु के कदमों में बैठना और उनके वचनों
को सुनना। ''तुम जो प्यासे हो पानी के पास चले आओ'' मरियम प्यासी थी इसलिए वह संजीवन
जल के झरने के पास चली आई। उसने येसु की वाणी से अपनी भूख, अपनी प्यास बुझाई।
नबी आमोस
8:11 — ''वे दिन आ रहे हैं जब मैं इस देश में भूख भेजूँगा — रोटी की भूख और पानी की
प्यास नहीं, बल्कि प्रभु की वाणी सुनने की भूख और प्यास।''
आज के सुसमाचार
में हम पढते हैं लोगों की एक भारी भीड़ येसु की वाणी सुनने के लिए येसु की खोज में
गलीलिया की झील के किनारे पहुँच जाती है। वे दिन भर येसु की वाणी सुनते रहे। उन्हें
घर जाने और या फिर खुद के खाने—पीने के
बंदोबस्त की भी फिक्र नहीं थी। क्योंकि वे येसु की वाणी सुनकर मंत्र मुग्य हो रहे थे।
दिन भर आत्मिक भोजन याने वचनों से उनकी सबसे पहली और अहम आत्मिक भूख मिटाकर प्रभु येसु
शाम हो जाने पर उनकी शारीरिक भूख भी मिटाते हैं। रोटियों के चमत्कार के द्वारा Yesu
panch hazar se bhi adhik logo ko bhar pet bhojan karate hain. येसु उस भीड को नश्वर
रोटी से तृप्त करके आने वाले समय में वे उन्हें अनष्वर रोटी याने अपने शरीर व देह से
तृप्त करने के लिए तैयार करते हैं। संत योहन के सुसमाचार में हम पढते हैं कि रोटियों
के चमत्कार के बाद येसु कफरनाहुम चले जाते हैं और लोग रोटियों के चमत्कार से प्रभावित
होकर वहाँ भी पहुँच जाते हैं। तब प्रभु उन्हें नश्वर रोटी से परे जाने और अनन्त जीवन
की रोटी खाकर अपनी आत्मा को अमरता में ले जाने का निमंत्रण देते हैं। वे कहते हैं
— ''नश्वर भोजन के लिए नहीं, बल्कि उस भोजन के लिए परिश्रम करो, जो अनन्त जीवन के लिए
बना रहता है और जिसे मानव पुत्र तुम्हें देगा।'' (योहन 6:27)। तब लोगों ने उनसे कहा
प्रभु! आप हमें सदा वही रोटी दिया करें। उन्होंने उत्तर दिया — ''जीवन की रोटी मैं
हूँ। jo मेरे पास आता है, उसे कभी भूख नहीं लगेगी और जो मुझ में विश्वास करता है, उसे
कभी प्यास नहीं लगेगी।'' (योहन 6:35) और आगे वे हमें बतलाते हैं — ''जो मेरा माँस खाता
और मेरा रक्त पीता है, उसे अनन्त जीवन प्राप्त है और मैं उसे अंतिम दिन पुनर्जीवित
कर दूंगा; क्योंकि मेरा माँस सच्चा भोजन है और मेरा रक्त सच्चा पेय। तो नबी इसायाह
के ग्रंथ में जो निमंत्रण ईश्वर हमें दे रहा है वह और किसी भोजन और पेय के लिए नहीं
परन्तु येसु के शरीर और रक्त से अपनी आध्यात्मिक भूख और प्यास मिटाने का आह्वान है,
जिसे प्रभु येसु ने प्रभु भोज के रूप में हमें प्रदान करते हुए कहा कि तुम मेरी स्मृति
यह किया करो। आज भी प्रभु येसु पवित्र यूखरिस्त में अपना सच्चा शरीर और सच्चा रक्त
हमें खाने व पीने को देते हैं। आज भी उनका आह्वान यही है — तुम जो प्यासे हो पानी के
पास चले आओ तुम जो भूखे हो मुफ्त में अपनी भूख मिटाओ।
प्यारे
विश्वासियों हम अपने जीवन में कितने ही निमंत्रण पाते हैं कभी किसी शादी का तो कभी
किसी जन्मदिन की पार्टी का तो कभी किसी रिसेप्शन का वगैरह और हम इन पार्टियों में जाकर
दावत का मजा लेते हैं। जब निमंत्रण हमारे किसी अजीज मित्र का हो या फिर किसी प्रतिष्ठित
व्यक्ति का तो हम उसे ठुकराते नहीं। आज निमंत्रण kisi aur ka nahin par हमें प्रेम
करने वाले, हमारे सृजनहार, हमारे तारणहार येसु मसीह का है। क्या मैं येसु के निमंत्रण
को हाँ कहने के लिए तैयार हूँ?
क्या मुझे
येसु की वाणी सुनने की भूख और प्यास लगी है? जब मैं उपवास करता हूँ तो शाम तो खाना
खाने के लिए बेचैन हो जाता हूँ। हम सब ने इसका अनुभव किया है। जिस तरह से मैं मेरी
शारीरिक भूख मिटाने के लिए बेचैन होता हूँ, क्या उसी तरह मुझमें वचन न सुनने van a
padhane पर बेचैनी होती है। क्या पवित्र यूखरिस्त ग्रहण na करने के कारण मुझे बेचैनी
और पीडा होती है? अगर नहीं तो फिर मेरे एक विश्वासी होने में कहीं न कहीं तकनिकी खराबी
है। मेरी अध्यात्मिक गाडी सही नहीं चल रही है। खैर इन दिनों कोरोना महामारी के चलते
हम चर्च नहीं जा पा रहे हैं और प्रभु का शरीर और रक्त ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं। पर
उसे न पाकर क्या हम अपने में अधुरापन, और खालीपन महसूस कर रहे हैं? क्या पवित्र यूखरिस्त
में येसु को ग्रहण करने के लिए हममें बेचैनी और पीडा है? चलो पवित्र यूखरिस्त हमें
इन दिनों नहीं मिल रहा प्रभु का वचन तो हमारे पास है। क्या प्रभु की वाणी को सुनने
के लिए, या पढने के लिए मैं तरसता हूँ?
हम कब किसी
की वाणी, किसी की बात सुनने को तरसते हैं, जब हम उस व्यक्ति से प्यार करते हैं। और
जितना अधिक प्यार होगा, उतनी अधिक तीव्रता होगी उस व्यक्ति की बातें सुनने की। यदि
में येसु की वाणी सुनने के लिए नहीं तरसता तो इसका सीधा सा मतलब निकलता है कि मुझे
येसु से मुहोब्बत नहीं हुई है। मैं उन्हें जानता हूँ, पर प्यार नहीं करता। मैं उन्हें
पसंद करता हूँ पर प्यार नहीं करता।
अगर मैं
उनके प्यार के सागर में खुद को डुबा देता तो आज मेरे सामने दुनिया की कोई भी ताकत मुझे
झुका नहीं सकती, कुछ भी मुझे विचलित नहीं करता, कुछ भी मुझे नहीं डराता। naa
corona, naa atank, naa badh aru naa sukha….संत पौलुस आज के दूसरे पाठ में कहते हैं
— ''कौन हमें मसीह के प्रेम से वंचित कर सकता है? क्या विपत्ति या संकट? क्या अत्याचार,
या भूख, नग्नता, जोखिम या तलवार?
मुझे दृढ़
विश्वास है कि न तो मरण या जीवन, न स्वर्गदूत या नरकदूत, न वर्तमान या भविष्य, न आकाश
या पाताल की कोई शक्ति और न समस्त सृष्टि में कोई या कुछ हमें ईश्वर के उस प्रेम से
वंचित कर सकता है, जो हमें हमारे प्रभु येसु मसीह द्वारा मिला है।
दुनिया
की सारी अभिलाषायें पूरा करने वाला प्रेम, सब कुछ के ऊपर विजय पाने वाला प्रेम, मौत
को हराकर हमें जीवन देने वाला प्रेम सिर्फ येसु दे सकते हैं। इस दुनिया की आखिरी सच्चाई
और आने वाले जीवन की परिपूर्णता सिर्फ येसु के प्रेम में निहित है। उस प्रेम के खातिर
येसु ने क्रूस पर अपनी कूर्बानी दी है और अपना
लहू बहाकर हमें इस संसार व शैतान से बचाया है।
क्या आपने उस प्रेम को पा लिया है? क्या आपने उस प्रेम के सागर में गोता लगाया
है? आज प्रभु हमें बुला रहे हैं । जो भी येसु के प्रेम के लिए प्यासे हैं वे उनके पास
आ जायें। आईये हम येसु के पास चलें उन्हीं में हमारी पूर्ण तृप्ती है। वही हमारे जीवन
की हर समस्या का समाधान, हमारी हर बीमारी का ईलाज़ और हमारे जीवन का आधार है। आमेन।
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